भारत जैसे सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का आदर और सम्मान सदियों से सामाजिक मूल्यों का प्रमुख हिस्सा रहा है। किंतु आज के आधुनिक युग में, जहाँ जीवनशैली, परिवार के स्वरूप और सामाजिक संरचनाओं में अनेक परिवर्तन हुए हैं, बुजुर्गों की देखभाल और उनका संरक्षण चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। भारतीय संसद ने इस आवश्यकता को समझते हुए माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) को पारित किया, जिसका उद्देश्य बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा करना और उनसे दुर्व्यवहार या उपेक्षा को रोकना है। इस ब्लॉग में, “The Expert Vakil” के माध्यम से इस अधिनियम की गहराई में विस्तार से चर्चा की जाएगी।
अधिनियम की भूमिका और महत्व
यह अधिनियम माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की भरण-पोषण और कल्याण सुनिश्चित करने हेतु बनाया गया है। यह कानून बच्चों और रिश्तेदारों को कानूनी रूप से बाध्य करता है कि वे अपने बुजुर्ग परिवार के सदस्यों का उचित भरण-पोषण करें। इसके अलावा, यह अधिनियम बुजुर्गों की जान, संपत्ति और सम्मान की सुरक्षा करता है, और उनके प्रति दुर्व्यवहार, उपेक्षा या उत्पीड़न को दंडनीय अपराध मानता है।
इस अधिनियम के अंतर्गत बुजुर्ग जो अपने संसाधनों से अपना भरण-पोषण नहीं कर पाते, वे Maintenance Tribunal में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं, जहाँ बच्चों या उत्तराधिकारियों को मासिक भरण-पोषण का भुगतान करने का आदेश दिया जा सकता है।
वरिष्ठ नागरिक और माता-पिता की परिभाषा
अधिनियम के अनुसार, वरिष्ठ नागरिक उस व्यक्ति को कहा जाता है जिसकी उम्र 60 वर्ष या उससे ऊपर हो। माता-पिता में जैविक, दत्तक एवं सौतेले माता-पिता शामिल होते हैं। अधिनियम में परिभाषित लाभार्थी वे वृद्ध व्यक्ति हैं जो अपनी आय या संपत्ति से स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ हों।
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
1. भरण-पोषण की मांग (Maintenance)
यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि बच्चे या उत्तराधिकारी पैरेंट्स या वरिष्ठ नागरिकों का उचित भरण-पोषण करें। यदि वे असमर्थ हों तो कानूनी माध्यम से मासिक भरण-पोषण का हक मांग सकते हैं। यह प्रक्रिया सरल बनाई गई है जहाँ शिकायतकर्ता को वकील की आवश्यकता नहीं होती और उन्हें स्थानीय न्यायाधिकरण (Tribunal) में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
2. Maintenance Tribunal की स्थापना
अधिनियम जिला स्तरीय Maintenance Tribunal की स्थापना का प्रावधान करता है जो ऐसे मामलों की सुनवाई करते हैं। इस ट्राइब्यूनल में शिकायतों का समाधान छह महीनों के भीतर करना अनिवार्य है जिससे बुजुर्गों को शीघ्र न्याय मिल सके।
3. वृद्धाश्रम का प्रावधान
अगर कोई वरिष्ठ नागरिक आवश्यकता अनुसार देखभाल नहीं पा रहा है, तो अधिनियम के तहत सरकार या संबंधित निकाय वृद्धाश्रम स्थापित कर सकते हैं जहाँ बुजुर्गों को सुरक्षित आवास और देखभाल मिल सके।
4. चिकित्सा सुविधाएँ
अधिनियम के अनुसार, सभी सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सुविधाएँ, प्राथमिकता और स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था करनी होती है।
5. जीवन और संपत्ति का संरक्षण
वरिष्ठ नागरिकों की जान और उनकी संपत्ति की रक्षा अधिनियम की महत्त्वपूर्ण रूपरेखा है। बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार, उपेक्षा या उनकी संपत्ति का नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध है। दोषी को जुर्माने और जेल की सजा भी हो सकती है।
6. शिकायतकर्ता का प्रतिनिधित्व
वरिष्ठ नागरिक स्वयं शिकायत कर सकते हैं या यदि वे असमर्थ हों तो उनका प्रतिनिधि व्यक्ति, संस्था या निकाय शिकायत दाखिल कर सकता है।
सामाजिक परिप्रेक्ष्य और आवश्यकता
आधुनिक समाज में पारिवारिक संरचनाओं में बदलाव और आर्थिक दबाव के कारण अक्सर बुजुर्गों की उपेक्षा होती है। “The Expert Vakil” के अनुसार, इस अधिनियम ने सामाजिक न्याय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और परंपरागत भारतीय परिवारों को पुनः अपने बुजुर्गों के प्रति दायित्व का एहसास कराया है।
अधिनियम बुजुर्गों को न केवल आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि उनके सम्मान और सामाजिक गरिमा को बनाए रखने में भी सहायता करता है। यह बुजुर्गों के खिलाफ होने वाले उत्पीड़न और उपेक्षा को रोकने का एक कानूनी हथियार है।
अधिनियम के तहत कानूनी प्रक्रिया और राहत
यदि कोई वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता अपने बच्चे या उत्तराधिकारी से भरण-पोषण नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं, तो वे Maintenance Tribunal में आवेदन कर सकते हैं। ट्राइब्यूनल शिकायत सुनने के बाद भुगतान का आदेश जारी करता है, जो अधिकतम 10,000 रुपए प्रति माह तक हो सकता है। यदि इस आदेश का पालन नहीं किया जाता, तो न्यायालय के माध्यम से कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
उपयोगी सुझाव और सावधानियां
- बुजुर्गों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और व्यवस्था का उपयोग करने से डरना नहीं चाहिए।
- बच्चों और परिवार वालों को “The Expert Vakil” की सलाह के अनुसार अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए बुजुर्गों का सम्मान और देखभाल करनी चाहिए।
- अधिनियम का पालन न करने पर क़ानूनी कार्रवाई होने की संभावना है, इसलिए समय रहते समाधान निकालना परिवार के लिए आवश्यक है।
यह अधिनियम बुजुर्गों की खुशहाली और सम्मान हेतु सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। समाज में बुजुर्गों का उचित स्थान सुनिश्चित करने के लिए इस कानून की पूरी जानकारी और जागरूकता बहुत आवश्यक है। “The Expert Vakil” इस ब्लॉग के माध्यम से उम्मीद करता है कि यह जानकारी परिवारों और बुजुर्गों के लिए उपयोगी साबित होगी, जिससे वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें और न्याय प्राप्त कर सकें।
यदि इस विषय पर और विशेषज्ञ सलाह या मार्गदर्शन चाहिए तो “The Expert Vakil” की वेबसाइट पर उपलब्ध सेवाओं का लाभ लिया जा सकता है।
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