Tuesday, October 28, 2025
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नई उम्र, नया ठिकाना: बदलते दौर में बुजुर्गों की ज़िंदगी और देखभाल के नए मॉडल

भारत में उम्र बढ़ना अब केवल शरीर की प्रक्रिया नहीं रहा, यह एक सामाजिक बदलाव की कहानी बन चुका है। आज के वरिष्ठ नागरिक केवल “सेवानिवृत्त” नहीं — बल्कि “पुनर्जन्म” के दौर से गुजर रहे हैं। बदलती सामाजिक संरचना, पारिवारिक व्यवस्थाओं में बदलाव और तकनीक के दखल ने “evolving models for living and care” की ज़रूरत को पहले से कहीं ज़्यादा सामने ला दिया है।

Shanti Senior Citizen Services के अनुसार, भारत में 2025 तक वरिष्ठ नागरिकों की आबादी 15 करोड़ से अधिक हो जाएगी — यानी हर 10 में से एक भारतीय 60+ उम्र का होगा। ऐसे में प्रश्न यह नहीं कि बुजुर्ग कहाँ रहेंगे, बल्कि यह है कि वे कैसे रहना चाहते हैं


परंपरागत परिवार से लेकर आधुनिक देखभाल मॉडल तक का सफर

कभी भारत में “संयुक्त परिवार” वृद्ध देखभाल का सबसे बड़ा सहारा था। परंतु शहरीकरण, कामकाजी जीवनशैली और प्रवासन के कारण अब यह मॉडल तेजी से बदल रहा है। पहले बेटे-बेटियाँ अपने माता-पिता के साथ रहते थे, लेकिन अब वरिष्ठ नागरिक स्वावलंबी जीवन की ओर बढ़ रहे हैं।

इसी बदलाव ने जन्म दिया —
evolving models for living and care — ऐसे मॉडल जो आत्मनिर्भरता, गरिमा और सामुदायिक जुड़ाव को एक साथ जोड़ते हैं।


1. मध्य-वर्गीय वरिष्ठ नागरिकों के लिए नए विकल्प: Middle-Market Senior Living

भारत में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ वर्ग है – मिडल क्लास सीनियर सेगमेंट। इन लोगों के पास न तो अत्यधिक संपत्ति है और न ही वे सरकारी सहायता पर निर्भर होना चाहते हैं।

  • इसी जगह उभर रहा है “Middle-Market Senior Living” मॉडल — ऐसे आवास जो किफायती, सुरक्षित और सामाजिक रूप से सक्रिय हों।
  • उदाहरण के लिए, बेंगलुरु, पुणे और चेन्नई में ऐसी कई परियोजनाएँ हैं जहाँ वरिष्ठ नागरिक स्वतंत्र रूप से रहते हैं लेकिन समुदाय के भीतर जुड़े रहते हैं।
  • स्वास्थ्य सेवाएँ, फिटनेस प्रोग्राम, मानसिक स्वास्थ्य सत्र और सामुदायिक खाना — ये सब इस मॉडल का हिस्सा हैं।

Middle-market senior community in South India with active elderly participants in wellness and art sessions.


2. सह-निवास (Co-housing): साथ रहना, फिर भी स्वतंत्रता

“Co-housing” केवल रहने का तरीका नहीं — यह आपसी सहारे की संस्कृति है। यूरोप और अमेरिका में लोकप्रिय यह मॉडल अब भारत में भी कदम रख रहा है।

बेंगलुरु की 67 वर्षीय प्रोफेसर नीना मेहरा अपने तीन दोस्तों के साथ को-हाउसिंग प्रोजेक्ट में रहती हैं। वे कहती हैं:
“यहाँ कोई बोझ नहीं, केवल साथ है। हम सब एक-दूसरे के लिए परिवार जैसे हैं।”

  • को-हाउसिंग में हर निवासी का अपना निजी स्थान होता है, लेकिन सामूहिक रसोई, बगीचा और गतिविधि स्थल साझा होते हैं।
  • यह मॉडल उन वृद्ध लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है जो अकेले हैं या बच्चों से दूर रहते हैं।
  • यहाँ “evolving models for living and care” के मूल विचार — स्वतंत्रता, सहयोग और सम्मान — एक साथ जीवंत होते हैं।

Co-housing complex with elderly residents gardening and sharing community meals in India.


3. घर बैठे देखभाल: Continuing Care at Home

हर बुजुर्ग संस्थान में नहीं रहना चाहता। इसीलिए उभर रहा है Continuing Care at Home (CCAH) का विचार।

यह मॉडल न केवल शारीरिक देखभाल देता है, बल्कि व्यक्ति के भावनात्मक और सामाजिक जीवन पर भी ध्यान देता है।

उदाहरण के तौर पर, दिल्ली की 72 वर्षीय अनुराधा श्रीवास्तव ने बताया —
“मैं अपने घर से जुड़ी हूँ, लेकिन अब मेरे पास एक समर्पित स्वास्थ्य देखभाल टीम है जो मुझे नियमित रूप से फिजियोथेरेपी और मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग देती है।”

इस मॉडल के अंतर्गत:

  • 24×7 हेल्थ मॉनिटरिंग
  • नर्सिंग, फिजियोथेरेपी और घरेलू सहायता
  • ऑनलाइन परामर्श और भावनात्मक समर्थन प्रोग्राम
  • सामाजिक भागीदारी के लिए डिजिटल समुदाय

Healthcare professional assisting an elder woman with at-home physiotherapy in Delhi.


4. सोलो एजिंग (Solo Aging): अकेले लेकिन सक्षम

भारत में सोलो एजिंग अब तेजी से वास्तविकता बनता जा रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं जिनके बच्चे विदेश में हैं या जिनकी संतान नहीं है।

Shanti Senior Citizen Services की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2030 तक सोलो एजर्स की संख्या 3 करोड़ से अधिक होने की संभावना है।

ऐसे में उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है — निर्णय लेना, देखभाल की योजना बनाना और समाज से जुड़ना।
पर अब चीजें बदल रही हैं:

  • Delhi और Mumbai जैसे शहरों में “Solo Aging Support Networks” बन रहे हैं।
  • हेल्थ केयर ऐप्स और “life plan services” ऐसे लोगों को उनके विकल्पों के लिए मार्गदर्शन दे रहे हैं।
  • NGO और महिला समूह भी इस दिशा में सक्रिय हैं ताकि कोई वरिष्ठ अकेला महसूस न करे।

Elderly Indian woman smiling while using a digital tablet for connecting with senior support groups online.


5. लागत, पारदर्शिता और देखभाल की गुणवत्ता: चुनौतियाँ और अवसर

हर नया मॉडल तभी टिकाऊ होता है जब वह किफायती, पारदर्शी और भरोसेमंद हो।

  • भारत में वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल का निजी बाजार 2024 में लगभग 14 बिलियन डॉलर का था, और 2030 तक इसके दोगुना होने की उम्मीद है।
  • लेकिन चुनौती यही है — कैसे गुणवत्तापूर्ण देखभाल को मध्यम वर्ग की पहुंच में लाया जाए।
  • सरकार की नई नीतियाँ – जैसे “Senior Citizen Care Policy 2023” — इस दिशा में छोटे लेकिन प्रभावी कदम हैं।

“evolving models for living and care” के आगमन ने सरकार, निजी क्षेत्र और समाज – तीनों को एक साझा जिम्मेदारी दी है।


6. भावनात्मक पक्ष: गरिमा और स्वाभिमान का संगम

देखभाल सिर्फ शारीरिक सुविधा नहीं — यह गरिमा और सम्मान की कहानी भी है।
कई सीनियर कहते हैं कि वे चाहते हैं उनके फैसलों में उनकी राय को महत्व दिया जाए।
CCAH जैसे मॉडल्स इस बात को सबसे पहले रखते हैं:
“आपकी उम्र आपके अधिकार कम नहीं करती, बल्कि उन्हें और मज़बूत करती है।”

  • वरिष्ठ नागरिक स्वयंसेवी कार्यों, लेखन और सामाजिक पहल में हिस्सा ले रहे हैं।
  • “Seniorpreneurs” (वरिष्ठ उद्यमी) की संख्या भारत में बढ़ रही है।
  • “Co-housing” में सामूहिक निर्णय प्रक्रिया महसूस कराती है कि हर आवाज मायने रखती है।

7. The Velocity News की दृष्टि: नीति और समाज में संवाद की शुरुआत

The Velocity News मानता है कि evolving models for living and care केवल सामाजिक पहल नहीं, बल्कि नीति सुधार का अवसर भी हैं।

  • सरकार को इन मॉडलों के लिए टैक्स रिबेट और नियमावली बनाने की आवश्यकता है।
  • नगर नियोजन में “senior-friendly” इन्फ्रास्ट्रक्चर जोड़ा जाना चाहिए।
  • डिजिटल कनेक्टिविटी और वरिष्ठ नागरिकों के लिए टेक-साक्षरता कार्यक्रम अब अनिवार्य हैं।

Shanti Senior Citizen Services के विश्लेषण के मुताबिक, आने वाला दशक बुजुर्गों के सशक्तिकरण का दशक होगा — जहाँ उम्र बोझ नहीं, बल्कि अनुभव की पूँजी बनेगी।


8. आने वाले दशक के नए ट्रेंड्स

2025 के बाद जो ट्रेंड्स उभर रहे हैं:

  • छोटे टाउन में “retire & rewire” समुदायों की बढ़ती प्रवृत्ति।
  • “Senior Travel Communities” — यात्रा और स्वास्थ्य को जोड़ने वाली योजनाएँ।
  • डिजिटल हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम जो वास्तविक समय पर निगरानी प्रदान करते हैं।
  • “Green Senior Homes” — पर्यावरण अनुकूल आवास।

इन सबका उद्देश्य एक ही है — गरिमामय और सक्रिय वृद्धावस्था।


9. निर्णय-निर्माण और एडवोकेसी प्रोग्राम

सीनियर नागरिकों को निर्णय लेने में सशक्त बनाना उतना ही आवश्यक है जितना उन्हें देखभाल देना।
“Elder Advocacy Programs” अब इस दिशा में सेतु का काम कर रहे हैं।
ये प्रोग्राम वरिष्ठ नागरिकों को उनके अधिकार, बीमा विकल्प और कानूनी सहायता के बारे में जागरूक बनाते हैं।

उदाहरण के रूप में, महाराष्ट्र में “AgeWell Foundation” और “Silver Agers Forum” ऐसे नेटवर्क बना रहे हैं जो बुजुर्गों के निर्णयों में मार्गदर्शन करते हैं।


10. डिजिटल युग में बुजुर्गों की नई पहचान

तकनीक अब केवल युवा पीढ़ी का क्षेत्र नहीं। “Smart Seniors” अब व्हाट्सएप ग्रुप्स, फिटनेस ऐप्स और हेल्थ मॉनिटरिंग डिवाइस का कुशल उपयोग कर रहे हैं।
यह भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है evolving models for living and care का — जहाँ तकनीक और मानवीय संवेदनाएँ साथ मिलकर एक नई परिभाषा रच रही हैं।

Indian seniors using mobile apps for telehealth and community engagement.


समापन विचार

हमें यह स्वीकारना होगा कि उम्र के बढ़ने के साथ सिर्फ शरीर नहीं बदलता, बल्कि “जीवन का नजरिया” भी बदलता है।
अगर समाज, नीति और लोग मिलकर “evolving models for living and care” को अपनाएँ — तो न केवल बुजुर्गों का जीवन सुधरेगा, बल्कि हमारी मानवता भी गहराती जाएगी।

कभी किसी मुहल्ले में रहने वाले बाबा या दादी हम सबकी कहानी थे — अब समय है कि वे फिर से उस कहानी का केंद्र बनें, बस एक आधुनिक रूप में।


अपने विचार और अनुभव हमारे साथ साझा करें।
क्या आप या आपके जानने वाले किसी ऐसे मॉडल में रह रहे हैं?
अपना मत Shanti Senior Citizen Services पर साझा करें और इस चलन को आगे बढ़ाएँ।

ShantiSeniorCitizenServices.com

Call : +91 90334 63218, +91 98251 23583
Email Id : shantiseniorcitizens2022@gmail.com

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