Wednesday, October 29, 2025
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आयकर रिटर्न (ITR) फाइलिंग: ड्यू डेट बढ़ाई गई, पूरी गाइड और महत्वपूर्ण जानकारी

भारत में हर साल आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करने की नियत तिथि यानी Due Date करदाताओं के लिए बहुत अहम होती है। समय से ITR फाइल करना न सिर्फ एक कानूनी जिम्मेदारी है बल्कि इसका सीधा असर आपके वित्तीय रिकॉर्ड पर भी पड़ता है। इस वर्ष भी जब बड़ी संख्या में करदाता समय पर आयकर रिटर्न फाइल नहीं कर पाए, तो केंद्र सरकार और आयकर विभाग (Income Tax Department) ने करदाताओं को राहत देते हुए ITR ड्यू डेट एक्सटेंशन (Income Tax ITR Due Date Extension) का ऐलान किया।

क्यों दिया गया ITR ड्यू डेट एक्सटेंशन?

इस साल ITR दाखिल करने में कठिनाइयाँ सामने आईं। ऑनलाइन ई-फाइलिंग पोर्टल पर तकनीकी समस्याएँ, बैंकों के सर्वर से जुड़ी तकनीकी गड़बड़ियाँ, टैक्सपेयर्स की संख्या में वृद्धि, और कुछ मामलों में डाक्यूमेंट्स अपलोड करने में दिक्कत जैसी वजहों से सरकार को Due Date Extension की घोषणा करनी पड़ी।

सरकार का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा करदाताओं को समय पर रिटर्न फाइल करने का अवसर देना है ताकि वे लेट फीस और पेनल्टी से बच सकें।

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नए ITR ड्यू डेट एक्सटेंशन की घोषणा

आयकर विभाग के आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार, इस साल Individual Taxpayers, Salaried Employees और Small Businesses के लिए ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि को बढ़ाकर नई तारीख घोषित कर दी गई है।

पहले यह डेडलाइन 31 जुलाई 2025 थी, जिसे बढ़ाकर 30 सितंबर 2025 कर दिया गया है। वहीं, ऑडिट वाले बिज़नेस और कंपनियों के लिए पहले की डेडलाइन 30 सितंबर 2025 थी, जिसे आगे बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 किया गया है।

इस तरह करदाताओं को ITR फाइल करने के लिए अतिरिक्त समय की सुविधा दी गई है।

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ITR ड्यू डेट एक्सटेंशन का महत्व

ITR ड्यू डेट बढ़ाए जाने से कई बड़ी राहतें मिलती हैं, जैसे:

  • करदाताओं को पेनल्टी शुल्क से बचाव
  • सही दस्तावेज़ एकत्र करने के लिए समय
  • टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट्स को क्लेम करने का अतिरिक्त अवसर
  • वित्तीय वर्ष के लेनदेन का रीकंसिलेशन करने के लिए समय

अगर डेट एक्सटेंड नहीं की जाती, तो बहुत से लोग अंतिम तिथि के बाद फाइल करते और Late Fee (5000/1000 रुपये तक) व Interest भी चुकाना पड़ता।

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सरकार का कदम और करदाताओं की प्रतिक्रिया

इस निर्णय का स्वागत बड़ी संख्या में करदाताओं और वित्तीय विशेषज्ञों ने किया। करदाताओं का कहना है कि ITR पोर्टल के स्लो होने की वजह से उन्हें बार-बार लॉगिन व सबमिशन में दिक्कत आई, ऐसे में सरकार ने समय बढ़ाकर सही कदम उठाया।

टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह एक्सटेंशन न केवल टैक्सपेयर्स की मदद करेगा बल्कि टैक्स कंप्लायंस बढ़ाने में भी सहायक होगा।


लेट फाइलिंग का नुकसान क्या है?

अगर आप एक्सटेंशन के बाद भी ITR फाइल नहीं करते, तो आपको कई नुकसान झेलने पड़ सकते हैं:

  • ₹5000 तक की पेनल्टी धारा 234F के तहत लागू हो सकती है
  • टैक्स रिफंड लेट हो सकता है
  • लोन, वीज़ा और फाइनेंशियल डाक्यूमेंट्री प्रोसेस में दिक्कत आ सकती है
  • ब्याज और अतिरिक्त टैक्स देना पड़ सकता है

निष्कर्ष

आयकर रिटर्न की ड्यू डेट बढ़ाना सरकार का एक समझदारी भरा फैसला है, जिससे लाखों करदाता लाभान्वित होंगे। करदाताओं को इस समय का सही तरीके से उपयोग कर ITR फाइलिंग पूरी करनी चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी तरह के वित्तीय या कानूनी संकट से बचा जा सके।

ITR Filing केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह Tax Compliance और Financial Discipline की पहचान है।

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