नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान महंगाई के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने मंगलवार को जोरदार हंगामा किया और फिर वॉकआउट कर दिया। विपक्षी नेताओं का कहना है कि देश में बढ़ती महंगाई आम जनता की जिंदगी पर गंभीर प्रभाव डाल रही है और सरकार को इस पर तत्काल बहस करनी चाहिए।
विपक्ष का आरोप:
विपक्षी नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि:
- खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में वृद्धि से आम जनता का जीवन मुश्किल हो गया है।
- सरकार महंगाई पर नियंत्रण पाने में विफल रही है।
- इस मुद्दे पर लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा से बचने का प्रयास किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा:
“महंगाई आम आदमी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। सरकार को तत्काल इस मुद्दे पर बहस करनी चाहिए और समाधान प्रस्तुत करना चाहिए।”
संसद में हंगामे की मुख्य वजह:
- खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी:
- दाल, गेहूं, सब्जियां, और अन्य जरूरी चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
- ईंधन और गैस की कीमतें:
- पेट्रोल, डीजल, और घरेलू गैस के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन और घरेलू बजट पर भारी असर पड़ा है।
- महंगाई पर सरकारी रुख:
- विपक्ष का आरोप है कि सरकार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए व्यावहारिक कदम नहीं उठा रही।
सरकार का जवाब:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा:
“सरकार लगातार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत है। वैश्विक परिस्थितियां और सप्लाई चेन में गड़बड़ी महंगाई के प्रमुख कारण हैं। हम आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को स्थिर करने के लिए उपाय कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि सरकार ने:
- कई वस्तुओं पर टैक्स में कटौती की है।
- किसानों और गरीबों के लिए योजनाएं चलाई हैं।
विपक्ष का वॉकआउट:
विपक्षी दलों ने सरकार की प्रतिक्रिया को असंतोषजनक बताते हुए संसद से वॉकआउट कर दिया।
- कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), डीएमके, और अन्य दलों ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
- विपक्षी नेताओं का कहना है कि अगर सरकार बहस के लिए तैयार नहीं होती, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।
महंगाई के आंकड़े:
- खुदरा महंगाई दर: पिछले महीने यह 6.5% तक पहुंच गई, जो RBI की तय सीमा से ऊपर है।
- खाद्य महंगाई: खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8-9% के बीच बनी हुई है।
- ईंधन की महंगाई: पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 10-15% की बढ़ोतरी हुई है।
जनता की प्रतिक्रिया:
महंगाई के मुद्दे पर जनता में नाराजगी बढ़ रही है।
- आम नागरिकों का कहना है कि उनका घरेलू बजट प्रभावित हो रहा है।
- छोटे व्यापारियों और मध्यम वर्ग पर महंगाई का सबसे ज्यादा असर पड़ा है।
विशेषज्ञों की राय:
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए:
- आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना होगा।
- टैक्स में और कटौती करनी होगी।
- किसानों और उत्पादकों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं को बढ़ावा देना होगा।
निष्कर्ष:
विपक्ष का संसद से वॉकआउट सरकार पर दबाव बढ़ाने की एक रणनीति है ताकि महंगाई पर जल्द से जल्द बहस कराई जा सके। बढ़ती महंगाई न केवल आर्थिक समस्या है बल्कि यह राजनीतिक मुद्दा भी बनती जा रही है। सरकार को इस पर गंभीरता से कदम उठाने होंगे ताकि आम जनता को राहत मिल सके।