नई दिल्ली: प्रधानमंत्री संग्रहालय (पीएम म्यूज़ियम) ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से एक विशेष अनुरोध किया है, जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लेडी एडविना माउंटबेटन को लिखा गया एक ऐतिहासिक पत्र लौटाने की अपील की गई है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे कांग्रेस के इतिहास और उनके कार्यों की पारदर्शिता पर सवाल उठाने का अवसर बताया।
मामले का संदर्भ:
प्रधानमंत्री संग्रहालय, जो भारत के सभी प्रधानमंत्रियों की विरासत और योगदान को प्रदर्शित करता है, ने हाल ही में यह दावा किया कि नेहरू का लेडी एडविना माउंटबेटन को लिखा हुआ पत्र एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज है। संग्रहालय प्रशासन का कहना है कि यह पत्र भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और तत्कालीन राजनीतिक संबंधों के इतिहास को उजागर करता है।
संग्रहालय ने राहुल गांधी से अनुरोध करते हुए कहा:
“हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि इस ऐतिहासिक पत्र को उचित सम्मान और संरक्षण के साथ संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाए। यह पत्र भारत की जनता की अमूल्य धरोहर है।”
भाजपा की प्रतिक्रिया:
भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को कांग्रेस के खिलाफ एक राजनीतिक हमला बनाने का प्रयास किया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा:
“कांग्रेस को पारदर्शी होना चाहिए और भारत के इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जनता के सामने लाना चाहिए। नेहरू और लेडी माउंटबेटन के बीच का पत्र कोई निजी संपत्ति नहीं है; यह राष्ट्र की धरोहर है।”
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस कई ऐतिहासिक तथ्यों और दस्तावेजों को छिपाने का काम करती रही है।
कांग्रेस का जवाब:
कांग्रेस की ओर से इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया कि भाजपा केवल राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा:
“ऐतिहासिक दस्तावेजों के महत्व को समझना जरूरी है, लेकिन भाजपा इसे सनसनीखेज बनाकर राजनीति करने की कोशिश कर रही है।”
उन्होंने कहा कि यह पत्र नेहरू और लेडी माउंटबेटन के बीच एक व्यक्तिगत संवाद है और इसे अनावश्यक रूप से विवाद का विषय बनाया जा रहा है।
इतिहास के पन्नों से:
- नेहरू और एडविना माउंटबेटन का रिश्ता:
पंडित जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी लेडी एडविना माउंटबेटन के बीच मित्रता और संवाद हमेशा से इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए चर्चा का विषय रहा है। - महत्वपूर्ण पत्र:
नेहरू द्वारा लिखे गए पत्र भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, विभाजन और तत्कालीन राजनीतिक समीकरणों को दर्शाते हैं। - संग्रहालय में दस्तावेजों का महत्व:
पीएम संग्रहालय का उद्देश्य भारत के प्रधानमंत्रियों की राजनीतिक और ऐतिहासिक विरासत को संजोना है, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके योगदान को समझ सकें।
विशेषज्ञों की राय:
इतिहासकारों का मानना है कि ऐसे दस्तावेजों को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने से भारत के राजनीतिक इतिहास के अनछुए पहलू सामने आ सकते हैं। हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि व्यक्तिगत पत्रों के प्रदर्शन से संबंधित नैतिक और गोपनीयता के मुद्दे को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
क्या आगे होगा:
- पीएम म्यूज़ियम और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर संवाद होने की संभावना है।
- भाजपा इस मुद्दे को आगामी चुनावों में राजनीतिक हथियार बना सकती है।
- इतिहासकारों और शोधकर्ताओं की ओर से पत्रों के सार्वजनिक महत्व को लेकर चर्चा बढ़ सकती है।
निष्कर्ष:
नेहरू का लेडी एडविना माउंटबेटन को लिखा गया पत्र वर्तमान में राजनीतिक और ऐतिहासिक बहस का केंद्र बन गया है। प्रधानमंत्री संग्रहालय की अपील और भाजपा की प्रतिक्रिया ने इसे एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या यह पत्र भविष्य में जनता के सामने आएगा।