रूस और यूक्रेन के बीच हाल के सैन्य अभियानों ने दोनों देशों के बीच तनाव को और अधिक बढ़ा दिया है। नए आक्रमण, सीमा पर बढ़ती सैन्य गतिविधियां और कूटनीतिक विफलताओं के चलते यह संघर्ष फिर से खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है, जिसका असर न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा बल्कि वैश्विक स्थिरता पर भी पड़ रहा है।
नवीनतम घटनाक्रम:
1. सैन्य हमलों में तेजी
- रूस ने हाल ही में यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों में कई मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं, जिससे नागरिक क्षेत्रों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है।
- यूक्रेनी सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए रूसी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है, विशेषकर सीमा के पास के क्षेत्रों में।
2. डोनबास क्षेत्र में तनाव
- डोनबास क्षेत्र, जो लंबे समय से संघर्ष का केंद्र रहा है, एक बार फिर विवादास्पद क्षेत्रीय कब्जे का गवाह बन रहा है।
- रूस समर्थित अलगाववादी समूह और यूक्रेनी बलों के बीच झड़पें तेज हो गई हैं।
3. नाटो (NATO) और पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया
- पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका और यूरोपीय संघ, ने रूस की नई सैन्य कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की है।
- नाटो ने यूक्रेन को अतिरिक्त सैन्य सहायता और सुरक्षा संसाधन प्रदान करने की घोषणा की है।
4. कूटनीतिक बातचीत विफल
- हाल के शांति वार्ता प्रयासों में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है।
- रूस का कहना है कि उसकी सैन्य कार्रवाई “रक्षा” के लिए है, जबकि यूक्रेन इसे संप्रभुता का उल्लंघन करार दे रहा है।
संघर्ष के प्रमुख कारण:
- डोनबास और क्रीमिया विवाद:
- डोनबास क्षेत्र और 2014 में रूस द्वारा कब्जा किए गए क्रीमिया को लेकर संघर्ष की जड़ें गहरी हैं।
- नाटो विस्तार:
- रूस का मानना है कि यूक्रेन का नाटो में शामिल होने का प्रयास उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
- ऊर्जा संसाधनों का नियंत्रण:
- यूक्रेन के ऊर्जा पाइपलाइनों और प्राकृतिक संसाधनों पर रूस की नजर लंबे समय से है।
वैश्विक प्रभाव:
1. ऊर्जा संकट:
- रूस-यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव पैदा कर दिया है।
- यूरोप, जो रूसी गैस पर निर्भर है, उसे ऊर्जा आपूर्ति बाधित होने की आशंका सता रही है।
2. खाद्य सुरक्षा:
- यूक्रेन, दुनिया के प्रमुख गेहूं उत्पादकों में से एक है। संघर्ष के कारण वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।
3. भू-राजनीतिक ध्रुवीकरण:
- अमेरिका और नाटो जहां यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं, वहीं रूस के साथ उसके घनिष्ठ सहयोगी देश जैसे बेलारूस खड़े हैं।
4. वैश्विक बाजारों पर असर:
- युद्ध के चलते वैश्विक वित्तीय बाजार अस्थिर हो गए हैं। निवेशकों की चिंता बढ़ रही है, जिससे विकासशील देशों पर असर पड़ सकता है।
यूक्रेन और रूस की रणनीति:
रूस की रणनीति:
- रूस का उद्देश्य यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण मजबूत करना है।
- पश्चिमी देशों पर दबाव बनाने के लिए ऊर्जा आपूर्ति को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
यूक्रेन की रणनीति:
- यूक्रेन अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने और सैन्य सहायता के जरिए रूस को रोकने की कोशिश कर रहा है।
- घरेलू स्तर पर रक्षा और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका:
- संयुक्त राष्ट्र की अपील:
- संयुक्त राष्ट्र ने तुरंत संघर्ष विराम और मानवीय सहायता की अपील की है।
- नाटो और पश्चिमी देश:
- अमेरिका और यूरोप ने यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य सहायता बढ़ाने का निर्णय लिया है।
- शांति वार्ता की आवश्यकता:
- कूटनीतिक हल निकालने के लिए सभी पक्षों को शांति वार्ता के प्रयास तेज करने होंगे।
निष्कर्ष:
रूस और यूक्रेन के बीच नए सैन्य अभियानों ने वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य को और अधिक जटिल बना दिया है। दोनों देशों के बीच गहराते तनाव से न केवल क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में है, बल्कि इसका असर वैश्विक ऊर्जा संकट, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक बाजारों पर भी पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि किसी बड़े युद्ध की स्थिति से बचा जा सके।