Friday, January 17, 2025
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TMC’s Abhishek Banerjee Joins J&K’s Omar Abdullah in Questioning Congress’s Position on EVMs

नई दिल्ली/श्रीनगर: हाल ही में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के नेता उमर अब्दुल्ला ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर कांग्रेस पार्टी की स्थिति पर सवाल खड़े किए हैं। दोनों नेताओं का मानना है कि कांग्रेस को अपनी स्पष्ट और एकजुट राय रखनी चाहिए, ताकि विपक्ष का मतदाता विश्वास खोने से बच सके।


प्रसंग और विवाद का कारण:

यह बहस तब सामने आई जब कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर संदेह जताया। विपक्ष के अन्य दलों ने कांग्रेस की इस स्थिति पर असमंजस प्रकट किया।

टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि:

“यदि कांग्रेस को ईवीएम पर कोई आपत्ति है, तो उन्हें स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए। एकजुट विपक्ष के लिए यह जरूरी है कि हम मतदाताओं में भरोसा और पारदर्शिता बनाए रखें।”

इसी बीच, जम्मू-कश्मीर के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस से सवाल करते हुए कहा:

“ईवीएम पर अस्पष्ट बयानबाजी से विपक्ष के संदेश में गड़बड़ी पैदा होती है। हमें मतदाताओं को साफ और सीधा संदेश देना चाहिए।”


ईवीएम पर कांग्रेस का दृष्टिकोण:

  1. अंतरविरोध: कांग्रेस के कई नेताओं ने समय-समय पर ईवीएम की पारदर्शिता पर संदेह जताया है, जबकि अन्य नेता इसे वैध मानते हैं।
  2. लोकसभा चुनावों के संदर्भ में: विपक्षी एकता के प्रयास के बावजूद कांग्रेस की स्थिति इस मुद्दे पर असंगत दिखाई देती है।

टीएमसी और नेशनल कॉन्फ्रेंस का रुख:

  • अभिषेक बनर्जी: उन्होंने कहा कि विपक्ष को ईवीएम के मुद्दे पर या तो एकजुट होकर सवाल करना चाहिए या इसे पूरी तरह स्वीकार कर लेना चाहिए।
  • उमर अब्दुल्ला: उन्होंने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि स्पष्ट दृष्टिकोण न होने की वजह से विपक्ष के मतदाताओं में भ्रम पैदा हो रहा है।

ईवीएम विवाद की पृष्ठभूमि:

  1. ईवीएम की विश्वसनीयता: कई विपक्षी दलों ने चुनावों के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी और छेड़छाड़ की शिकायत की है।
  2. ईवीएम बनाम बैलेट पेपर: विपक्ष का एक बड़ा वर्ग चुनावों में बैलेट पेपर की वापसी की मांग कर रहा है।
  3. चुनाव आयोग का रुख: चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी हैं।

विशेषज्ञों की राय:

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्षी दलों को एकजुट रहने के लिए सामान्य मुद्दों पर एक समान रुख अपनाना होगा। ईवीएम पर कांग्रेस की अस्पष्टता विपक्ष के बड़े राजनीतिक उद्देश्यों को नुकसान पहुंचा सकती है।


क्या है आगे का रास्ता?

  1. स्पष्ट संवाद: कांग्रेस को अपनी स्थिति पर स्पष्ट बयान देना होगा।
  2. विपक्षी एकता: विपक्ष को ईवीएम जैसे मुद्दों पर एकसाथ खड़े होकर मतदाताओं का विश्वास जीतना होगा।
  3. चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी: चुनाव आयोग के साथ संवाद और परीक्षण के जरिए गड़बड़ियों की संभावना को दूर करना होगा।

निष्कर्ष:

टीएमसी के अभिषेक बनर्जी और उमर अब्दुल्ला का यह बयान विपक्षी एकता में सामंजस्य की आवश्यकता को उजागर करता है। ईवीएम जैसे संवेदनशील मुद्दों पर कांग्रेस की स्पष्टता जरूरी है ताकि विपक्षी दलों का सामूहिक उद्देश्य और जनता का विश्वास मजबूत बना रहे।

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