Tuesday, April 29, 2025
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Kharge Critiques Finance Minister Sitharaman’s Policies, Cites Her JNU Background in Rajya Sabha

नई दिल्ली: राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की आर्थिक नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए उनकी जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी) पृष्ठभूमि का संदर्भ दिया। उन्होंने सरकार की नीतियों को जनविरोधी बताते हुए कहा कि सीतारमण की नीतियां आम जनता के बजाय कॉरपोरेट्स और अमीर वर्ग को लाभ पहुंचा रही हैं।


खड़गे के मुख्य आरोप:

  1. आर्थिक नीतियों पर हमला:
    खड़गे ने कहा कि वित्त मंत्री की नीतियां मुद्रास्फीति (महंगाई) और बेरोजगारी की बढ़ती दरों को नियंत्रित करने में विफल रही हैं। उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार गरीबों और मध्यम वर्ग के हितों को नज़रअंदाज़ कर रही है।
  2. जेएनयू पृष्ठभूमि का जिक्र:
    खड़गे ने सीतारमण की जेएनयू पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए व्यंग्यात्मक लहजे में कहा:“आपने जेएनयू से पढ़ाई की है, जहाँ समाजवाद और जन कल्याण की बात सिखाई जाती है। लेकिन आपकी नीतियों में ये विचार कहीं दिखाई नहीं देते।”
  3. विकास की असमानता:
    उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री की नीतियों के कारण अमीर और गरीब के बीच खाई और चौड़ी हो गई है। कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से बड़े उद्योगपतियों को फायदा हुआ है, जबकि आम जनता महंगाई से जूझ रही है।
  4. महंगाई और बेरोजगारी:
    खड़गे ने सवाल उठाया कि सरकार ईंधन की बढ़ती कीमतों, रुपए के अवमूल्यन और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर ठोस समाधान क्यों नहीं दे पा रही है।

वित्त मंत्री सीतारमण का जवाब:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खड़गे के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि:

“सरकार की आर्थिक नीतियां संतुलित विकास पर आधारित हैं। गरीबों और मध्यम वर्ग के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका लाभ करोड़ों लोगों को मिला है।”

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस का यह आरोप निराधार है और सरकार सबका विकास के एजेंडे पर काम कर रही है।


राजनीतिक बहस का असर:

  1. विपक्ष का दबाव:
    विपक्ष लगातार सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाकर आगामी चुनावों में जनता की नाराजगी को भुनाने की कोशिश कर रहा है।
  2. सत्तापक्ष का बचाव:
    भाजपा ने खड़गे के बयान को राजनीतिक हथकंडा बताया और वित्त मंत्री के कार्यकाल को सफल करार दिया।
  3. जनता की प्रतिक्रिया:
    आम जनता में महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे चिंता का विषय बने हुए हैं।

विशेषज्ञों की राय:

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि वित्त मंत्री सीतारमण की नीतियां व्यापक संरचनात्मक सुधार पर आधारित हैं, लेकिन उनके जमीनी प्रभाव में अभी समय लग सकता है। विपक्ष के आरोप इस बात को दर्शाते हैं कि महंगाई और रोजगार के मुद्दे आगामी चुनावों में प्रमुख बन सकते हैं।


निष्कर्ष:

मल्लिकार्जुन खड़गे का वित्त मंत्री सीतारमण पर हमला न केवल उनकी नीतियों पर सवाल उठाता है बल्कि उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि को राजनीतिक बहस का हिस्सा बना देता है। इस बहस से यह स्पष्ट है कि आगामी चुनावों में आर्थिक नीतियां, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे विपक्ष के मुख्य हथियार होंगे।

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