महाकुंभ मेला 2025: आर्थिक अवसर और सांस्कृतिक समृद्धि
महाकुंभ मेला 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश के हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों के लिए भी एक बड़ा आर्थिक अवसर लेकर आया है। प्रयागराज में आयोजित इस महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों की उपस्थिति से यूपी के हस्तशिल्प उद्योग को 35 करोड़ रुपये से अधिक के व्यापार की उम्मीद है।
यूपी का हस्तशिल्प: महाकुंभ के प्रमुख आकर्षण
1. बनारसी साड़ी और वस्त्र
- महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु बनारसी साड़ियों और सिल्क के कपड़ों को खूब पसंद कर रहे हैं।
- बनारस के कारीगरों द्वारा हाथ से बुनी गई साड़ियां और शॉल पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
2. चंदेरी और खादी वस्त्र
- खादी के कपड़े और चंदेरी के पारंपरिक वस्त्र मेले में पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं।
3. पीतल और तांबे के उत्पाद
- मुरादाबाद के पीतल और तांबे के बर्तन, मूर्तियां और धार्मिक पूजा सामग्री बड़ी संख्या में खरीदी जा रही है।
- श्रद्धालु त्रिवेणी संगम से लाए गए जल को रखने के लिए तांबे के कलश खरीद रहे हैं।
4. कांच और लकड़ी के हस्तशिल्प
- फिरोजाबाद के कांच के दीपक और शोपीस, और सहारनपुर की नक्काशीदार लकड़ी के उत्पाद महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र हैं।
5. मिट्टी और टेराकोटा कला
- गोरखपुर की टेराकोटा मूर्तियां और धार्मिक प्रतीक श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।
आर्थिक संभावनाएं और स्थानीय रोजगार
1. स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन
- महाकुंभ में उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के हजारों कारीगर और हस्तशिल्प निर्माता अपने उत्पादों को बेचने के लिए पहुंचे हैं।
- यह आयोजन उन्हें न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है, बल्कि उनकी कला को वैश्विक मंच भी प्रदान कर रहा है।
2. रोजगार सृजन
- इस आयोजन ने स्थानीय स्तर पर रोजगार के कई अवसर पैदा किए हैं।
- मेला प्रबंधन, स्टॉल लगाने, और डिलीवरी सेवाओं में हजारों लोगों को रोजगार मिला है।
सरकार की पहल
1. ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) योजना
- उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने “एक जिला, एक उत्पाद” योजना के तहत महाकुंभ में विभिन्न जिलों के विशिष्ट उत्पादों को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया है।
- ओडीओपी स्टॉल पर बनारसी साड़ी, गोरखपुर की टेराकोटा कला, और मुरादाबाद के पीतल उत्पादों को खासतौर पर बढ़ावा दिया जा रहा है।
2. हस्तशिल्प प्रदर्शनी
- मेला क्षेत्र में एक विशाल हस्तशिल्प प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है, जहां श्रद्धालु और पर्यटक यूपी के विविध हस्तशिल्प उत्पादों को देख और खरीद सकते हैं।
3. डिजिटल समर्थन
- यूपी सरकार ने कारीगरों और दुकानदारों को डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन बिक्री के लिए प्रशिक्षित किया है।
- कई उत्पाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे Flipkart और Amazon पर भी उपलब्ध कराए गए हैं।
पर्यटकों और श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
1. भारतीय संस्कृति की झलक
- “यहां के हस्तशिल्प उत्पादों में भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहरी झलक मिलती है। मैंने यहां से बनारसी साड़ी और टेराकोटा मूर्ति खरीदी है।” – संध्या शर्मा, दिल्ली
2. गुणवत्ता और विविधता
- “यहां के उत्पादों की गुणवत्ता और विविधता देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ। मुरादाबाद के पीतल के बर्तन अद्भुत हैं।” – मार्क जॉनसन, अमेरिका
यूपी के हस्तशिल्प उद्योग को मिलने वाले लाभ
- बढ़ती बिक्री:
महाकुंभ में लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति से कारीगरों को बड़े पैमाने पर अपने उत्पाद बेचने का मौका मिल रहा है। - वैश्विक पहचान:
विदेशी पर्यटकों के माध्यम से यूपी के हस्तशिल्प उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। - स्थानीय कारीगरों का सशक्तिकरण:
महाकुंभ ने स्थानीय कारीगरों और उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद की है।

निष्कर्ष
महाकुंभ मेला 2025 न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश के हस्तशिल्प उद्योग के लिए भी एक सुनहरा अवसर साबित हो रहा है। 35 करोड़ रुपये से अधिक के व्यापार की उम्मीद के साथ, यह आयोजन स्थानीय कारीगरों और पारंपरिक कला को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है।