कोलकाता: हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास, जो वर्तमान में एक कानूनी मामले के चलते कैद में हैं, की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति के मद्देनजर उनके कानूनी सलाहकार कोलकाता पहुंचे हैं। उनके वकील ने संत के लिए उचित चिकित्सा सुविधा की मांग की है और इसे उनका मौलिक अधिकार बताया है।
मामले का संदर्भ:
चिन्मय कृष्ण दास, जो एक प्रमुख हिंदू धर्मगुरु माने जाते हैं, कुछ समय से कानूनी विवाद के चलते जेल में हैं। उनकी कैद के दौरान उनके स्वास्थ्य में गंभीर गिरावट की खबरें सामने आईं, जिसके बाद उनके वकील और अनुयायियों ने उचित मेडिकल ट्रीटमेंट की मांग की।
कानूनी टीम का बयान:
चिन्मय कृष्ण दास के कानूनी सलाहकार ने कोलकाता पहुंचकर मीडिया को बताया:
“चिन्मय कृष्ण दास जी का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है। हम अदालत से यह अपील कर रहे हैं कि उन्हें उचित चिकित्सा देखभाल दी जाए। स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, और यह संविधान द्वारा संरक्षित है।”
मुख्य मुद्दे:
- स्वास्थ्य संकट:
जेल में उचित चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण संत के स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक हो गई है। - मौलिक अधिकारों का उल्लंघन:
कानूनी टीम का कहना है कि किसी भी कैदी को स्वास्थ्य सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता। - जन भावनाएं:
संत के अनुयायी और धार्मिक संगठनों ने सरकार और न्यायपालिका से मानवीय हस्तक्षेप की मांग की है। - वकील की भूमिका:
कानूनी सलाहकार अब कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे, जिसमें चिन्मय कृष्ण दास के लिए तत्काल मेडिकल चेकअप और उपचार की मांग की जाएगी।
संत के अनुयायियों की प्रतिक्रिया:
संत चिन्मय कृष्ण दास के हजारों अनुयायी उनकी सेहत को लेकर आशंकित हैं। सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर लोग प्रशासन से उनकी तुरंत रिहाई और बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की अपील कर रहे हैं।
संविधान के प्रावधान:
- अनुच्छेद 21:
यह जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, जिसमें स्वास्थ्य का अधिकार भी शामिल है। - कैदियों के अधिकार:
भारतीय न्यायपालिका ने कई बार कहा है कि कैदियों को भी मूलभूत मानवाधिकार प्राप्त होते हैं, जिसमें स्वास्थ्य सेवा का अधिकार भी शामिल है।
विशेषज्ञों की राय:
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि:
“स्वास्थ्य का अधिकार सभी को है, चाहे वह कैदी हो या आम नागरिक। अदालतें ऐसे मामलों में मानवीय आधार पर तुरंत कार्रवाई करती हैं।”
क्या आगे होगा:
- कानूनी टीम जल्द ही हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करेगी।
- संत के स्वास्थ्य की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन की संभावना है।
- अदालत का फैसला आने तक प्रशासन पर मानवीय आधार पर चिकित्सा सुविधा देने का दबाव बढ़ सकता है।
निष्कर्ष:
संत चिन्मय कृष्ण दास के कानूनी सलाहकार का कोलकाता पहुंचना इस मामले में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मामला न केवल स्वास्थ्य के अधिकार से जुड़ा है, बल्कि यह मानवीय गरिमा की रक्षा का भी सवाल खड़ा करता है। अदालत से उचित निर्णय की उम्मीद है ताकि संत को समय पर उपचार मिल सके।