जाकिर हुसैन, जिन्हें भारतीय तबला वादन की दुनिया का महानतम कलाकार माना जाता है, ने समय-समय पर अपने इंटरव्यूज़ के जरिए संगीत, कला और व्यक्तिगत जीवन के अनोखे पहलुओं को साझा किया है। उनकी गहराई, विनम्रता और दिलचस्प किस्से उन्हें केवल एक कलाकार नहीं बल्कि संस्कृति और संगीत के दूत के रूप में स्थापित करते हैं। आइए जानते हैं उनके 5 प्रमुख खुलासे जो विभिन्न इंटरव्यूज़ में सामने आए, जिसमें एक अनोखा किस्सा स्ट्रिपटीज़ शो पर उनकी प्रतिक्रिया का भी है।
1. भारतीय संगीत की वैश्विक पहचान पर उनका दृष्टिकोण
जाकिर हुसैन का मानना है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत को दुनिया भर में गर्व और आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत करने की जरूरत है। उनके अनुसार:
“संगीत की कोई सीमा नहीं होती। जब हम अपने संगीत को दुनिया के मंच पर प्रस्तुत करते हैं, तो हम केवल कलाकार नहीं बल्कि अपनी संस्कृति के प्रतिनिधि होते हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनके पिता, उस्ताद अल्लाह रक्खा, और अन्य दिग्गजों ने भारतीय संगीत को पश्चिमी देशों में लोकप्रिय बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
2. संगीत में “सुर” और “ताल” का रिश्ता
जाकिर हुसैन ने अपने इंटरव्यूज़ में अक्सर कहा है कि सुर और ताल का रिश्ता वैसा ही है जैसे शरीर और आत्मा का। उनका मानना है कि सुर (मेलोडी) और ताल (रिदम) एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।
“ताल अकेले कभी संगीत नहीं बनाता। सुर और ताल जब एक साथ मिलते हैं, तभी संगीत की आत्मा जागृत होती है।”
3. जब वह अचानक एक “स्ट्रिपटीज़ शो” में पहुंचे
जाकिर हुसैन का एक दिलचस्प किस्सा तब सामने आया जब उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वह गलती से एक स्ट्रिपटीज़ शो में चले गए थे।
उन्होंने हंसते हुए कहा:
“मुझे लगा कि यह एक जैज़ संगीत का कार्यक्रम है। मैं वहां बड़े उत्साह के साथ गया, लेकिन थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि यह तो कुछ और ही है। मैंने तुरंत वहां से बाहर निकलने में भलाई समझी!”
इस घटना को उन्होंने बड़े मजाकिया और सहज अंदाज़ में पेश किया, जिससे उनकी विनम्रता और व्यक्तित्व की गहराई झलकती है।
4. संगीत साधना में उनके पिता का योगदान
जाकिर हुसैन अक्सर अपने पिता और गुरु उस्ताद अल्लाह रक्खा के योगदान को सम्मानपूर्वक याद करते हैं। वह कहते हैं कि उनके पिता ने केवल तबला वादन ही नहीं सिखाया बल्कि उन्हें अनुशासन, समर्पण और संगीत के प्रति आदर का पाठ भी पढ़ाया।
“मेरे पिता कहते थे कि संगीत केवल अभ्यास नहीं बल्कि एक पूजा है। जब तक तुम्हारा समर्पण सच्चा नहीं होगा, तब तक तुम्हारे वादन में आत्मा नहीं आएगी।”
5. संगीत और आध्यात्मिकता का संगम
जाकिर हुसैन का मानना है कि संगीत एक आध्यात्मिक अनुभव है। उनके लिए तबला बजाना केवल एक कला नहीं बल्कि ध्यान (मेडिटेशन) की प्रक्रिया है।
“जब मैं तबला बजाता हूं, तब मैं खुद को खो देता हूं। उस समय मैं केवल संगीत के प्रवाह में बहता हूं और एक अद्भुत शांति का अनुभव करता हूं।”
उन्होंने कहा कि संगीत उन्हें आत्मा की गहराई तक ले जाता है और उन्हें ईश्वर से जोड़ने का माध्यम बनता है।
निष्कर्ष:
जाकिर हुसैन के इंटरव्यूज़ में उनके संगीत प्रेम, जीवन के प्रति दृष्टिकोण और हल्के-फुल्के किस्सों की झलक मिलती है। स्ट्रिपटीज़ शो का अनोखा अनुभव हो या उनके पिता के योगदान की बातें, हर किस्सा उनके व्यक्तित्व के विनम्र और दिलचस्प पहलू को उजागर करता है। उनके लिए संगीत केवल कला नहीं बल्कि आध्यात्मिक यात्रा है, जो उन्हें हमेशा ऊर्जावान बनाए रखता है।