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Cancer Treatment Milestone: मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर में अल्ट्रा हाई न्यूक्लियर रेडिएशन का इस्तेमाल कर 17 वर्षीय लड़के का न्यूरोब्लास्टोमा कैंसर का इलाज किया गया है. इससे वह पूरी तरह कैंसर फ्री हो गया है.
अल्ट्रा हाई रेडिएशन से 17 साल का लड़का कैंसर मुक्त हो गया है.
हाइलाइट्स
- टाटा मेमोरियल सेंटर में भारत की अब तक की सबसे हाई डोज MIBG रेडियोथेरेपी दी गई.
- 800 मिलीक्यूरी डोज से न्यूरोब्लास्टोमा का इलाज सफल, मरीज अब कैंसर मुक्त है.
- बोन मैरो सेव करके और पांच दिन आइसोलेशन में रखकर किया गया सुरक्षित इलाज.
Ultra High Radiation Treatment: कैंसर एक घातक बीमारी है, जिसका ट्रीटमेंट भी मुश्किल होता है. दुनियाभर में अलग-अलग कैंसर के इलाज के लिए कई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. कैंसर सेल्स को डैमेज करने के लिए रेडिएशन थेरेपी का सहारा लिया जाता है. हाल ही में मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल के ACTREC विभाग में अल्ट्रा हाई रेडिएशन थेरेपी के जरिए एक 17 साल के लड़के की जान बताई गई है. इस लड़के को रेयर और एग्रेसिव कैंसर न्यूरोब्लास्टोमा था. इससे बचाने के लिए डॉक्टर्स ने 131-Iodine MIBG थेरेपी दी. यह थेरैपी 800 मिलीक्यूरी (millicurie) डोज की थी, जो अब तक भारत में किसी मरीज को दी गई सबसे ऊंच रेडियोएक्टिव डोज है. यह डोज निर्धारित सीमा 300 mCi से काफी ज्यादा थी.
इस थेरेपी की योजना तीन महीने पहले से बनाई जा रही थी, जिसमें अमेरिका के मेमोरियल स्लोअन कैटेरिंग कैंसर सेंटर के डॉक्टर्स की सलाह भी ली गई. एटमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (AERB) से परमिशन लेने के बाद इस थेरेपी की तैयारी की गई. इसके लिए अस्पताल में एक स्पेशल रेडिएशन आइसोलेशन वार्ड बनाया गया, ताकि मरीज के इलाज के दौरान बाकी किसी भी मरीज को रेडिएशन का खतरा न हो. इतनी तीव्र रेडियोथेरेपी का सबसे बड़ा खतरा होता है बोन मैरो सप्रेशन, जिससे शरीर में रक्त कोशिकाएं बननी बंद हो जाती हैं. इसे रोकने के लिए डॉक्टर्स ने पहले मरीज का बोन मैरो निकालकर सुरक्षित रख लिया और फिर इलाज के बाद उसे वापस शरीर में डाल दिया गया. यह बेहद सावधानी से किया गया.
इलाज के दौरान रेडिएशन इफेक्ट के कारण मरीज को पूरी तरह से 5 दिनों के लिए अकेले कमरे में आइसोलेट किया गया. डॉक्टर्स ने इस दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखा और किसी भी संपर्क को न्यूनतम रखते हुए इलाज पूरा किया. इलाज के बाद लड़के की हालत में चमत्कारी सुधार देखा गया और अब वह कैंसर मुक्त है. डॉक्टर्स ने उसे पूरी तरह स्वस्थ घोषित किया है और वह अब घर लौट चुका है. यह उपलब्धि भारतीय मेडिकल साइंस में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. टाटा मेमोरियल सेंटर के डॉक्टर्स ने साबित किया कि सही योजना, विशेषज्ञता और सहयोग से जटिल बीमारियों का भी इलाज संभव है. यह केस भविष्य में ऐसे कई कैंसर रोगियों के लिए उम्मीद की किरण बनेगा.

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें
अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें