Saturday, June 28, 2025
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आपका पैसा- FD कराना क्यों है घाटे का सौदा: पूरी सेविंग नहीं, सिर्फ थोड़ा रखें FD में, सुरक्षित निवेश व बेहतर रिटर्न के अन्य विकल्प


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4 घंटे पहलेलेखक: शशांक शुक्ला

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हममें से कई सारे लोग सालों-साल मेहनत करते हुए अपने सेविंग अकाउंट में पैसे जोड़ते हैं। जब कुछ पैसे इकट्ठा हो जाते हैं, तो उसकी FD (फिक्स डिपॉजिट) करा लेते हैं।

भारत में ज्यादातर लोग FD को सबसे आसान और सुरक्षित ऑप्शन मानते हैं। लेकिन क्या FD वाकई आपके पैसे के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है? कई बार FD कराना घाटे का सौदा हो सकता है, खासकर अगर आप ज्यादा रिटर्न चाहते हैं।

ऐसे में आज हम आपका पैसा कॉलम में जानेंगे कि-

  • FD के क्या नुकसान हैं?
  • आपको अपनी पूरी सेविंग्स FD में क्यों नहीं डालनी चाहिए?
  • FD के अलावा दूसरे बेहतर और सुरक्षित इन्वेस्टमेंट विकल्प क्या हैं।

सवाल- FD क्या है और यह कैसे काम करता है?

जवाब- FD एक ऐसा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है जिसमें आप अपना पैसा बैंक में एक तय समय के लिए जमा करते हैं। यह समय 7 दिन से लेकर 10 साल तक हो सकता है।

बदले में, बैंक आपको एक तय ब्याज दर पर रिटर्न देता है। उदाहरण के लिए, अगर आप 10,000 रुपए को 1 साल के लिए 6% ब्याज दर पर FD में डालते हैं, तो एक साल बाद आपको 10,600 रुपए मिलेंगे।

FD के फायदे

  • ब्याज दर तय होती है, तो मार्केट के उतार-चढ़ाव का कोई असर नहीं पड़ता।
  • भारत में DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) 5 लाख रुपए तक के डिपॉजिट को इंश्योर करता है, यानी अगर बैंक डिफॉल्ट करता है, तो भी 5 लाख रुपए की राशि तक आपका पैसा सुरक्षित है।

लेकिन हर चीज की तरह FD के भी कुछ नुकसान हैं, जिनके बारे में आपको जानना जरूरी है।

सवाल- FD के नुकसान क्या हैं? यह घाटे का सौदा क्यों हो सकता है?

जवाब- FD को लेकर कई बार लोग सोचते हैं कि यह सबसे सेफ और बेस्ट ऑप्शन है, लेकिन कुछ कारणों से यह घाटे का सौदा हो सकता है। आइए इन नुकसान को ग्राफिक के जरिए समझते हैं।

इस तरह के नुकसान की वजह से FD कई बार आपके पैसे को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका नहीं होता है। खासकर अगर आप लॉन्ग-टर्म में ज्यादा रिटर्न चाहते हैं, तो कुछ विकल्प FD से बेहतर साबित हो सकते हैं।

सवाल- पूरी सेविंग्स FD में क्यों नहीं निवेश करना चाहिए?

जवाब- अपनी पूरी सेविंग्स FD में डालना समझदारी नहीं है। FD उन लोगों के लिए अच्छा है, जो शॉर्ट-टर्म गोल्स (1-3 साल) के लिए पैसा सुरक्षित रखना चाहते हैं। खुद के लिए इमरजेंसी फंड बनाना चाहते हैं और रिस्क उठाने से बचना चाहते हैं।

अगर आप लॉन्ग-टर्म में अपने पैसे को बढ़ाना चाहते हैं, तो अपनी सेविंग्स का सिर्फ एक हिस्सा FD में डालें। बाकी पैसा आप उन इन्वेस्टमेंट ऑप्शन्स में लगा सकते हैं जो ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं।

ऐसा करके आप रिस्क को बैलेंस कर सकते हैं। साथ ही इन्फ्लेशन को मात देने सकते हैं। इससे आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड होता है। यानी अगर एक इन्वेस्टमेंट में नुकसान हो, तो दूसरा उसे कवर कर सकता है।

उदाहरण के लिए, अगर आपके पास 5 लाख रुपए हैं, तो आप 2 लाख रुपए FD में डाल सकते हैं ताकि वह सुरक्षित रहे। बाकी 3 लाख रुपए को आप म्यूचुअल फंड्स, PPF या कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में डाल सकते हैं। इससे आप सेफ्टी और ग्रोथ दोनों पा सकते हैं।

सवाल- निवेश के अन्य विकल्प क्या हैं, जो लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं?

जवाब- अब सवाल यह है कि FD के अलावा कौन-कौन से ऑप्शन्स हैं, जो सुरक्षित हों और बेहतर रिटर्न दे सकते हों। एक्सपर्ट्स कई ऐसे इन्वेस्टमेंट ऑप्शन्स सुझाते हैं जो FD से ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं। हालांकि, इनमें कुछ विकल्प में जोखिम हो सकता है। आइए इनके बारे में ग्राफिक्स के जरिए समझते हैं।

म्यूचुअल फंड्स

  • क्या है: म्यूचुअल फंड्स में कई लोगों का पैसा इकट्ठा करके स्टॉक्स, बॉन्ड्स, या दोनों में इन्वेस्ट किया जाता है। इसे प्रोफेशनल फंड मैनेजर चलाते हैं।
  • फायदा: लॉन्ग-टर्म में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स 10-12% तक रिटर्न दे सकते हैं, जो FD से कहीं ज्यादा है। इसके जरिए आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा लगा सकते हैं, जिससे रिस्क कम होता है।
  • नुकसान: मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होते हैं और रिस्क ज्यादा होता है।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)

  • क्या है: यह एक गवर्नमेंट-बैक्ड स्कीम है, जो टैक्स-फ्री ब्याज देती है। अभी ब्याज दर 7.10% है।
  • फायदा: पूरी तरह सुरक्षित, टैक्स-फ्री रिटर्न, और Section 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक टैक्स डिडक्शन।
  • नुकसान: 15 साल का लॉक-इन पीरियड होता है। हालांकि, 7वें वित्तीय वर्ष से आंशिक निकासी की अनुमति होती है।

कॉरपोरेट बॉन्ड्स

  • क्या है: कंपनियां या NBFCs (Non-Banking Financial Companies) द्वारा जारी किए गए डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स, जो FD से ज्यादा ब्याज देते हैं।
  • फायदा: 8-9% तक रिटर्न, जो बैंक FD से ज्यादा है। डायवर्सिफिकेशन में मदद करता है।
  • नुकसान: थोड़ा रिस्की, क्योंकि कंपनी डिफॉल्ट कर सकती है। निवेश से पहले क्रेडिट रेटिंग चेक करना जरूरी है।

रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs)

  • क्या है: रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करने का तरीका, जिसमें आप स्टॉक एक्सचेंज पर REITs की यूनिट्स खरीदते हैं।
  • फायदा: रेंटल इनकम और कैपिटल एप्रिसिएशन मिलता है। पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करता है।
  • नुकसान: रियल एस्टेट मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित हो सकता है।

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)

  • क्या है: म्यूचुअल फंड्स का एक प्रकार जो इक्विटीज में इन्वेस्ट करता है और टैक्स बचाने में मदद करता है।
  • फायदा: Section 80C के तहत टैक्स डिडक्शन, 3 साल का लॉक-इन पीरियड (टैक्स-बचत स्कीम्स में सबसे कम), और 10-12% रिटर्न की संभावना होती है।
  • नुकसान: इक्विटी मार्केट के उतार-चढ़ाव के रिस्क से प्रभावित होता है।

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)

  • क्या है: रिटायरमेंट के लिए बनाया गया इन्वेस्टमेंट प्लान, जिसमें आप इक्विटी, बॉन्ड्स, और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
  • फायदा: टैक्स डिडक्शन (Section 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपए अतिरिक्त) और रिटायरमेंट पर टैक्स-फ्री निकासी का ऑप्शन।
  • नुकसान: लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट है। ऐसे में पूरी राशि तुरंत नहीं निकाल सकते हैं।

सवाल- अपनी सेविंग्स को कैसे डायवर्सिफाई करें?

जवाब- अब आइए एक प्रैक्टिकल उदाहरण देखते हैं कि आप अपनी सेविंग्स को कैसे डायवर्सिफाई कर सकते हैं। मान लीजिए आपके पास 5 लाख रुपए हैं, तो आप इन्वेस्टमेंट के लिए इसे आप अलग-अलग जगह लगा सकते हैं। इस तरह बांट सकते हैं।

फिक्स डिपॉजिट (FD)

  • राशि: 2 लाख रुपए
  • उद्देश्य: शॉर्ट-टर्म लक्ष्य या आपातकालीन निधि
  • संभावित रिटर्न: 6% प्रति वर्ष
  • पीरियड: 2 साल

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)

  • राशि: 1.5 लाख रुपए
  • उद्देश्य: लॉन्ग-टर्म, टैक्स-फ्री रिटर्न
  • संभावित रिटर्न: 7.1% प्रति वर्ष
  • पीरियड: 15 साल

म्यूचुअल फंड

  • राशि: 1.5 लाख रुपए (1 लाख रुपए इक्विटी, 50,000 रुपए डेब्ट)
  • उद्देश्य: ग्रोथ और डायवर्सिफिकेशन
  • संभावित रिटर्न: 10-12% (इक्विटी), 7-8% (डेब्ट)
  • पीरियड: 5-10 साल या अधिक

हालांकि, यह सिर्फ एक उदाहरण है। रिटर्न तय ब्याज दर और बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। हालांकि, आप इससे डायवर्सिफिकेशन को समझ सकते हैं। किसी भी निवेश से पहले अपने फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

सवाल- इन्वेस्टमेंट चुनने से पहले क्या ध्यान रखें?

जवाब- निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आमतौर पर लोग अपनी समझ के आधार पर निवेश करने लगते हैं। ऐसे में कोई भी इन्वेस्टमेंट चुनने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

रिस्क टॉलरेंस: आप कितना रिस्क ले सकते हैं? अगर आप रिस्क से बचना चाहते हैं, तो PPF या FD बेहतर हैं। अगर थोड़ा रिस्क ले सकते हैं, तो म्यूचुअल फंड्स या ELSS चुनें।

पीरियड: आप कितने समय के लिए इन्वेस्ट करना चाहते हैं? शॉर्ट-टर्म के लिए FD, लॉन्ग-टर्म के लिए PPF या म्यूचुअल फंड्स।

फाइनेंशियल गोल्स: आपका लक्ष्य क्या है? रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई, या घर खरीदना? अपने गोल्स के हिसाब से इन्वेस्टमेंट चुनें।

टैक्स इम्प्लिकेशन्स: कुछ ऑप्शन्स जैसे PPF और ELSS टैक्स बेनिफिट्स देते हैं, जबकि FD का ब्याज टैक्सेबल होता है।

रिसर्च और सलाह: इन्वेस्टमेंट करने से पहले हमेशा रिसर्च करें और अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें।

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