साइबर दुनिया में बढ़ता खतरा
वर्तमान डिजिटल युग में रैनसमवेयर हमले (ransomware attacks 2025) तेजी से खतरनाक और जटिल होते जा रहे हैं। आज के समय में यह सिर्फ किसी संगठन के डेटा को एन्क्रिप्ट करने का मसला नहीं रह गया है। रैनसमवेयर अपराधी अब डबल एक्सटॉर्शन (double extortion) तकनीक का उपयोग कर रहे हैं जिसमें वे न केवल आपके डेटा को लॉक करते हैं, बल्कि उसे चुराकर सार्वजनिक करने की धमकी भी देते हैं। यह नई रणनीति न केवल व्यवसायों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को भी भारी आघात पहुंचा रही है। The Velocity News के विश्लेषकों के अनुसार, 2025 में इस खतरनाक तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है जिससे हमारे डिजिटल समाज के लिए यह एक बड़ा सतर्कता विषय बन चुका है.
डबल एक्सटॉर्शन: नई लड़ाई का मैदान
डबल एक्सटॉर्शन का मतलब है कि हमलावर पहले डेटा को एन्क्रिप्ट (रक्षा) करते हैं और फिर उससे संवेदनशील जानकारी चुराकर उसे सार्वजनिक करने की धमकी देते हैं। ऐसे हमले में, पीड़ित संगठन को दो बार धमकी मिलती है—रैनसम भुगतान न करने पर डेटा को रिलीज कर दिया जाएगा और साथ ही सिस्टम संचालित करना भी असंभव हो जाता है। उदाहरण के तौर पर सितंबर 2025 में भारत की एक कंपनी पर Yurei नामक ransomware ग्रुप ने यह हमला किया, जिसमें डेटा चोरी के साथ-साथ पब्लिक करने की धमकी भी दी गई थी। ये हमलावर अब ओपन-सोर्स टूल्स का इस्तेमाल करके आसानी से इस प्रकार के हमले करते हैं.
2025 में रैनसमवेयर का वैश्विक परिदृश्य
2025 के आंकड़े बताते हैं कि आधे से ज्यादा रैनसमवेयर हमले ऐसे क्षेत्रों पर हुए जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से महत्वपूर्ण हैं—जैसे स्वास्थ्य, ऊर्जा, वित्त और परिवहन। Global स्तर पर इन हमलों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 34% बढ़ी है। अमेरिका सबसे प्रमुख लक्ष्य रहा, लेकिन भारत समेत एशिया के अन्य हिस्से भी इन हमलों से प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये हमले न केवल व्यवसायों बल्कि देश की सुरक्षा और लोगों की निजी जिंदगी को भी खतरे में डालते हैं। इन हमलों के कारण औसत पुनर्प्राप्ति लागत $1.5 मिलियन तक पहुंच गई है, जो एक बड़े आर्थिक बोझ का संकेत है.
भारत में रैनसमवेयर हमले: आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
भारत में भी रैनसमवेयर हमले बढ रहे हैं, खासकर बैंकों, सरकारी संस्थानों और बड़े कॉर्पोरेट्स पर। सितंबर 2025 में RansomEXX नामक समूह ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर हमला कर बैंकिंग कार्य प्रणाली को बाधित किया। इस हमले ने न केवल वित्तीय हानि पहुंचाई, बल्कि ग्राहकों की निजी जानकारी को भी खतरे में डाला। ऐसे हमलों के कारण नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा पर सवाल उठते हैं। भारत में इस किस्म के साइबर अपराध से निपटने के लिए कड़े साइबर सुरक्षा नियम और जागरूकता जरूरी हो गई है.
रैनसमवेयर हमला कैसे होता है?
आधुनिक साइबर अपराधी अब परंपरागत हैकिंग की बजाय वैध आईटी टूल्स (जैसे PowerShell, Remote Desktop Protocol) का इस्तेमाल करते हैं, ताकि वे सिस्टम में बिना पकड़े प्रवेश कर सकें। खासकर, वे कर्मचारी के चोरी हुए क्रेडेंशियल के जरिए सीधे लॉग इन कर जाते हैं। यह तरीका साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिए बड़ा खतरा बन गया है। इसके अलावा अवैध रूप से अनपैच्ड सॉफ़्टवेयर का फायदा उठाकर भी ये अपराधी नेटवर्क में घुसपैठ करते हैं। इसलिए, व्यवसायों को अपनी सुरक्षा नीतियों को अपडेट करते रहना जरूरी है.
प्रेरक उदाहरण: रैनसमवेयर हमलों के भयंकर परिणाम
2025 में बहुत से बड़े नाम इस हमले का शिकार हुए हैं। जैसे कि Ingram Micro, जो तकनीक वितरण का एक बड़ा उद्यम है, को जुलाई 2025 में SafePay नामक समूह ने निशाना बनाया। 3.5 टेराबाइट्स डेटा चोरी हुआ और कंपनी को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। इसी तरह Sunflower Medical Group और NASCAR जैसे नामी संगठनों के व्यक्तिगत डेटा की चोरी और खुलासा की धमकी ने लोगों की निजता और सुरक्षा की चिंता बढ़ा दी। इन उदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता है कि रैनसमवेयर हमले केवल तकनीकी नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्या भी बन गए हैं.
क्या करें? बचाव और सुरक्षा के उपाय
- सबसे जरूरी है कि सभी सिस्टम और सॉफ़्टवेयर को समय-समय पर अपडेट करें।
- मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) लागू करें जिससे चोरी हुए क्रेडेंशियल के इस्तेमाल को रोका जा सके।
- नियमित बैकअप प्रणाली बनाएं और उसे ऑफलाइन जगहों पर सुरक्षित रखें।
- कर्मचारियों को साइबर सुरक्षा जागरूकता ट्रेनिंग दें।
- नियमित रूप से नेटवर्क सिक्योरिटी ऑडिट कराएं और कमजोरियों को तुरंत ठीक करें।
- किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर फौरन साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ से संपर्क करें।
The Velocity News के विशेषज्ञों का मानना है कि इन रणनीतियों को अपनाकर हम इस बढ़ते खतरे से बच सकते हैं और डिजिटल दुनिया को सुरक्षित रख सकते हैं.
निष्कर्ष
रैनसमवेयर हमले अब केवल एक तकनीकी चुनौती नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा संकट बन चुके हैं। डबल एक्सटॉर्शन और डेटा रिलीज की धमकियों ने इस खतरे का दायरा बहुत बड़ा कर दिया है। हर व्यक्ति और संगठन को इस खतरे की गंभीरता को समझते हुए, अपने-अपने स्तर पर कार्रवाई करनी होगी। आपकी जागरूकता और तत्परता ही इस आपदा को टालने का सबसे बड़ा हथियार है। कृपया इस लेख को शेयर करें, अपने विचार कमेंट में बताएं, और ज्यादा जानकरी के लिए The Velocity News से संपर्क करें।
For more info contact: The Velocity News Cybersecurity Desk
Illustration depicting ransomware attack showing a laptop screen with encrypted data warning and hackers demanding ransom; includes depiction of double extortion with threat of data release.












