Surya dev Aarti: रविवार का दिन विशेष रूप से भगवान सूर्यदेव की पूजा के लिए समर्पित होता है. सूर्यदेव को जगत का पालनकर्ता और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है. जो व्यक्ति रविवार को श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत रखते हैं और सूर्यदेव की पूजा करते हैं, उन्हें आरोग्यता, यश, मान-सम्मान और जीवन में तेजस्विता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
इस दिन की पूजा की एक विशेष विधि होती है. प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें, स्वच्छ लाल या केसरिया वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्यदेव को तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, रोली, अक्षत और गुड़ मिलाकर अर्घ्य अर्पित करें. साथ ही “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को नमन करें.
पूजा में गुड़, गेहूं, लाल चंदन और लाल पुष्पों का प्रयोग करें. सूर्यदेव के लिए गेहूं या गुड़ का दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन जरूरतमंदों को वस्त्र या भोजन देने से सूर्यदेव विशेष प्रसन्न होते हैं.
पूजन करते समय तन, मन और वाणी से पवित्र रहकर सूर्यदेव से स्वास्थ्य, सफलता और यश की कामना करें. रविवार के व्रत में सात्विक आहार ग्रहण करें, जिसमें नमक, मसाले और तले हुए भोजन से बचना चाहिए. अधिकांश लोग उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद फलाहार या हल्का भोजन करते हैं.
पूजन के पश्चात “सूर्य अष्टक” या “आदित्य हृदय स्तोत्र” का पाठ करें, जिससे व्रत पूर्ण होता है और विशेष फल की प्राप्ति होती है. सूर्यदेव की कृपा से जीवन में नई ऊर्जा, आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संचार होता है.
ॐ जय सूर्य भगवान
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी।
तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे।
तुम हो देव महान।।
ॐ जय सूर्य भगवान..
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।
सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा।
करे सब तब गुणगान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते।
गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में।
हो तव महिमा गान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते।
आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी।
दे नव जीवनदान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार।
महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते।
बल, बुद्धि और ज्ञान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने।
तुम ही सर्वशक्तिमान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल।
तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी।
शुभकारी अंशुमान।।
ॐ जय सूर्य भगवान…
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