नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की नीतियों और उनकी जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) पृष्ठभूमि पर काव्यात्मक अंदाज में तीखा तंज कसा। राज्यसभा में बजट और आर्थिक मुद्दों पर बहस के दौरान खड़गे का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया।
खड़गे का काव्यात्मक तंज:
खड़गे ने वित्त मंत्री की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा:
“जेएनयू की शिक्षा पाई,
मगर जनता का दर्द न समझ पाई।
अर्थव्यवस्था में बही नई धार,
पर आम आदमी को नहीं मिली राहत की बयार।”
इस टिप्पणी के जरिए खड़गे ने निर्मला सीतारमण की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए और यह संकेत दिया कि उनकी नीतियां जनता की वास्तविक समस्याओं का हल करने में नाकाम रही हैं।
जेएनयू का संदर्भ:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी उच्च शिक्षा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से प्राप्त की है। जेएनयू लंबे समय से अपने अकादमिक और वैचारिक माहौल के लिए जाना जाता है और अक्सर यह राजनीतिक बहसों का केंद्र भी रहता है।
- खड़गे ने सीतारमण की पृष्ठभूमि को उनके वर्तमान आर्थिक दृष्टिकोण से जोड़ा और उन पर नीतिगत असंवेदनशीलता का आरोप लगाया।
विपक्ष के आरोप:
- महंगाई और बेरोजगारी:
खड़गे ने सरकार पर महंगाई और बेरोजगारी पर नियंत्रण न पाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बजट में आम आदमी को कोई राहत नहीं दी गई। - अर्थव्यवस्था का असंतुलन:
खड़गे का कहना था कि अर्थव्यवस्था का विकास सिर्फ कागज़ों पर है, जबकि मध्यम वर्ग और गरीबों की हालत लगातार खराब हो रही है। - नीतियों का प्रभाव:
उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां कारपोरेट केंद्रित हैं और आम आदमी के लिए इनका कोई लाभ नहीं है।
वित्त मंत्री सीतारमण की प्रतिक्रिया:
निर्मला सीतारमण ने खड़गे की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा:
“सरकार की नीतियां हर वर्ग के लिए हैं। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत है, और वैश्विक संकट के बावजूद भारत तेजी से विकास कर रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष को अर्थशास्त्र की सच्चाई समझनी चाहिए और बिना तथ्यों के आलोचना नहीं करनी चाहिए।
संसद में माहौल:
खड़गे की इस काव्यात्मक टिप्पणी के बाद संसद में हंगामा शुरू हो गया। जहां विपक्षी सांसदों ने खड़गे के बयान का समर्थन किया, वहीं भाजपा सांसदों ने इसे “अवांछित और गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया:
- विरोध और समर्थन:
सोशल मीडिया पर खड़गे की इस टिप्पणी पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।- कुछ लोगों ने इसे “रचनात्मक आलोचना” बताया।
- भाजपा समर्थकों ने इसे “व्यक्तिगत हमला” करार दिया।
- #KhargeVsSitharaman ट्रेंड:
ट्विटर और अन्य प्लेटफार्म्स पर #KhargeVsSitharaman ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय:
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खड़गे का यह बयान विपक्ष की आक्रामक रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाने के लिए काव्यात्मक लहजे का इस्तेमाल कर जनता तक एक संदेश पहुंचाने की कोशिश की है।
निष्कर्ष:
मल्लिकार्जुन खड़गे का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की जेएनयू पृष्ठभूमि पर काव्यात्मक तंज न केवल राजनीतिक बहस का कारण बना है, बल्कि यह सरकार की आर्थिक नीतियों पर विपक्ष की गंभीर आलोचना को भी दर्शाता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बहस का देश की आर्थिक नीतियों और राजनीतिक माहौल पर क्या प्रभाव पड़ता है।