भारत और जापान ने हाल ही में आयोजित उच्चस्तरीय रणनीतिक वार्ता में अपने रक्षा संबंधों को और गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों देशों ने क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त प्रयासों पर जोर दिया।
वार्ता के मुख्य बिंदु:
- रक्षा सहयोग को बढ़ावा:
- भारत और जापान ने सैन्य अभ्यास, रक्षा उत्पादन और प्रौद्योगिकी साझेदारी को मजबूत करने का निर्णय लिया।
- दोनों देशों की सेनाएँ संयुक्त युद्धाभ्यास करेंगे, जिससे सैनिक प्रशिक्षण और रणनीतिक समन्वय को बढ़ावा मिलेगा।
- इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा:
- दोनों देशों ने स्वतंत्र और मुक्त इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की आवश्यकता पर बल दिया।
- समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत और जापान नौसैनिक सहयोग को और बढ़ाएँगे।
- रक्षा प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान:
- दोनों देशों ने रक्षा उपकरण और नई तकनीक के उत्पादन में सहयोग करने की योजना बनाई।
- भारत की मेक इन इंडिया पहल के तहत जापान से रक्षा निवेश को आमंत्रित किया गया।
- आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी:
- वार्ता में रक्षा के अलावा साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य उन्नत तकनीकों पर भी सहयोग पर चर्चा हुई।
महत्वपूर्ण घोषणाएँ:
- दोनों देशों ने अपने मिलिट्री डायलॉग को और बढ़ाने के लिए 2+2 मंत्री स्तरीय बैठक की प्रतिबद्धता दोहराई।
- “मालाबार नौसैनिक अभ्यास” जैसे बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों में संयुक्त भागीदारी की पुष्टि की गई।
भारत और जापान के रक्षा संबंधों का महत्व:
- सामरिक साझेदारी:
- भारत और जापान की यह साझेदारी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में एक अहम कदम है।
- समुद्री सुरक्षा:
- जापान और भारत दोनों के लिए हिंद महासागर और पूर्वी एशिया में समुद्री मार्गों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- रक्षा विनिर्माण:
- जापान की उन्नत रक्षा तकनीक और भारत के उद्योग आधार का संयोजन रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देगा।
नेताओं के बयान:
- भारत के रक्षा मंत्री ने कहा:
“भारत और जापान के बीच रक्षा संबंध केवल रणनीतिक ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी आवश्यक हैं।” - जापान के रक्षा मंत्री ने कहा:
“भारत हमारे लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है। हम दोनों देश इंडो-पैसिफिक में शांति और स्थिरता के लिए मिलकर काम करेंगे।”
क्षेत्रीय प्रतिक्रिया:
- चीन की प्रतिक्रिया:
- चीन ने भारत और जापान की बढ़ती रक्षा साझेदारी पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए “असंतुलन” बताया।
- अमेरिका का समर्थन:
- अमेरिका ने भारत-जापान रक्षा सहयोग का समर्थन किया और इसे इंडो-पैसिफिक रणनीति के लिए महत्वपूर्ण बताया।
- ASEAN देशों की प्रतिक्रिया:
- दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने इस साझेदारी का स्वागत किया, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा मजबूत होगी।
भविष्य की दिशा:
- दोनों देश आने वाले महीनों में संयुक्त सैन्य अभ्यास और रक्षा उत्पादन परियोजनाओं को गति देंगे।
- तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए रक्षा अनुसंधान और साइबर सुरक्षा में सहयोग पर काम करेंगे।
निष्कर्ष:
भारत और जापान के बीच यह सामरिक रक्षा सहयोग एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा संबंध वैश्विक भू-राजनीति में नए अवसर पैदा करेंगे और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन स्थापित करेंगे।