Wednesday, May 14, 2025
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Happy Mother’s Day 2025: मां के लिए मशहूर शायरों और वेद-पुराणों ने जो कहा, वो आंखें नम कर देगा


Happy Mother’s Day 2025: जिस तरह पानी से पानी पर पानी लिखना मुश्किल है, उसी तरह मां के प्यार और अहसास को शब्दों में पिरोना भी मुश्किल है. मां की ममता को तो बस महसूस किया जा सकता है. किसी के बिल्कुल ठीक कहा है कि मां देखना कुछ ऐसा है जैसे ईश्वर को देखना.

मां की परिभाषा शब्दों से परे है. मां से हम है, मां सुखद अनुभूति है. इसलिए कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में मातृ ऋण से मुक्ति नहीं पा सकता है. हमारी भारतीय संस्कृति में तो मां को जननी और जन्मभूमि का स्थान प्राप्त है. ऐसा वर्णन वेद -पुराणों में किया गया है. इसी के साथ कुछ मशहूर कवियों और शायरों ने भी अपनी कलम से मां की महिमा का बखान करने की कोशिश, जिसमें गहरे अर्थ छिपे हैं-

वेद-पुराण और मां

नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गति:।
नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया।।

अर्थ:- मां की तरह संसार में कोई छाया नहीं, मां के जैसा कोई सहारा नहीं. मां के जैसा रक्षक नहीं और मां की जैसी कोई प्रिय चीज भी नहीं.

अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥

अर्थ- रामजी लक्ष्मण से कहते हैं, भले ही यह लंका सोने से निर्मित हो. लेकिन फिर भी इसमें मेरी कोई रुचि नहीं. क्योंकि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है.

आपदामापन्तीनां हितोऽप्यायाति हेतुताम्। 
मातृजङ्घा हि वत्सस्य स्तम्भीभवति बन्धने।।

अर्थ:-जब परेशानी आने वाले होती है तब हितकारी भी उसमें कारण बन जाता है. एक बछड़े को बांधने के लिए मां की जांघ ही खम्भे का कार्य करती है.

मेरी मां…..

मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता बन जाऊं
मां से इस तर लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं
-मुनव्वर राना

मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार
दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार
-निदा फाजली

शहर में आकर पढ़ने वाले भूल गए
किस की मां ने कितना जेवर बेचा था
-असलम कोलसरी

एक मुद्दत से मेरी मां नहीं सोई ‘ताबिश’
मैंने इक बार कहा था मुझे लगता है
-अब्बास ताबिश

वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने मां पुकारा मुझे
मैं एक शाख से कितना घना दरख्त हुई
-हुमैरा रहमान

मुद्दतों बाद मयस्सर हुआ मां का आंचल
मुद्दतों बाद हमें नींद सुहानी आऊ
-इकबाल अशहर

हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी
हम गरीब थे, ये बस हमारी मां जानती थी..
-मुनव्वर राना

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