चीन की अर्थव्यवस्था, जो दशकों से विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रही है, अब आर्थिक मंदी के संकेत दे रही है। वैश्विक स्तर पर व्यापारिक दबाव, आंतरिक चुनौतियां और बदलते भू-आर्थिक परिदृश्य के चलते चीन को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
आर्थिक मंदी के प्रमुख कारण
1. वैश्विक मांग में गिरावट
- दुनिया भर में महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता के कारण चीनी उत्पादों की मांग में गिरावट आई है।
- यूरोप और अमेरिका जैसे बड़े बाजारों में आर्थिक संकट ने चीन के निर्यात को प्रभावित किया है।
2. रियल एस्टेट संकट
- चीन का रियल एस्टेट सेक्टर, जो देश की अर्थव्यवस्था का लगभग 25% हिस्सा है, गंभीर संकट से गुजर रहा है।
- प्रमुख कंपनियां जैसे Evergrande और Country Garden की वित्तीय स्थिति कमजोर होने से बाजार में निवेशकों का विश्वास कम हो गया है।
3. घरेलू उपभोग में कमी
- चीन में घरेलू खर्च और उपभोग में गिरावट देखने को मिली है।
- बेरोजगारी दर, विशेषकर युवाओं में, बढ़ती जा रही है, जिससे आर्थिक गतिविधि धीमी पड़ रही है।
4. भू-राजनीतिक तनाव
- अमेरिका और चीन के बीच टेक्नोलॉजी और ट्रेड वार ने वैश्विक व्यापार पर असर डाला है।
- कई देशों ने चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए “चीन-प्लस-वन” रणनीति अपनाई है।
5. विदेशी निवेश में गिरावट
- वैश्विक कंपनियां चीन में बढ़ते नियामक दबाव और अस्थिर निवेश माहौल के कारण निवेश कम कर रही हैं।
- भारत, वियतनाम और अन्य दक्षिण एशियाई देश अब विकल्प के तौर पर उभर रहे हैं।
आर्थिक मंदी के संकेत
- GDP ग्रोथ में कमी:
- चीन की GDP वृद्धि दर 2023-24 में उम्मीद से कम 5% के आसपास रहने का अनुमान है।
- औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती:
- मैन्युफैक्चरिंग और फैक्ट्री आउटपुट में धीमी वृद्धि दर्ज की गई है।
- रियल एस्टेट बाजार में निवेश की कमी:
- नई प्रॉपर्टी की बिक्री और निर्माण गतिविधियां घट रही हैं।
- बेरोजगारी दर:
- युवाओं में बेरोजगारी की दर लगभग 20% के करीब पहुंच गई है।
वैश्विक प्रभाव
- सप्लाई चेन: चीन की आर्थिक मंदी से वैश्विक सप्लाई चेन पर असर पड़ सकता है।
- कमोडिटी मार्केट: चीन द्वारा आयात की गई वस्तुओं (जैसे कच्चा तेल, मेटल्स) की मांग घटने से कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
- एशियाई अर्थव्यवस्थाएं: अन्य एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था, जो चीन से व्यापार पर निर्भर हैं, प्रभावित हो सकती हैं।
चीन का समाधान और आगे की रणनीति
- घरेलू खपत को बढ़ावा:
- सरकार द्वारा नीतियां बनाई जा रही हैं ताकि लोग अधिक खर्च करें और उपभोग में वृद्धि हो।
- तकनीकी निवेश:
- चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्रीन एनर्जी और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में निवेश कर रहा है।
- वैश्विक साझेदारी:
- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसे प्रोजेक्ट्स के जरिए चीन नए बाजारों तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा है।
- रियल एस्टेट सेक्टर का पुनर्गठन:
- सरकार संकटग्रस्त रियल एस्टेट कंपनियों को समर्थन दे रही है और सेक्टर में स्थिरता लाने की कोशिश कर रही है।
निष्कर्ष:
चीन को वर्तमान में कई घरेलू और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। रियल एस्टेट संकट, वैश्विक व्यापार में गिरावट और घरेलू उपभोग में कमी चीन की अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल रहे हैं। हालांकि, तकनीकी निवेश और नई नीतियों के माध्यम से चीन स्थिति में सुधार की कोशिश कर रहा है। इस मंदी का प्रभाव वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा, जिससे अन्य देशों के लिए एक नए आर्थिक संतुलन की संभावना पैदा होती है।