शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कर्नाटक कांग्रेस विधायक द्वारा मुंबई को संघ शासित प्रदेश (Union Territory) बनाने की मांग पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ठाकरे ने इस बयान को “महाराष्ट्र की अस्मिता पर हमला” करार देते हुए इसे राजनीतिक अपरिपक्वता और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास बताया।
क्या है मामला?
हाल ही में कर्नाटक के कांग्रेस विधायक ने बयान दिया कि मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर उसे संघ शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाना चाहिए।
- उन्होंने तर्क दिया कि मुंबई, जो भारत की आर्थिक राजधानी है, उसे महाराष्ट्र की राजनीति से बाहर लाना आवश्यक है ताकि इसका विकास और अधिक तेजी से हो सके।
यह बयान आते ही महाराष्ट्र की राजनीति में भारी विरोध शुरू हो गया।
आदित्य ठाकरे का बयान
आदित्य ठाकरे ने विधायक के इस बयान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा:
“मुंबई केवल एक शहर नहीं है, यह महाराष्ट्र की पहचान, गर्व और अस्मिता का प्रतीक है। जो लोग इसे अलग करने की बात करते हैं, वे महाराष्ट्र के इतिहास और संस्कृति को नहीं समझते।”
उन्होंने कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कांग्रेस को अपने विधायकों के इस तरह के बयानों पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
महाराष्ट्र के अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
- शिवसेना (उद्धव गुट):
- शिवसेना नेताओं ने इस बयान को महाराष्ट्र के लोगों का अपमान बताया और इसके खिलाफ प्रदर्शन की चेतावनी दी।
- बीजेपी:
- बीजेपी नेताओं ने भी इस बयान की आलोचना करते हुए इसे “भ्रामक और अनावश्यक मुद्दा” बताया।
- एनसीपी (शरद पवार गुट):
- एनसीपी नेताओं ने कहा कि यह बयान राज्यों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश है और इसका कोई आधार नहीं है।
मुंबई का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
- मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है और इसका विकास महाराष्ट्र की मेहनतकश जनता के कारण संभव हुआ है।
- मुंबई का इतिहास मराठी संस्कृति और महाराष्ट्र आंदोलन से जुड़ा है, जिसके चलते इसे महाराष्ट्र की राजधानी घोषित किया गया।
- “मुंबई महाराष्ट्र की थी, है और रहेगी” का नारा अब फिर से गूंजने लगा है।
कांग्रेस पार्टी की स्थिति
कर्नाटक कांग्रेस विधायक के इस बयान के बाद कांग्रेस पार्टी पर विरोधियों का दबाव बढ़ गया है। पार्टी के नेताओं ने इस बयान को विधायक का व्यक्तिगत मत बताया है और इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं होने की बात कही है।
राजनीतिक असर
- महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल: यह मुद्दा शिवसेना और अन्य मराठी दलों के लिए भावनात्मक मुद्दा बन गया है।
- राज्यों के बीच विवाद: यह बयान कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच पहले से जारी विवाद (जैसे बेलगावी मुद्दा) को और हवा दे सकता है।
- कांग्रेस पर दबाव: कांग्रेस को इस बयान के कारण महाराष्ट्र में राजनीतिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
मुंबई को संघ शासित प्रदेश बनाने की मांग न केवल राजनीतिक विवाद का कारण बनी है बल्कि इसने महाराष्ट्र की अस्मिता और स्वाभिमान को भी केंद्र में ला दिया है। आदित्य ठाकरे समेत महाराष्ट्र के सभी प्रमुख नेताओं ने एक सुर में इस बयान की कड़ी निंदा की है। कांग्रेस को अपने विधायक के इस बयान पर स्पष्टीकरण देकर स्थिति स्पष्ट करनी होगी ताकि विवाद को शांत किया जा सके।