मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर ने श्रद्धालुओं के लिए नए ड्रेस कोड की घोषणा की है। मंदिर प्रशासन ने यह निर्णय मंदिर की पवित्रता और धार्मिक गरिमा बनाए रखने के उद्देश्य से लिया है। इस नए नियम के तहत मिनी स्कर्ट, फटी जींस, और अन्य भड़काऊ कपड़ों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है।
ड्रेस कोड का उद्देश्य
बांके बिहारी मंदिर, जो कि देश-विदेश से आने वाले लाखों भक्तों का तीर्थस्थल है, मंदिर के भीतर संस्कारी और पारंपरिक परिधान पहनने को बढ़ावा देना चाहता है।
- मंदिर प्रशासन का कहना है कि यह कदम धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने और मंदिर के माहौल को गरिमामय बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
- यह निर्णय अन्य बड़े धार्मिक स्थलों जैसे तिरुपति बालाजी, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर और वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर लिया गया है, जहां पहले से ही ड्रेस कोड लागू है।
नए ड्रेस कोड के नियम
- पुरुषों के लिए:
- पारंपरिक परिधान जैसे कुर्ता-पायजामा, धोती, या शालीन कपड़े।
- शॉर्ट्स, फटी जींस, और भड़काऊ टी-शर्ट पर रोक।
- महिलाओं के लिए:
- साड़ी, सूट, सलवार-कुर्ता, और शालीन भारतीय परिधान।
- मिनी स्कर्ट, शॉर्ट्स, फटी जींस, और टाइट कपड़े पूरी तरह से प्रतिबंधित।
- बच्चों के लिए:
- बच्चों के परिधानों में भी मर्यादा बनाए रखने की अपील की गई है।
प्रशासन का बयान
मंदिर समिति के सदस्य ने कहा:
“मंदिर में आने वाले भक्तों को चाहिए कि वे पवित्र स्थल के सम्मान को समझें। हमारा उद्देश्य किसी को रोकना नहीं है, बल्कि एक गरिमामय वातावरण सुनिश्चित करना है।”
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रियाएं
इस निर्णय पर श्रद्धालुओं की मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
- समर्थन:
- कुछ लोगों ने इसे मंदिर की गरिमा और धार्मिक भावनाओं के सम्मान का सही कदम बताया।
- एक भक्त ने कहा:“मंदिर एक पवित्र स्थान है, और वहां पारंपरिक कपड़े पहनना उचित है।”
- विरोध:
- वहीं कुछ लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दखल मान रहे हैं।
- युवाओं ने सवाल उठाया कि कपड़ों को आधार बनाकर भक्ति भाव को कैसे मापा जा सकता है।
अन्य धार्मिक स्थलों पर ड्रेस कोड
भारत में कई अन्य मंदिरों ने पहले ही ड्रेस कोड लागू कर रखा है:
- तिरुपति बालाजी मंदिर (आंध्र प्रदेश):
- पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता, महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार सूट।
- श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (केरल):
- धोती और अंगवस्त्र पहनना अनिवार्य।
- वैष्णो देवी मंदिर (जम्मू-कश्मीर):
- शालीन और पारंपरिक कपड़े अनिवार्य।
ड्रेस कोड का पालन कैसे सुनिश्चित किया जाएगा?
- मंदिर परिसर में प्रवेश द्वार पर सुरक्षा गार्ड्स और स्वयंसेवक तैनात रहेंगे।
- भक्ति भाव से आने वाले श्रद्धालुओं को नियमों की जानकारी दी जाएगी।
- उल्लंघन करने वालों को परिसर के बाहर कपड़े बदलने की सुविधा दी जाएगी।

निष्कर्ष
मथुरा के बांके बिहारी मंदिर द्वारा ड्रेस कोड लागू करना एक ऐसा कदम है जो धार्मिक स्थलों की पवित्रता और संस्कृति को बनाए रखने का प्रयास है। हालांकि, इस फैसले पर कुछ विवाद जरूर हो सकते हैं, लेकिन मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय सभी भक्तों के आस्था और श्रद्धा के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है।