4 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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बैक्टीरिया का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सबसे पहले बीमारी या इन्फेक्शन की बात आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर में लाखों ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जो कि सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं। इन्हें ‘गुड बैक्टीरिया’ कहा जाता है। ये हमें स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हार्वर्ड हेल्थ की एक रिसर्च के मुताबिक, हमारी बड़ी आंत में 100 लाख करोड़ गुड बैक्टीरिया होते हैं। इन्हें गट माइक्रोबायोम कहते हैं। ये शरीर में बैड बैक्टीरिया को कंट्रोल करते हैं, न्यूट्रिएंट्स एब्जॉर्प्शन में मदद करते हैं और हमें कई गंभीर बीमारियों से बचाते हैं।
लेकिन कई बार हम हल्के बुखार या सिरदर्द में एंटीबायोटिक दवाएं ले लेते हैं, जो बैड बैक्टीरिया के साथ-साथ गुड बैक्टीरिया को भी खत्म कर देती हैं। इससे शरीर का माइक्रोबायोम संतुलन बिगड़ जाता है और गैस, कब्ज, स्किन प्रॉब्लम, थकान, कमजोर इम्यूनिटी जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
ऐसे में प्रोबायोटिक्स (गुड बैक्टीरिया का समूह) सप्लीमेंट शरीर में गुड बैक्टीरिया को दोबारा बढ़ाते हैं और सेहत को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में प्रोयाबायोटिक्स के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- प्रोबायोटिक्स का शरीर में क्या काम है?
- किन फूड्स में प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं?
एक्सपर्ट: डॉ. प्रिया पालीवाल, चीफ डाइटीशियन, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली
सवाल- प्रोबायोटिक्स का शरीर में क्या काम है?
जवाब- प्रोबायोटिक्स आंत में गुड बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाते हैं, जो हमारे शरीर के कामकाज में मदद करते हैं। साथ ही ये बैड बैक्टीरिया को भी कंट्रोल करते हैं। जब किसी कारण से शरीर में गुड और बैड बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाता है तो प्रोबायोटिक्स उसे फिर से ठीक करने में मदद करते हैं।
प्रोबायोटिक्स शरीर में जाकर बस जाते हैं और हेल्दी माइक्रोबायोम बनाते हैं। बाजार में प्रोबायोटिक सप्लीमेंट भी आते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि सभी प्रोबायोटिक्स एक जैसे नहीं होते हैं।
कुछ प्रोबायोटिक स्किन और प्राइवेट पार्ट्स के लिए फायदेमंद होते हैं। इसलिए प्रोबायोटिक सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। नीचे दिए ग्राफिक से शरीर में प्रोबायोटिक्स के काम को समझिए-

सवाल- प्रोबायोटिक्स लेने की सलाह कब दी जाती है?
जवाब- प्रोबायोटिक्स आमतौर पर तब लेने की सलाह दी जाती है, जब व्यक्ति को बार-बार एंटीबायोटिक दवाएं लेनी पड़ी हों या वह किसी पाचन संबंधी समस्या से परेशान हो। इसके अलावा कमजोर इम्यूनिटी, स्किन एलर्जी, बार-बार होने वाले यूरिनरी या वेजाइनल इन्फेक्शन, तनाव और डिप्रेशन जैसी स्थितियों में भी प्रोबायोटिक्स फायदेमंद साबित हो सकते हैं। कुछ लोग अपनी सेहत को बेहतर रखने के लिए भी प्रोबायोटिक्स लेते हैं।
सवाल- प्रोबायोटिक्स कितनी तरह के होते हैं और ये किन स्थितियों में फायदेमंद हैं?
जवाब- प्रोबायोटिक्स कई तरह के होते हैं और हर स्ट्रेन (प्रजाति) शरीर के अलग-अलग हिस्सों और स्वास्थ्य समस्याओं पर अलग तरह से काम करता है। नीचे कुछ प्रमुख प्रोबायोटिक्स और उनसे जुड़ी स्थितियों को समझिए-
लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस (Lactobacillus acidophilus): पाचन को सुधारता है और लैक्टोज (दूध में मौजूद शुगर) को पचाने में मदद करता है।
लैक्टोबैसिलस रैम्नोसस (Lactobacillus rhamnosus): डायरिया और स्किन एलर्जी में राहत देता है।
बिफीडोबैक्टीरियम लोंगम (Bifidobacterium longum): इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और कब्ज जैसी समस्याओं में सहायक होता है।
बिफीडोबैक्टीरियम ब्रेव (Bifidobacterium breve): स्किन संबंधी समस्याएं और इंफ्लेमेशन को कम करने में मददगार है।
सैक्रोमाइसेस बोलार्डी (Saccharomyces boulardii): डायरिया या अन्य पाचन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है।
प्रोबायोटिक्स का असर व्यक्ति की उम्र, हेल्थ कंडीशन और जरूरत पर निर्भर करता है। इसलिए किसी भी प्रकार का प्रोबायोटिक सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
सवाल- किन फूड्स में प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं?
जवाब- कुछ फूड्स में नेचुरली प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक में इसकी लिस्ट देखिए-

सवाल- क्या ज्यादा प्रोबायोटिक्स लेने के कोई साइड इफेक्ट्स भी हैं?
जवाब- आमतौर पर प्रोबायोटिक्स सभी के लिए सुरक्षित होते हैं। लेकिन इसके ज्यादा सेवन से कुछ लोगों में हल्के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जैसेकि-
- गैस या पेट फूलना
- हल्का पेट दर्द
- कुछ मामलों में सिर दर्द
- डायरिया जैसी समस्या
इसलिए जिन लोगों की इम्यूनिटी बहुत कमजोर है या जिन्हें हाल ही में कोई बड़ी बीमारी हुई हो, उन्हें प्रोबायोटिक्स का सेवन शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

सवाल- प्रोबायोटिक्स लेने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
जवाब- इसका सबसे सुरक्षित तरीका दही, छाछ और लस्सी का सेवन करना है। हालांकि अगर किसी हेल्थ कंडीशन के लिए सप्लीमेंट की जरूरत हो तो डॉक्टर से सलाह लेकर सही स्ट्रेन और डोज चुननी चाहिए। बता दें कि कुछ प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट खाने के साथ लिए जाते हैं, वहीं कुछ खाली पेट, इसलिए लेबल पढ़ना जरूरी है।
सवाल- क्या शरीर में प्रोबायोटिक्स ज्यादा भी हो सकता है? अगर हां, तो इसके क्या नुकसान हैं?
जवाब- हां, अगर जरूरत से ज्यादा प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट लिए जाएं तो ये बैलेंस बिगाड़ सकते हैं। इससे पेट में गैस, डायरिया या ब्लोटिंग हो सकता है। बहुत ज्यादा बैक्टीरिया बनने से SIBO (Small Intestinal Bacterial Overgrowth) जैसी समस्या भी हो सकती है, जिसमें आंत में बैक्टीरिया की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है। हालांकि फूड्स जरिए प्रोबायोटिक्स लेने से इसका खतरा न के बराबर होता है।
सवाल- शरीर में गुड बैक्टीरिया की कमी का पता कैसे लगाया जाता है?
जवाब- आमतौर इसके संकेत शरीर खुद देने लगता है। अगर बार-बार कब्ज, गैस, डायरिया, थकान, स्किन एलर्जी, इन्फेक्शन, खाना पचने में परेशानी या इम्यून सिस्टम कमजोर लग रहा है तो ये संकेत हो सकता है कि शरीर में गुड बैक्टीरिया की संख्या कम हो रही है।
कुछ मेडिकल लैब्स गट माइक्रोबायोम टेस्ट भी करती हैं, जिससे आंतों में मौजूद बैक्टीरिया की जानकारी मिलती है। हालांकि ऐसे टेस्ट अभी आम नहीं हैं और महंगे भी होते हैं। इसलिए लक्षणों के आधार पर डॉक्टर से सलाह लेना सबसे बेहतर तरीका है।
सवाल- प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स में क्या अंतर है?
जवाब- प्रोबायोटिक्स वो गुड बैक्टीरिया होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं। वहीं प्रीबायोटिक्स ऐसे फाइबर होते हैं, जो इन गुड बैक्टीरिया का खाना बनते हैं और उन्हें बढ़ने में मदद करते हैं। लहसुन, प्याज, सेब, केला, ड्राई फ्रूट्स, गोभी और जौ जैसे कुछ फूड्स प्रीबायोटिक रिच होते हैं। इसके सेवन से प्रोबायोटिक्स काे ताकत मिलती है। कुल मिलाकर प्रोबायोटिक्स हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं।
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