2 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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बारिश का मौसम अपने साथ ताजगी, ठंडक और एक सुकून भरा एहसास लेकर आता है। बच्चे हों या बड़े, सभी साल भर इस मौसम का बेसब्री से इंतजार करते हैं। लेकिन जहां ये मौसम लोगों सुकून देता है, वहीं स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चों के लिए कुछ चुनौतियां भी साथ लाता है।
ऐसे में छोटी सी भी लापरवाही बच्चे को बीमार कर सकती है या उसे परेशानी में डाल सकती है। बारिश में बच्चों का भीगना, फिसलन भरे रास्तों पर चलना, जूते-मोजे गंदे होना और बदलते तापमान में बार-बार बीमार पड़ना जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं।
ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि इस मौसम में बच्चों की सुरक्षा और सेहत का विशेष ख्याल रखें। हालांकि थोड़ी-सी प्लानिंग बच्चों को न केवल बीमारियों से बचा सकती है, बल्कि उन्हें बिना किसी चिंता के मानसून का आनंद उठाने का मौका भी दे सकती है।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम बारिश के दिनों में बच्चों को स्कूल भेजने के लिए जरूरी सुझावों के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- बारिश में बच्चे को स्कूल भेजते समय उनके बैग में कौन से जरूरी चीजें रखनी चाहिए?
- अगर बच्चे बारिश भीग जाएं तो तुरंत कौन से काम करने चाहिए?
एक्सपर्ट: डॉ. ऋषिकेश देसाई, कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली
सवाल- बारिश के मौसम में स्टूडेंट्स के बैग्स में कौन-कौन सी चीजें रखनी चाहिए?
जवाब- बारिश का कोई तय समय नहीं होता है। ये कभी भी अचानक शुरू हो सकती है, जो कि बच्चों की किताबों और उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए जरूरी है कि उनका बैग मानसून के हिसाब से पूरी तरह तैयार हो ताकि वे बिना किसी परेशानी के सुरक्षित रह सकें। कुछ ऐसे जरूरी सामान हैं, जो मानसून में हमेशा बच्चों के स्कूली बैग में रहने चाहिए। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- बारिश के मौसम में स्कूल जाते हुए बच्चों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और वो कौन से जरूरी मानसून सेफ्टी टिप्स हैं, जो बच्चों को सिखाए जाने चाहिए?
जवाब- पेरेंट्स को अपने बच्चों काे कुछ बेसिक रेन सेफ्टी गाइड के बारे में जानकारी देना जरूरी है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- अगर बच्चा बारिश में भीग जाए तो तुरंत कौन-से काम करने चाहिए?
जवाब- बारिश में भीगना बच्चों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। गीले कपड़ों में देर तक रहने से सर्दी-जुकाम, बुखार या स्किन इन्फेक्शन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि जैसे ही बच्चा स्कूल से घर पहुंचे, तुरंत कुछ जरूरी कदम उठाए जाएं ताकि वह परेशानी से बच सके और बीमार न पड़े। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- बारिश में भीगना बच्चों के लिए कितना नुकसानदायक है?
जवाब- अक्सर बच्चे स्कूल, ट्यूशन या किसी आउटडोर एक्टिविटी के दौरान पूरी तरह भीग जाते हैं। ऐसे में भीगे हुए कपड़े और जूते-मोजे शरीर के तापमान को तेजी से कम करते हैं। इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और बच्चे बीमार पड़ सकते हैं।
भीगे कपड़े शरीर से गर्मी को सोख लेते हैं, जिससे सर्दी, खांसी, बुखार और निमोनिया तक हो सकता है। नमी और कीचड़ से फंगल इन्फेक्शन, स्किन एलर्जी हो सकती है। भीगे जूते-मोजे लंबे समय तक पहनने से फंगल इन्फेक्शन और बदबू की शिकायत आम है।
बारिश के पानी में गंदगी और बैक्टीरिया भी होते हैं, जिससे गंदे पानी में चलने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों को वॉटरप्रूफ रेन गियर (रेनकोट, छतरी, जूते) के साथ स्कूल भेजा जाए। साथ ही उन्हें ये भी बताएं कि बारिश में भीगने के नुकसानदायक के बारे में जरूर बताएं।
सवाल- कौन-सी आम गलतियां हैं, जो बच्चे अक्सर मानसून में करते हैं और जिनसे उन्हें बचाना जरूरी है?
जवाब- मानसून का मौसम बच्चों के लिए जितना मजेदार होता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। बारिश में अक्सर बच्चे कुछ सी गलतियां कर बैठते हैं, जो उन्हें बीमार बना सकती हैं। माता-पिता और शिक्षकों को चाहिए कि वे इन बातों को समय रहते बच्चों को समझाएं। जैसेकि-
- गंदे पानी में खेलना या छप-छप करना।
- बारिश में आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक जैसी ठंडी चीजें खाना पीना।
- फिसलन भरे रास्तों पर दौड़ना या साइकिल तेज चलाना।
- भीगे कपड़ों और जूतों में देर तक रहना।

सवाल- बारिश में बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब- बच्चों को सिर्फ बारिश से बचाना ही काफी नहीं है, बल्कि उनके पोषण और लाइफस्टाइल का भी खास ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। जैसेकि-
- बच्चों को बाहर से आने पर, खाने से पहले और वॉशरूम के बाद साबुन या सैनिटाइजर से हाथ धोने की आदत सिखाएं।
- उन्हें बासी, ठंडी या स्ट्रीट फूड, फास्ट फूड, जंक फूड न खाने दें।
- बच्चों को हल्दी वाला दूध, तुलसी-अदरक की चाय, मौसमी फल, ड्राई फ्रूट्स जैसी चीजें खाने में दें।
- मानसून में प्यास कम लगती है, लेकिन शरीर को पानी की जरूरत बनी रहती है। इसके लिए उबाल कर या फिल्टर किया पानी ही पिलाएं।
- उन्हें रोजाना कम-से-कम 8 घंटे की नींद लेने दें।
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