Sunday, June 15, 2025
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‘आतंकिस्तान’ के ठप्पे से क्यों आसानी से पल्ला नहीं छाड़ पाएगा PAK? शशि थरूर ने गिनाईं तीन वजहें


Shashi Tharoor On Pakistan: आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करने अमेरिका पहुंचे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिकी थिंक टैंक की एक चर्चा में हिस्सा लिया. इस दौरान वो एक सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें उन्होंने उन कारणों को बताया, आखिर क्यों पाकिस्तान पहलगाम आतंकी हमले में अपनी संलिप्तता से इनकार नहीं कर सकता?

शशि थरूर ने गिनाए तीन कारण-

1. उन्होंने कहा, “पहला ये है कि पाकिस्तान लगातार 37 सालों से आतंकी हमलों के पैटर्न पर काम कर रहा है और बार-बार इनकार भी करता आ रहा है. मेरा मतलब है कि अमेरिका के लोग अभी तक ये नहीं भूले हैं कि पाकिस्तान को तो ये भी नहीं पता था कि ओसामा बिन लादेन कहां था, जब तक कि उसे कैंट सिटी में आर्मी कैंप के ठीक बगल में एक पाकिस्तानी सेफ हाउस में नहीं पाया गया. यही पाकिस्तान है.”

शशि थरूर ने आगे कहा, “मुंबई हमलों में भी पाकिस्तान ने किसी भी तरह से शामिल होने से इनकार किया था, एक आतंकवादी को जिंदा पकड़ा गया और पूछताछ में उसका नाम, पहचान और उसका पाकिस्तानी में उसका एड्रेस तक पता चला. उस आतंकी ने हमें बताया कि उसे कहां ट्रेनिंग मिली और क्या-क्या किया. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और हमारे खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तानी हैंडलर की खौफनाक आवाज रिकॉर्ड की है, जो मुंबई में हत्यारों को हर मिनट निर्देश दे रहा था, उन्हें बता रहा था कि उन्हें कहां जाना है और वे भारतीय टीवी पर निगरानी कर रहे थे और कह रहे थे कि उस होटल की तीसरी मंजिल पर लोग छिपे हुए हैं, जाओ और उन्हें वहीं गोली मार दो.”

कांग्रेस सांसद ने कहा, “इस तरह की चीजें हो रही हैं. इसलिए हम जानते हैं कि पाकिस्तान क्या कर रहा है. वे आतंकवादियों को तितर-बितर कर देंगे, वे इनकार करेंगे, उन्होंने ऐसा तब तक किया जब तक कि वे वास्तव में रंगे हाथों पकड़े नहीं गए.”

2. शशि थरूर ने अगला प्वाइंट बताते हुए कहा, “”दूसरा बिंदु, जिस पल यह (पहलगाम आतंकी हमला) हुआ, उसके 45 मिनट के भीतर ही रेजिस्टेंस फ्रंट नाम के एक ग्रुप ने इसका क्रेडिट लिया. रेजिस्टेंस फ्रंट कौन है? यह लश्कर-ए-तैयबा का एक जाना-माना प्रॉक्सी फ्रंट है, जो संयुक्त राष्ट्र की ओर से सूचीबद्ध एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन है, जिसे अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से सूचीबद्ध किया गया है, जिसे पाकिस्तान के मुरीदके शहर में सुरक्षित पनाह मिली हुई है.”

उन्होंने आगे कहा, “भारत ने दिसंबर 2023 में और फिर 24 में आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र समिति के सामने रेजिस्टेंस फ्रंट और उसके कामों के बारे में सबूत पेश किए. लेकिन समस्या यह थी कि पाकिस्तान भी उस समिति का सदस्य है. रिजिस्टेंस फ्रंट को संयुक्त राष्ट्र की ओर से सूचीबद्ध नहीं किया गया था, लेकिन इसकी पहचान पता थी और इसका प्रचार किया गया था. इन लोगों ने फिर एक निश्चित समयावधि में इसका क्रेडिट ले लिया. जब ये हत्याएं हुईं, तब कोई मीडिया मौजूद नहीं था. जब उन्होंने इसका क्रेडिट लिया, तब दुनिया के ज्यादातर लोगों को इसके बारे में पता भी नहीं था. इसलिए यह अपने आप में एक बड़ा सबूत था.”

कांग्रेस नेता ने कहा, “उन्होंने 24 घंटे बाद उस दावे को दोहराया और उस दावे को दोहराने के 24 घंटे बाद, उनके हैंडलर्स को इसकी गंभीरता का एहसास हुआ होगा और उन्होंने उन्हें इसे अपनी साइट से हटाने के लिए कहा होगा. इसलिए उन्होंने ऐसा किया लेकिन तथ्य यह है कि क्रेडिट का दावा रिकॉर्ड पर था और दुनिया ने इसे देखा है.”

3. शशि थरूर ने आखिरी प्वाइंट बताते हुए कहा, “तीसरा, जब पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी कैंपों पर पहला हमला हुआ, तो कुछ प्रमुख (आतंकवादी) संगठनों, खासतौर से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के सदस्यों के अंतिम संस्कार किए गए और सोशल मीडिया पर तस्वीरें सामने आईं, जिसमें इन आतंकवादियों के अंतिम संस्कारों में पाकिस्तानी जनरलों और वर्दीधारी पुलिस अधिकारियों को शामिल होते हुए दिखाया गया.”

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए, जहां तक ​​भारत का सवाल है, हम तीन ठोस सबूतों को देख रहे हैं. लेकिन आखिरी में मैं इसमें यह भी जोड़ सकता हूं कि हमारे पास खुफिया सर्विस भी हैं. वे इन आतंकवादी हमलों का बहुत सावधानी से अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने पांच अपराधियों में से कम से कम चार की पहचान की है और वे जानते हैं कि वे कौन हैं. वास्तव में मुझे विश्वसनीय रूप से सूचित किया गया है, वे जानते हैं कि उनमें से दो पाकिस्तानी हैं और अन्य दो स्थानीय थे जो ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान में घुसपैठ कर गए थे. सालों पहले वहां से लौटे थे और स्पष्ट रूप से उन्हें इस मिशन के लिए वापस भेजा गया था.”

ये भी पढ़ें: ’81 प्रतिशत हथियार भेजे… चीन को नजरअंदाज नहीं करना’, भारत-पाकिस्तान की लड़ाई पर क्या बोले शशि थरूर



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