Sunday, June 22, 2025
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अमेरिकी F-35 या रूसी Su-57, 5वीं पीढ़ी का कौन सा फाइटर जेट खरीदेगा भारत? सामने आया बड़ा अपडेट


Su-57E Purchase: भारत की वायु शक्ति को नई ऊंचाई देने की तैयारी जोरों पर है. अब सवाल ये उठ रहा है कि देश अपनी अगली पीढ़ी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किस 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट को चुनेगा-अमेरिका का F-35 या रूस का Su-57? इस बहुप्रतीक्षित सौदे को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है, जिसने रक्षा विश्लेषकों और रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. भारत ने साफ संकेत दिए हैं कि वह सिर्फ विमान नहीं, बल्कि तकनीकी संप्रभुता और स्वदेशी एकीकरण को प्राथमिकता देगा, जिससे इस सौदे की दिशा पूरी तरह बदल सकती है.

भारत और रूस के बीच Su-57E स्टेल्थ फाइटर जेट की खरीद को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन भारत ने इसमें एक अहम शर्त रख दी है. डिफेंस सिक्योरिटी एशिया की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत चाहता है कि इस फाइटर जेट के मुख्य सिस्टम, खासकर रडार, को भारतीय तकनीक से बदला जाए. इस मांग ने अब रूसी रक्षा विभाग में चिंता और असंतोष पैदा कर दिया है.

रूस का रडार कमजोर, भारत का दावा- हमारी तकनीक बेहतर
भारत का कहना है कि Su-57E में इस्तेमाल हो रहा रूसी N036 “Byelka” AESA रडार, जो गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) तकनीक पर बना है, नई पीढ़ी की जरूरतों को पूरा नहीं करता. भारतीय विशेषज्ञों के अनुसार, यह रडार लंबी दूरी की पहचान, ऊर्जा की बचत और जैमिंग से सुरक्षा जैसे मोर्चों पर कमजोर है.

इसके मुकाबले भारत द्वारा विकसित किए गए गैलियम नाइट्राइड (GaN) आधारित उत्तम और विरुपाक्ष AESA रडार ज्यादा सक्षम हैं. ये रडार बेहतर गर्मी नियंत्रण, सटीक सिग्नल पकड़ने की क्षमता और उच्च जैमिंग प्रतिरोध प्रदान करते हैं, जो आधुनिक युद्ध स्थितियों में बेहद जरूरी है.

आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत की बड़ी पहल
भारत चाहता है कि Su-57E जेट में तेजस में इस्तेमाल हो रहे उत्तम रडार या फिर Su-30MKI में जोड़े जा रहे विरुपाक्ष रडार को शामिल किया जाए. ये दोनों रडार DRDO द्वारा विकसित किए जा रहे हैं और इनका निर्माण गैलियम नाइट्राइड सेमीकंडक्टर तकनीक पर आधारित है. इस मांग के पीछे भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति है, जिसके तहत रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता घटाकर स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देना लक्ष्य है.

भारत की इस रणनीति से यह साफ है कि अब देश सिर्फ हथियार नहीं खरीदना चाहता, बल्कि उनमें अपने तकनीकी मानकों और सिस्टम को भी लागू करना चाहता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर संप्रभु नियंत्रण बना रहे.



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