श्रीलंका के राष्ट्रपति सजीव दिसानायके की 15 से 17 दिसंबर, 2024 के बीच भारत की यात्रा उनकी पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा होगी। यह दौरा भारत और श्रीलंका के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
मुख्य एजेंडा और उद्देश्य
- आर्थिक सहयोग पर चर्चा:
- द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने पर समझौते की संभावना।
- श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत की मदद पर विचार-विमर्श।
- इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स:
- भारत द्वारा श्रीलंका में चल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स जैसे बंदरगाह विकास, रेलवे सुधार और ऊर्जा सेक्टर में सहयोग को गति देना।
- सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दे:
- समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी उपायों और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता पर चर्चा।
- साझा सुरक्षा रणनीतियों को लेकर गहराई से विचार-विमर्श।
- तमिल समुदाय के मुद्दे:
- श्रीलंका में तमिल समुदाय से जुड़े मुद्दों पर समाधान की दिशा में बातचीत।
- भारत की सांस्कृतिक और मानवीय पहल को और विस्तार देना।
- संस्कृतिक आदान-प्रदान और पर्यटन:
- बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं पर चर्चा।
- दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों पर सहमति।
क्यों है यह यात्रा महत्वपूर्ण?
- यह राष्ट्रपति दिसानायके की भारत के साथ घनिष्ठता का प्रतीक है।
- भारत-श्रीलंका संबंधों में नई दिशा और गति देने की उम्मीद।
- श्रीलंका के आर्थिक संकट के मद्देनजर, भारत की आर्थिक और रणनीतिक मदद बेहद अहम मानी जा रही है।
संभावित समझौते:
- व्यापार और निवेश: दोनों देशों के बीच FDI और व्यापार समझौते।
- ऊर्जा सहयोग: अक्षय ऊर्जा और तेल रिफाइनिंग परियोजनाओं में निवेश।
- समुद्री सुरक्षा: इंडियन ओशन रीजन (IOR) में स्थिरता के लिए सहयोग।
निष्कर्ष:
श्रीलंका के राष्ट्रपति सजीव दिसानायके की यह यात्रा दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का अवसर होगी। यह दौरा न केवल आर्थिक और रणनीतिक महत्व रखता है, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक संबंधों को भी मजबूत करेगा।