Wednesday, July 30, 2025
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S-400+आकाशतीर, एयर डिफेंस का पावर कॉम्बो! रूस फेल लेकिन भारत का फॉर्मूला हिट

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Air Defence Systems: यूक्रेन ने ‘ऑपरेशन स्पाइडर वेब’ के तहत 5 रूसी एयरबेस पर ड्रोन हमले किए, जिसमें 40+ लड़ाकू विमान तबाह हुए. रूस के S-400/S-500 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम इस हमले को रोकने में नाकाम रहे. वहीं, ‘ऑप…और पढ़ें

S-400+आकाशतीर, एयर डिफेंस का पावर कॉम्बो! रूस फेल लेकिन भारत का फॉर्मूला हिट

भारत का एयर डिफेंस पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम करने में सफल रहा. वहीं, यूक्रेनी ड्रोन्स ने रूस के 40 एयरक्राफ्ट उड़ा दिए. (File Photos)

हाइलाइट्स

  • भारत का एयर डिफेंस सिस्टम अब लेयर्ड डिफेंस पर आधारित है.
  • आकाशतीर सिस्टम से भारत का एयर डिफेंस और मजबूत हुआ.
  • भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में S-400 के साथ आकाशतीर का उपयोग किया.

नई दिल्ली: जून की पहली तारीख. अचानक कंटेनरों से बाहर निकल यूक्रेनी ड्रोन रूस में प्रकट हुए. यूक्रेन ने 4,000 किलोमीटर अंदर तक जाकर कई रूसी एयरबेस को तबाह कर दिया. इस हमले को नाम दिया गया था ‘ऑपरेशन स्पाइडर वेब’. इस हमले ने दुनिया को चौंका दिया. किसी को यह अंदाजा नहीं था कि रूस को एक ही बार में ऐसी करारी चोट दी जा सकती है. उसके कम से कम 40 एयरक्राफ्ट नष्‍ट बताए जाते हैं. एक बड़ा सवाल भी उठा- जब रूस जैसे देश के पास S-400 और S-500 जैसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम हैं, तब भी वो इन्हें रोक क्यों नहीं पाया? इस सवाल का जवाब भारत के हालिया शौर्य में मिलता है. भारत सिर्फ S-400 जैसे हाई-एंड सिस्टम पर निर्भर नहीं है. भारत का मॉडल अब ‘लेयर्ड डिफेंस’ यानी परत-दर-परत एयर डिफेंस है, जिसमें स्वदेशी रडार, L-70 गन, आकाश मिसाइल और अब Akashteer जैसे स्मार्ट कंट्रोल सिस्टम भी शामिल हैं.

रूस ने दुनिया का सबसे महंगा सिस्टम तैनात किया, लेकिन बिना लो-लेवल डिफेंस, बिना यूनिफाइड कमांड, और बिना इंटेलिजेंस नेटवर्क के, वो नाकाम हो गया. भारत ने दिखाया कि टेक्नोलॉजी के साथ अगर लोकल बुद्धिमत्ता, स्वदेशी विकास और स्मार्ट इंटीग्रेशन हो तो दुश्मन कितना भी हाईटेक क्यों न हो, उसकी चालें विफल होंगी.

रूस का ‘S-400’ क्यों फेल हुआ?

रूस की असफलता S-400 की नहीं थी, बल्कि उस सिस्टम के इंटेलिजेंस नेटवर्क और लेयरिंग की थी. ड्रोन बहुत कम ऊंचाई से लॉन्च हुए, वो भी रूस के भीतर से. इससे लंबी दूरी तक काम करने वाले S-400 जैसे सिस्टम उन्हें ट्रैक ही नहीं कर पाए. नतीजा—41 बमवर्षक विमान जलकर खाक हो गए.



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