महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके सहयोगी दलों के बीच सत्ता-साझेदारी को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। सहयोगी दलों जैसे शिवसेना (शिंदे गुट) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP – अजित पवार गुट) ने हाल ही में स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वे समान भागीदारी और “फेयर पावर-शेयरिंग” चाहते हैं।
मुख्य मुद्दे:
- सत्ता में बराबरी की हिस्सेदारी:
- बीजेपी, महाराष्ट्र सरकार में मुख्य पार्टी के रूप में कार्य कर रही है।
- शिवसेना और NCP का मानना है कि सत्ता में उनका योगदान बढ़ा है, लिहाजा उन्हें भी प्रमुख मंत्रालयों और पदों पर समान अधिकार मिलना चाहिए।
- लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी:
- आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सहयोगी दलों का दबाव बढ़ गया है।
- सीट बंटवारे को लेकर समान रूप से टिकट वितरण की माँग उठाई जा रही है।
- शिवसेना-शिंदे गुट की मांग:
- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने कहा है कि उनकी पार्टी की बढ़ती जनस्वीकृति के बावजूद उन्हें साइडलाइन किया जा रहा है।
- शिवसेना गुट का आग्रह है कि सरकार में सशक्त मंत्रालय उन्हें सौंपे जाएँ।
- NCP का रोल:
- अजित पवार के नेतृत्व में NCP गुट का भी यही मत है कि सत्ता के प्रमुख निर्णयों में उनकी सकारात्मक भूमिका होनी चाहिए।
- वे वित्त और कृषि जैसे बड़े मंत्रालयों में अधिक हिस्सेदारी की माँग कर रहे हैं।
बीजेपी के लिए बढ़ती चुनौतियाँ:
- सहयोगियों का दबाव:
- बीजेपी के सहयोगी दलों का यह रुख बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है।
- लोकसभा चुनाव समीकरण:
- यदि बीजेपी सहयोगियों को संतुष्ट नहीं कर पाती, तो आगामी लोकसभा चुनाव में साझा गठबंधन कमजोर हो सकता है।
- असंतोष की संभावना:
- पावर-शेयरिंग में असमानता से अंदरूनी विवाद और असंतोष बढ़ सकता है, जिससे सरकार की स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
बीजेपी का रुख:
बीजेपी फिलहाल “मुख्य भूमिका” में रहते हुए सरकार चलाने पर जोर दे रही है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि सहयोगियों के साथ बातचीत के जरिए समझौता किया जा सकता है।
- एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा,
“हम गठबंधन धर्म निभाते हुए सभी सहयोगियों की माँगों पर विचार करेंगे, लेकिन अंतिम निर्णय बीजेपी के नेतृत्व में ही लिया जाएगा।”
विश्लेषण: क्यों है यह स्थिति अहम?
- महाराष्ट्र की राजनीतिक अहमियत:
- महाराष्ट्र देश का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जहाँ लोकसभा की 48 सीटें हैं।
- 2024 के चुनावों में इन सीटों पर जीत का सीधा असर राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ेगा।
- गठबंधन की एकता:
- बीजेपी के लिए सहयोगियों की नाराजगी वोटों के विभाजन का कारण बन सकती है।
- विपक्ष की रणनीति:
- कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट इस स्थिति का फायदा उठाकर बीजेपी के गठबंधन में दरार पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए सत्ता-साझेदारी का यह मुद्दा लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। शिवसेना (शिंदे गुट) और NCP (अजित पवार गुट) का दबाव बीजेपी को पुनर्विचार करने पर मजबूर कर सकता है। यदि बीजेपी ने सहयोगियों की माँगों को संतुलित तरीके से नहीं सुलझाया, तो आगामी चुनाव में गठबंधन की एकता पर खतरा मंडरा सकता है।
“सत्ता के संतुलन को बनाए रखना ही महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए अगले चुनावों की कुंजी साबित हो सकता है।”