गृहमंत्री अमित शाह द्वारा संसद में डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर दिए गए बयान ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। इस बयान के बाद संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसके चलते कार्यवाही बाधित हो गई।
क्या है मामला?
- अमित शाह का बयान:
- संसद के सत्र के दौरान अमित शाह ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान और उनके विचारों पर टिप्पणी की।
- शाह ने कहा कि “अंबेडकर के विचारों को सही मायने में लागू करने का कार्य भाजपा ने किया है”।
- उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि आजादी के बाद अंबेडकर के विचारों को नजरअंदाज किया गया।
- विपक्ष की प्रतिक्रिया:
- विपक्ष ने इस बयान को राजनीतिकरण बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई।
- कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि अमित शाह अंबेडकर की विरासत पर “अधिकार जताने” की कोशिश कर रहे हैं।
- विपक्ष ने कहा:“अंबेडकर सिर्फ एक पार्टी के नहीं, बल्कि पूरे देश के नेता हैं।”
- संसद में हंगामा:
- अमित शाह के बयान के तुरंत बाद विपक्षी दलों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी।
- इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई, जिसके चलते संसद की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विवाद के प्रमुख मुद्दे
- अंबेडकर की विरासत का राजनीतिकरण:
- विपक्ष का आरोप है कि भाजपा अंबेडकर के नाम का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
- ऐतिहासिक संदर्भ:
- कांग्रेस का दावा है कि डॉ. अंबेडकर को संविधान का निर्माता बनाने में उनकी पार्टी की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
- भाजपा ने इसके विपरीत दावा किया कि अंबेडकर के विचारों को वास्तविकता में लागू करने का श्रेय उनकी पार्टी को जाता है।
- समाज और दलित राजनीति:
- यह विवाद दलित राजनीति के मुद्दों और अंबेडकरवादी विचारधारा के इर्द-गिर्द केंद्रित हो गया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
- भाजपा:
- भाजपा नेताओं ने कहा कि अमित शाह का बयान अंबेडकर के सामाजिक न्याय और समानता के विचारों को सम्मान देने के लिए था।
- कांग्रेस:
- कांग्रेस ने भाजपा पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया।
- अन्य विपक्षी दल:
- बीएसपी और आरजेडी जैसे दलों ने भी भाजपा की आलोचना की और कहा कि अंबेडकर का नाम हर किसी के लिए सम्माननीय है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद आगामी चुनावों से पहले दलित वोट बैंक को लुभाने की कोशिश का हिस्सा है।
“डॉ. अंबेडकर की विचारधारा सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे बार-बार चुनावी मुद्दे के तौर पर पेश करना उनकी विरासत का राजनीतिकरण है।”
संसदीय कार्यवाही पर असर
- इस विवाद के कारण संसद की कार्यवाही बाधित हुई और विपक्ष ने वाकआउट किया।
- स्पीकर ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने और मुद्दे पर रचनात्मक बहस करने की अपील की।
निष्कर्ष
अमित शाह के अंबेडकर संबंधी बयान ने संसद में नए विवाद को जन्म दिया है। यह घटना भारतीय राजनीति में अंबेडकर की विचारधारा के महत्व और उनके नाम पर राजनीतिक बहस को उजागर करती है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट है कि अंबेडकर की विरासत आज भी भारतीय राजनीति में केंद्रीय भूमिका निभाती है।