Friday, June 20, 2025
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जरूरत की खबर- पीरियड्स समय पर नहीं हो रहे: क्या करें, 10 कारणों से साइकल होता इर्रेगुलर, डाइट में शामिल करें ये 7 चीजें


28 मिनट पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स की समस्या तेजी से बढ़ रही है।

साल 2023 में दुनिया के पहले आयुर्वेद फेमटेक ब्रांड ‘गाइनोवेदा’ ने एक सर्वे किया। इस सर्वे में भारत की 18-45 साल की 3 लाख से अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया। सर्वे का उद्देश्य महिलाओं की मेंस्ट्रुअल हेल्थ से जुड़ी वास्तविक स्थिति को समझना था।

सर्वे में पता चला कि 70% महिलाओं को पीरियड्स में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। इनमें इर्रेगुलर पीरियड्स, बहुत ज्यादा या बहुत कम ब्लीडिंग, पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द जैसी स्थितियां शामिल हैं।

स्टडी यह बताती है कि भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं से जूझ रही हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। हालांकि महिलाएं अपनी लाइफस्टाइल और डाइट में कुछ बदलाव करके इस समस्या से काफी हद तक छुटकारा पा सकती हैं।

तो चलिए, आज जरूरत की खबर में हम इर्रेगुलर पीरियड्स के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • पीरियड्स के इर्रेगुलर होने के पीछे क्या कारण हैं?
  • इससे निपटने के लिए क्या करना चाहिए?

एक्सपर्ट:

डॉ. अनु अग्रवाल, न्यूट्रिशनिस्ट और ‘वनडाइटटुडे’ की फाउंडर

डॉ. मानिनी पटेल, सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल, जयपुर

सवाल- इर्रेगुलर पीरियड्स का क्या मतलब है?

जवाब- इर्रेगुलर पीरियड्स का मतलब पीरियड्स का समय पर न आना या हर महीने अलग-अलग समय पर आना है। सामान्य तौर पर पीरियड्स हर 21 से 35 दिन के बीच आते हैं और 3-7 दिन तक रहते हैं। लेकिन जब यह चक्र अनियमित हो जाए यानी कभी 15 दिन में तो कभी 40 दिन में या कभी महीने-दो महीने तक पीरियड्स न आएं तो इसे इर्रेगुलर पीरियड्स कहा जाता है। अगर पीरियड्स लगातार कई महीनों तक इर्रेगुलर बने रहें तो यह किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।

सवाल- इर्रेगुलर पीरियड्स के क्या कारण हैं?

जवाब- इर्रेगुलर पीरियड्स महिलाओं की फिजिकल, मेंटल और हॉर्मोनल कंडीशन से जुड़ा होता है। अनहेल्दी लाइफस्टाइल भी इसकी एक मुख्य वजह है। आजकल लड़कियों और महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स का सबसे आम कारण PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) है। इसमें अंडाशय (ओवरी) में छोटे-छोटे पानी भरे फोड़े (सिस्ट) बन जाते हैं, जिससे ओवुलेशन (अंडे बनना या बाहर निकलना) रुक जाता है। इस वजह से पीरियड्स समय पर नहीं आते या कई बार रुक भी जाते हैं। शरीर का वजन बहुत कम या ज्यादा होने पर भी ओवुलेशन प्रभावित होता है।

वहीं एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हॉर्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाने से भी पीरियड्स इर्रेगुलर हो जाते हैं। यह थायरॉइड या अन्य एंडोक्राइन कारणों से हो सकता है। लंबे समय तक तनाव में रहने से भी शरीर का हॉर्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता है। इसके अलावा एथलीट्स या जिम में ज्यादा वर्कआउट करने वाली महिलाओं में पीरियड्स देर से आ सकते हैं या रुक सकते हैं। इर्रेगुलर पीरियड्स के कुछ और भी कारण हो सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- इर्रेगुलर पीरियड्स से किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं?

जवाब- इर्रेगुलर पीरियड्स सिर्फ एक शारीरिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह भी बन सकता है। जैसेकि-

कंसीव करने में परेशानी

अगर पीरियड्स रेगुलर नहीं हैं तो ओवुलेशन भी इर्रेगुलर होता है। इससे कंसीव करने में समस्या होती है।

हॉर्मोनल असंतुलन से जुड़ी बीमारियां

इर्रेगुलर पीरियड्स हॉर्मोनल इम्बैलेंस की तरफ इशारा करते हैं। ये आगे चलकर थायरॉइड, PCOS या इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

एनीमिया या कमजोरी

कुछ महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स के साथ हैवी ब्लीडिंग होती है। इससे कमजोरी, एनीमिया (खून की कमी) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

मेंटल स्ट्रेस और एंग्जाइटी

इससे महिलाएं तनाव, चिड़चिड़ापन और एंग्जाइटी महसूस कर सकती हैं। खासकर तब, जब वो कंसीव की योजना बना रही होती हैं।

स्किन और हेयर प्रॉब्लम्स

इर्रेगुलर पीरियड्स से चेहरे पर मुंहासे, बाल झड़ना या शरीर पर अनचाहे बाल बढ़ना जैसी समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं। इसलिए अगर पीरियड्स अक्सर इर्रेगुलर होते हैं तो इसे हल्के में न लें। यह शरीर के अंदर कुछ गड़बड़ी का संकेत हो सकता है।

सवाल- पीरियड्स इर्रेगुलर न हों, इसके लिए महिलाओं को अपनी लाइफस्टाइल में क्या बदलाव करने चाहिए?

जवाब- इर्रेगुलर पीरियड्स को कंट्रोल करने और मेंस्ट्रुअल साइकिल को रेगुलर बनाए रखने के लिए महिलाओं को अपनी लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव करने चाहिए। ये छोटे-छोटे बदलाव न सिर्फ पीरियड्स को रेगुलर बनाते हैं, बल्कि ओवरऑल हेल्थ को भी बेहतर रखते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- इर्रेगुलर पीरियड्स से निपटने के लिए अपनी डाइट में कौन सी चीजें शामिल करनी चाहिए?

जवाब- सही खानपान हॉर्मोनल बैलेंस को सुधारने में मदद करता है, जिससे पीरियड्स रेगुलर होते हैं। नीचे दिए ग्राफिक में कुछ घरेलू चीजों के बारे में बताया गया है, जो पीरियड्स को रेगुलर करने में मदद कर सकती हैं।

आइए, अब इन फूड्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं।

अदरक

अदरक ना सिर्फ सर्दी-जुकाम में फायदेमंद है, बल्कि यह पीरियड्स में भी मदद करता है। यह यूट्रस को संकुचित करने में मदद करता है, जिससे पीरियड्स रेगुलर हो सकते हैं। इसके लिए रोजाना अदरक की चाय पिएं। स्वाद बढ़ाने और असर बेहतर करने के लिए इसमें थोड़ा गुड़ मिला सकती हैं।

पपीता

पपीता शरीर में गर्मी पैदा करता है और यूट्रस की मांसपेशियों को एक्टिव करता है। इसमें कैरोटीन होता है, जो शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन को संतुलित करता है। इससे पीरियड्स रेगुलर हो सकते हैं। ध्यान रखें इसे गर्भवती महिलाओं को नहीं खाना चाहिए।

अनानास

अनानास में ब्रोमलिन नामक एंजाइम होता है, जो यूट्रस की लेयर को ढीला करता है। इससे पीरियड्स में ब्लड फ्लो बेहतर होता है। यह रेड और व्हाइट ब्लड सेल्स भी बढ़ाता है, जिससे ब्लड फ्लो सुधरता है।

अजवाइन

एक गिलास पानी में अजवाइन उबालकर पीने से यूट्रस एक्टिव होता है। यह पीरियड्स लाने में मदद करता है। इसकी एंटी-स्पैस्मोडिक प्रॉपर्टी पेट दर्द और ऐंठन को भी कम करती है।

दालचीनी

दालचीनी शरीर में इंसुलिन का लेवल संतुलित करती है, जो हॉर्मोन और पीरियड्स साइकिल को प्रभावित करता है। दालचीनी पीरियड्स को रेगुलर करने में मदद करती है। दालचीनी पाउडर को दूध या चाय में डालकर भी ले सकती हैं।

हल्दी

हल्दी में एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं।

सौंफ

सौंफ में मौजूद फाइटोएस्ट्रोजेन और एंटीऑक्सिडेंट गुण हॉर्मोनल असंतुलन को संतुलित करने में मदद करते हैं। इससे पीरियड्स रेगुलर होने लगते हैं। यह गर्भाशय की मांसपेशियों को भी आराम देती है, जिससे क्रैम्प्स और ब्लोटिंग कम होती है। रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ सौंफ का सेवन फायदेमंद माना जाता है।

सवाल- इर्रेगुलर पीरियड्स से बचने के लिए कौन सी चीजें नहीं खानी चाहिए?

जवाब- इसके लिए खानपान में कुछ चीजों से परहेज करना बेहद जरूरी है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- इर्रेगुलर पीरियड्स के अलावा महिलाओं को और किस तरह की मेंस्ट्रुअल प्रॉब्लम्स होती हैं?

जवाब- इर्रेगुलर पीरियड्स महिलाओं की एक आम समस्या है। लेकिन इसके अलावा भी कई तरह की मेंस्ट्रुअल प्रॉब्लम्स होती हैं, जो उनकी सेहत और रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करती हैं। जैसेकि-

  • डिस्मेनोरिया (Dysmenorrhea): पीरियड्स के दौरान तेज दर्द होना।
  • मेनोरेजिया (Menorrhagia): बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना।
  • हाइपोमेनोरिया (Hypomenorrhea): हल्की ब्लीडिंग होना।
  • ऑलिगोमेनेरिया (Oligomenorrhea): बहुत लंबे अंतराल पर पीरियड्स आना।
  • पॉलीमेनोरिया (Polymenorrhea): 21 दिनों से कम समय के अंतराल पर पीरियड्स आना।
  • एमेनोरिया (Amenorrhea): किसी लड़की को 15 वर्ष की उम्र तक पीरियड्स न होना या पहले पीरियड्स के बाद 3 महीने से अधिक समय तक पीरियड्स न होना।
  • प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS): पीरियड्स से पहले कुछ दिनों में महिलाओं को चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स, पेट में सूजन, सिरदर्द या थकान जैसी समस्याएं होती हैं।

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