2 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी
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गुड हैबिट्स यानी वो छोटी-छोटी अच्छी आदतें, जो धीरे-धीरे आपकी पूरी लाइफस्टाइल को बदल देती हैं। आज बात एक बेहद मामूली-सी आदत की, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज करते हैं। कॉम्प्लिमेंट देने की आदत।
‘कॉम्प्लिमेंट’- ये छोटा सा शब्द आपके जीवन में कितना बड़ा बदलाव ला सकता है, क्या आपने कभी सोचा है? याद कीजिए, आखिरी बार कब किसी ने आपकी तारीफ की थी। शायद आपकी मेहनत की, आपके काम की या फिर आपके व्यक्तित्व की। उस पल आपको कैसा लगा? खुशी हुई, आत्मविश्वास में इजाफा हुआ और शायद थोड़ी प्रेरणा भी मिली। कॉम्प्लिमेंट का यही कमाल है। ये सुनने वाले को तो अच्छा लगता ही है, साथ ही देने वाले को भी एक अलग सुकून देता है।
सुबह ही करें शुरुआत
जब आप सुबह ऑफिस, स्कूल या कॉलेज जाते हैं तो उस समय गेट पर गार्ड भैया की तारीफ करें। मान लीजिए मौसम उमस वाला है तो उनसे बोलें कि, “आप बहुत अच्छे हैं। इतनी उमस और बारिश में भी हरदम मुस्कुराते रहते हैं, ये मुझे प्रेरित करता है।” इसके बाद आप देखिए कि कैसे उनकी आंखों में चमक आती है। इसके बाद आप समझ पाएंगे कि एक छोटा-सा कॉम्प्लिमेंट कितना फर्क ला सकता है।
कॉम्प्लिमेंट देना क्यों जरूरी है?
कॉम्प्लिमेंट देना कोई बड़ी बात नहीं लगती, लेकिन इसका असर बहुत गहरा होता है। ये एक ऐसी आदत है, जो न सिर्फ आपके रिश्तों को मजबूत करती है, बल्कि आपके आसपास का माहौल भी खुशनुमा बना देती है।

कॉम्प्लिमेंट देने के फायदे
कॉम्प्लिमेंट देना सिर्फ सामने वाले को अच्छा महसूस कराना नहीं है, बल्कि ये एक छोटी सी पहल है जो आत्मविश्वास बढ़ाती है, रिश्ते गहराती है, खुशहाली लाती है और अच्छे व्यवहार को समाज में मजबूती से बढ़ावा देती है।

ग्राफिक में दिए इन पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं:
आत्मविश्वास बढ़ता है: जब आप किसी की कॉम्प्लिमेंट करते हैं, तो वो खुद को बेहतर महसूस करता है। उसका हौसला बढ़ता है और वो नई ऊर्जा के साथ काम करता है।
रिश्ते मजबूत होते हैं: कॉम्प्लिमेंट से रिश्तों में प्यार और विश्वास बढ़ता है। लोग आपके साथ ज्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं।
खुशहाली आती है: कॉम्प्लिमेंट देने से आपका भी मन खुश होता है। किसी का चेहरा खिलते देखकर जो संतुष्टि मिलती है, वो अनमोल है।
अच्छाई को बढ़ावा मिलता है: जब आप किसी के अच्छे काम की कॉम्प्लिमेंट करते हैं, तो वो उसे दोहराने की कोशिश करता है। इससे समाज में सकारात्मकता आती है।
कॉम्प्लिमेंट से होते हैं सकारात्मक बदलाव
मान लीजिए, आप अपने बच्चे से कहते हैं, “तुमने आज होमवर्क इतने अच्छे से किया, मुझे गर्व है।” वो बच्चा अगली बार और मेहनत करेगा, क्योंकि उसे पता है कि उसकी कोशिश की तारीफ की गई है। इसी तरह ऑफिस में अगर आप अपने कुलीग से कहते हैं कि, “तुम्हारी प्रेजेंटेशन ने सबको प्रभावित किया।” वो अगली बार और अच्छा करने की कोशिश करेगा। कॉम्प्लिमेंट एक तरह का फ्यूल है, जो लोगों को आगे बढ़ने की ताकत देता है।
3S रूल से सीखें कॉम्प्लिमेंट देने की कला
कॉम्प्लिमेंट देना आसान है, लेकिन इसे असरदार बनाने के लिए एक सही तरीका चाहिए। इसके लिए याद रखें 3S रूल:
Specific (सटीक): तारीफ आम नहीं, खास होनी चाहिए। “अच्छा काम किया” कहने से बेहतर इस तरह कहें, कि, “तुमने क्लाइंट से जिस विनम्रता से बात की, वो सीखने लायक है।” इससे सामने वाले को पता चलता है कि आपने उनकी खासियत को सचमुच देखा।
Sincere (सच्ची): कॉम्प्लिमेंट दिल से निकलनी चाहिए। बनावटी या मजबूरी में की गई कॉम्प्लिमेंट का उल्टा असर हो सकता है।
Sensitive (संवेदनशील): कॉम्प्लिमेंट में कभी भी तुलना या शर्तें न जोड़ें। “तुम्हारा काम अच्छा था, लेकिन…” ऐसा कहने से बचें। पूरी और साफ कॉम्प्लिमेंट दें।
अगर कोई ऐसा दोस्त या रिलेटिव है, जिससे आप अपनी ज्यादातर बातें बता सकते हैं। वो आपको ध्यान से सुनता है तो उसे कहें कि, “तुम जिस तरह मुझे ध्यान से सुनते हो, वो वाकई खास है।”
इसे अपनी आदत कैसे बनाएं?
कॉम्प्लिमेंट देना कोई बड़ा काम नहीं, बस इसे रोज़मर्रा की आदत बनाना है। नीचे कुछ आसान टिप्स देखिए:
रोज एक कॉम्प्लिमेंट: अपने परिवार, दोस्तों या कुलीग्स से शुरू करें।
माइंडफुल ऑब्जर्वेशन: दूसरों की छोटी-छोटी अच्छाइयों को नोटिस करें।
रिमाइंडर लगाएं: फोन में अलार्म या डेस्क पर नोट्स रखें, जो याद दिलाए कि तारीफ करनी है।
दिल से बोलें: औपचारिकता छोड़ें, संवेदना के साथ दिल से कॉम्प्लिमेंट करें।

साइंस भी मानता है कॉम्प्लिमेंट की ताकत
वैज्ञानिक भी कॉम्प्लिमेंट की ताकत को मानते हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी बताती है कि जो लोग नियमित रूप से कॉम्प्लिमेंट करते हैं, वो ज्यादा खुश रहते हैं और उनका तनाव कम होता है। एक सच्ची तारीफ से ऑफिस का माहौल 30% तक बेहतर हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कॉम्प्लिमेंट करने से दिमाग में डोपामाइन नाम का हॉर्मोन रिलीज होता है, जो हमें खुशी देता है। यहीं पब्लिश हुई दूसरी रिसर्च के मुताबिक, कॉम्प्लिमेंट देने से रिश्तों में भरोसा बढ़ता है और लोग एक-दूसरे के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
कॉम्प्लिमेंट करते समय ये 7 बातें जरूर ध्यान रखें
तारीफ करते समय ये याद रखें कि ये हमेशा सच्ची, सटीक और संवेदनशील होनी चाहिए। ये बातें हरदम ध्यान में रखनी चाहिए:
1. सामने वाले की खासियत बताएं: तारीफ तभी असर करती है जब आप किसी स्पेसिफिक क्वालिटी को नोटिस करें।
2. दिल से तारीफ करें: महसूस की गई बात ही असर डालती है। सिर्फ बोलने के लिए तारीफ करेंगे, तो उसका असर नहीं होगा।
3. तारीफ में सच्चाई जरूरी है: झूठी या ओवर डन तारीफ सुनने में तो मीठी लग सकती है, लेकिन वो भरोसा नहीं जगा पाती।
4. वक्त और माहौल का ध्यान रखें: कॉम्प्लिमेंट तब दें जब सामने वाला सुनने की स्थिति में हो। भीड़ या अनुचित समय पर की गई तारीफ उल्टा असर डाल सकती है।
5. शब्दों की गरिमा बनाए रखें: तारीफ का लहजा सम्मानजनक होना चाहिए। मजाक या हल्के शब्द उल्टा असर कर सकते हैं।
6. व्यक्तिगत सीमाओं का ध्यान रखें: कुछ लोग निजी तारीफ से असहज हो सकते हैं, खासतौर पर सार्वजनिक रूप से बचें। सामने वाले व्यक्ति का स्वभाव समझकर ही तारीफ करें।
7. तारीफ की मात्रा संतुलित रखें: बहुत ज्यादा तारीफ या बार-बार तारीफ कभी-कभी संदेह पैदा कर सकती है। जरूरत और मौके के अनुसार ही तारीफ करें।
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