19 मिनट पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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बारिश का मौसम अपने साथ ठंडक और ताजगी लाता है। लेकिन इसके साथ कई बीमारियां भी दस्तक देती हैं। दरअसल इस मौसम में हवा में नमी बढ़ने से फंगस और बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। साथ ही दूषित पानी और खराब खानपान के कारण डायरिया, पेचिश, डेंगू, मलेरिया, कंजंक्टिवाइटिस, टाइफाइड, वायरल फीवर और निमोनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
खासतौर पर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इन इन्फेक्शंस की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। ऐसे में खुद को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बरसात के मौसम में खानपान और लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करना बेहद जरूरी है।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि मानसून में खानपान को लेकर अतिरिक्त सावधानियां क्यों बरतनी चाहिए। साथ ही जानेंगे कि-
- मानसून हमारे पाचन तंत्र को कैसे प्रभावित करता है?
- इस दौरान डाइट में क्या बदलाव करना चाहिए?
एक्सपर्ट: डॉ. पूनम तिवारी, सीनियर डाइटीशियन, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ
सवाल- मानसून हमारे पाचन तंत्र को कैसे प्रभावित करता है?
जवाब- मानसून के दौरान वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिक रेट थोड़ा स्लो हो जाता है। इससे भोजन पचने में ज्यादा समय लगता है। इसके कारण गैस, अपच, पेट दर्द, दस्त या एसिडिटी जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं।
साथ ही इस मौसम में दूषित पानी और संक्रमित भोजन से फूड पॉइजनिंग और पेट के इन्फेक्शन का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। इसलिए हल्का, सुपाच्य और ताजा भोजन लेना ही बेहतर होता है।
सवाल- बारिश के मौसम में डाइट में क्या बदलाव करना चाहिए?
जवाब- बरसात के समय वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन का खतरा काफी बढ़ जाता है। ऐसे में खानपान पर विशेष ध्यान देना जरूरी हो जाता है।
इस मौसम में डाइट न केवल हल्की और आसानी से पचने वाली होनी चाहिए, बल्कि उसमें इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने वाले फूड्स भी जरूर शामिल होने चाहिए। बारिश में कौन-से फूड्स शरीर को हेल्दी रखने और इन्फेक्शन से बचाने में मदद कर सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- मानसून में कौन-कौन सी चीजें खाने से बचना चाहिए?
जवाब- पालक, हरी धनिया, चौलाई और पत्तागोभी जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां अक्सर बारिश के पानी से संक्रमित हो जाती हैं। इसलिए इस मौसम में इनका सेवन करने से बचना चाहिए। लंबे समय तक काटकर रखे गए फल और सलाद भी जल्दी संक्रमित हो सकते हैं, जिन्हें खाने से फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है।
मानसून में कोल्ड ड्रिंक्स और आइसक्रीम जैसी ठंडी चीजें गले में इन्फेक्शन का कारण बन सकती हैं। साथ ही इस मौसम में तला-भुना और अधिक मसालेदार खाना पचने में भारी होता है। इससे गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इसके अलावा मानसून मछलियों के प्रजनन का समय होता है। इसे खाने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इस दौरान फास्ट फूड, जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से भी दूरी बनाए रखना जरूरी है। ये न सिर्फ इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं, बल्कि शरीर को इन्फेक्शन के प्रति वलनरेबल बना देते हैं।

सवाल- क्या बारिश के मौसम में खाने की टाइमिंग और मात्रा को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए?
जवाब- मानसून के दौरान पाचन क्षमता कमजोर हो जाती है, इसलिए खाने की मात्रा और समय को लेकर सतर्कता बरतना जरूरी है। इस मौसम में पेट भरने की बजाय थोड़ा कम खाना बेहतर रहता है ताकि डाइजेस्टिव सिस्टम पर एक्स्ट्रा प्रेशर न पड़े। दिन में तीन भारी मील्स की जगह 4-5 बार हल्का और संतुलित डाइट लें।
इसके अलावा रात का खाना हल्का हो और इसे सोने से कम-से-कम 2-3 घंटे पहले खा लेना चाहिए। साथ ही शरीर में पानी की कमी न हो, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
सवाल- बरसात में बच्चों और बुजुर्गों की डाइट का ध्यान कैसे रखें?
जवाब- बड़ों की तुलना में इनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसलिए इन्हें खिचड़ी, मूंग दाल, हल्दी दूध, दलिया और ताजा बना घर का खाना देना फायदेमंद है। इम्यूनिटी मजबूत बनाने के लिए डाइट में तुलसी, अदरक, आंवला, मौसमी फल और शहद जैसी चीजें शामिल करें। इन्हें दिनभर में थोड़ा-थोड़ा और कई बार में खिलाएं ताकि पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
सवाल- मानसून में हाइजीन और किचन सेफ्टी के लिए कौन सी सावधानियां बरतनी जरूरी हैं?
जवाब- इस मौसम में वातावरण में नमी के कारण खाने-पीने की चीजें जल्दी खराब हो सकती हैं। ऐसे में किचन में साफ-सफाई और खाने की सुरक्षा बेहद जरूरी है। इसके लिए खाना बनाने से पहले और बाद में हाथ धोएं। फल-सब्जियों को गुनगुने पानी से अच्छी तरह धोकर ही इस्तेमाल करें।
किचन का स्लैब, चॉपिंग बोर्ड और बर्तनों को रोजाना साफ करें। नमी से बचने के लिए मसाले और दालें एयरटाइट कंटेनर में रखें। इसके साथ ही कुछ और बातों का भी ध्यान रखें। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- मानसून में वजन बढ़ने की समस्या क्यों होती है?
जवाब- मानसून में फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती हैं क्योंकि लोग बारिश के कारण बाहर टहलना या एक्सरसाइज करना छोड़ देते हैं। साथ ही इस मौसम में तली-भुनी चीजों और गरम स्नैक्स जैसे पकौड़े, समोसे, चाय-बिस्किट की क्रेविंग बढ़ जाती है।
इससे अतिरिक्त कैलोरी शरीर में जमा होने लगती है। नमी और सुस्ती के कारण पाचन भी धीमा हो जाता है, जिससे फैट जल्दी बर्न नहीं होता है। इन सभी कारणों से मानसून में वजन बढ़ने की समस्या आम हो जाती है।
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