44 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी
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अगर घर से काम कर रहे हैं तो लोग अक्सर लैपटॉप गोद में रखकर इस्तेमाल करते हैं। इससे ऑलिगोस्पर्मिया हो सकता है। इसके कारण सीमेन में स्पर्म काउंट कम हो जाता है और फर्टिलिटी प्रभावित होती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में दिसंबर, 2016 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, गोद में लैपटॉप रखकर इस्तेमाल करने से कई नुकसान हो सकते हैं। इसमें मेल इनफर्टिलिटी भी एक बड़ी समस्या हो सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पूरी दुनिया में लगभग हर छठवां व्यक्ति इनफर्टिलिटी का सामना कर रहा है। भारत में भी 15-20% कपल्स इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं। इनमें से 40-50% मामलों का कारण पुरुषों की इनफर्टिलिटी है। मौजूदा वक्त में लैपटॉप का इस्तेमाल बढ़ रहा है। बहुत से लोग इसे गोद में रखकर भी इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में इनफर्टिलिटी का जोखिम भी बढ़ सकता है।
इसलिए ‘फिजिकल हेल्थ’ में आज लैपटॉप से हो रही मेल इनफर्टिलिटी की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- लैपटॉप से और क्या नुकसान हो रहे हैं?
- लैपटॉप इस्तेमाल करने का सही तरीका क्या है?
गोद में लैपटॉप रखने से होती इनफर्टिलिटी
गोद में लैपटॉप रखने से इनफर्टिलिटी का सीधा कनेक्शन नहीं है। हालांकि, स्पर्म बनने के लिए टेस्टिकल्स का तापमान शरीर के सामान्य तापमान से लगभग 3 डिग्री सेल्सियस कम होना जरूरी होता है। यह करीब 33 से 35 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। इसलिए अंडकोष शरीर के बाहर स्क्रोटम में होते हैं, ताकि ये ठंडे बने रह सकें।
जब लैपटॉप को लंबे समय तक गोद में रखकर इस्तेमाल किया जाता है, तो उसकी गर्मी सीधे इसी हिस्से पर असर डालती है और तापमान बढ़ा देती है। इससे स्पर्म बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है या गड़बड़ हो जाती है, जिससे फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है।

WiFi के साथ होता ज्यादा नुकसान
अगर कोई लैपटॉप को WiFi से कनेक्ट करके गोद में रखकर इस्तेमाल करता है तो नुकसान और बढ़ सकता है। इसकी वजह यह है कि WiFi से निकलने वाली रेडिएशन शरीर के नाज़ुक हिस्सों पर असर डालती है, खासकर टेस्टिकल्स का कामकाज प्रभावित करती है। इससे स्पर्म के डीएनए को नुकसान हो सकता है, उनकी तैरने की क्षमता घट जाती है और बनावट भी खराब हो सकती है। ऐसा लगातार करने से स्पर्म काउंट कम हो सकता है और फर्टिलिटी पर बुरा असर हो सकता है।

सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल करें लैपटॉप
डॉ. मानिनी पटेल कहती हैं कि लैपटॉप सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल करने के लिए सबसे जरूरी है कि इसे कभी भी सीधे गोद में न रखें। हमेशा टेबल या लैपटॉप स्टैंड का इस्तेमाल करें, जिससे इसकी गर्मी शरीर तक न पहुंचे।
अगर टेबल नहीं है तो लैपटॉप ट्रे या कूलिंग पैड का इस्तेमाल करें। काम के दौरान हर 30-40 मिनट पर थोड़ा ब्रेक लें ताकि शरीर को आराम मिले और लगातार गर्मी न लगे। कोशिश करें कि लैपटॉप WiFi से कनेक्ट हो तो उसे शरीर से थोड़ी दूरी पर रखें। साथ ही, इस दौरान बहुत टाइट कपड़े पहनने से बचें ताकि पूरे शरीर में हवा लगती रहे और शरीर का तापमान नियंत्रित रहे। इन छोटी-छोटी सावधानियों से इनफर्टिलिटी का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।

लैपटॉप और इनफर्टिलिटी से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब
सवाल: गोद में लैपटॉप रखने से सिर्फ स्पर्म काउंट घटता है या और भी नुकसान होता है?
जवाब: सिर्फ काउंट ही नहीं, बल्कि स्पर्म की क्वालिटी भी गिरती है। इसमें 3 बड़ी चीजें प्रभावित होती हैं:
गति: स्पर्म सही दिशा में तैर नहीं पाते हैं।
आकार: स्पर्म का आकार बिगड़ सकता है, जिससे वे अंडाणु तक नहीं पहुंच पाते हैं।
DNA इंटिग्रिटी: रेडिएशन से स्पर्म का DNA भी डैमेज हो सकता है, जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो जाती है।
सवाल: लैपटॉप से कौन-कौन सी चीजें निकलती हैं जो नुकसान पहुंचाती हैं?
जवाब: तीन मुख्य चीजें नुकसान पहुंचाती हैं:
हीट: लैपटॉप की गर्मी टेस्टिकल्स के तापमान को बढ़ा देती है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (EMF): ये रेडिएशन स्पर्म सेल्स के DNA को प्रभावित कर सकते हैं।
WiFi सिगनल्स: WiFi से निकलने वाली तरंगें स्पर्म की गतिशीलता और क्वालिटी को प्रभावित कर सकती हैं।
सवाल: क्या लैपटॉप कूलिंग पैड से यह खतरा टल सकता है?
जवाब: कूलिंग पैड से गर्मी को काफी हद तक कम किया जा सकता है, लेकिन यह समाधान पूरा नहीं है। सबसे बेहतर तरीका है कि लैपटॉप को टेबल या लैपटॉप स्टैंड पर रखा जाए। अगर जरूरी हो तो कूलिंग पैड + लैपटॉप ट्रे का इस्तेमाल करें, लेकिन लैपटॉप को सीधा गोद में रखने से बचें।
सवाल: स्पर्म क्वालिटी में गिरावट कितने समय में दिखती है?
जवाब: स्पर्म बनने की प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 74 दिन यानी लगभग ढाई महीने लगते हैं। इसलिए अगर कोई रोजाना गोद में लैपटॉप रखता है, तो करीब 2-3 महीने में स्पर्म काउंट और क्वालिटी में बदलाव देखा जा सकता है। अगर समय रहते आदत बदली जाए तो यह नुकसान रिवर्सिबल है यानी ठीक भी हो सकता है।
सवाल: क्या मोबाइल या टैबलेट से भी ऐसा खतरा होता है?
जवाब: हां, लेकिन खतरा लैपटॉप जितना नहीं होता है। मोबाइल और टैबलेट से भी हल्की गर्मी और लेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड निकलती है। अगर इन्हें रोज़ देर तक गोद में या पेट पर रखकर इस्तेमाल किया जाए तो टेस्टिकल्स पर असर पड़ सकता है। लंबे समय में इससे स्पर्म की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। खासतौर पर अगर आप फर्टिलिटी को लेकर सजग हैं तो इन्हें भी शरीर से थोड़ा दूर रखकर इस्तेमाल करें।
सवाल: इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट ले रहे हैं तो लैपटॉप से दूरी क्यों जरूरी है?
जवाब: क्योंकि इस दौरान स्पर्म को सुधारने की कोशिश की जाती है और लैपटॉप की गर्मी या रेडिएशन उस सुधार को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर आप ट्रीटमेंट ले रहे हैं, तो लैपटॉप को गोद में रखने की आदत से दूरी बनाना जरूरी है ताकि इलाज का असर बेहतर हो और स्वस्थ होने की संभावना बढ़े।
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