Thursday, February 6, 2025
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जब मनमोहन सिंह ने कहा: ‘प्रधानमंत्री के रूप में, मैं किसी भी भारतीय को भूखा नहीं रहने दे सकता’

डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, को उनके संवेदनशील नेतृत्व और नीतिगत दूरदर्शिता के लिए जाना जाता है। उनके कार्यकाल के दौरान लिए गए कई निर्णय भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित हुए। एक ऐसा ही प्रेरणादायक किस्सा उनके कार्यकाल से जुड़ा है, जब उन्होंने अपने कृषि सचिव से कहा था, “प्रधानमंत्री के रूप में, मैं किसी भी भारतीय को भूखा नहीं रहने दे सकता।” यह बयान उनकी मानवीय सोच और देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इस कथन का ऐतिहासिक संदर्भ

यह घटना उस समय की है जब भारत में खाद्य सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा था। खाद्य भंडारण और वितरण को लेकर सरकार के भीतर चर्चा हो रही थी। उस समय डॉ. सिंह ने स्पष्ट रूप से अपनी प्राथमिकता तय की और यह सुनिश्चित किया कि कोई भी भारतीय नागरिक भूखा न रहे। उनके इस दृष्टिकोण ने उनके नेतृत्व की संवेदनशीलता को दर्शाया।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) का सपना

डॉ. मनमोहन सिंह की इस सोच का परिणाम था राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)। इस कानून ने लाखों गरीब भारतीयों को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि हर जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन मिले, और देश में भूख की समस्या का समाधान हो सके।

किसानों के प्रति समर्पण

डॉ. सिंह का ध्यान सिर्फ भोजन की उपलब्धता तक सीमित नहीं था। उन्होंने किसानों की समस्याओं को समझा और उनके समाधान के लिए कर्ज माफी योजना और कृषि बजट में बढ़ोतरी जैसे कदम उठाए। इसके साथ ही, ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) को सशक्त बनाया।

डॉ. सिंह का दृष्टिकोण

उनका नेतृत्व यह दिखाता है कि एक सच्चे नेता की प्राथमिकता अपने नागरिकों की भलाई होनी चाहिए। उनका यह कथन उनकी नीतियों में साफ झलकता है। उन्होंने न केवल आर्थिक सुधारों पर ध्यान दिया, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि देश का सबसे कमजोर वर्ग भी सम्मानपूर्वक जीवन जी सके।

विरासत जो प्रेरणा देती है

आज भी डॉ. सिंह की नीतियां और उनके विचार नेताओं को प्रेरित करते हैं। उनका यह कथन कि “मैं किसी भी भारतीय को भूखा नहीं रहने दे सकता,” हमें याद दिलाता है कि हर सरकार की जिम्मेदारी अपने नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना है।

आज की प्रासंगिकता

भूख और गरीबी की समस्या आज भी दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती है। डॉ. सिंह का दृष्टिकोण और उनकी नीतियां इस दिशा में एक मजबूत आधार प्रदान करती हैं।

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