3 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
सवाल– मेरा सवाल थोड़ा अजीब लग सकता है क्योंकि मेरे साथ अभी ऐसा कोई गंभीर मेंटल हेल्थ इशु नहीं है। मेरे दादाजी को एक्यूट अल्जाइमर था। अपने जीवन के आखिरी दस सालों में वो सबकुछ भूल गए थे। घर में किसी को भी नहीं पहचानते थे। अपने बच्चों को भी नहीं। ऐसी हालत में उन्हें संभालना काफी चैलेंजिंग होता था क्योंकि वो कभी भी घर से निकल जाते और उन्हें घर का रास्ता भी याद नहीं रहता था। हमें हर वक्त उनके गले में घर का एड्रेस और फोन नंबर लिखी हुई चिट टांगकर रखनी पड़ती थी। उनकी डेथ को 8 साल हो चुके हैं। पिछले कुछ समय से मेरे पापा में भी अल्जाइमर के लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं। वो छोटी-छोटी चीजें भूल जाते हैं। डॉक्टर का कहना है कि ये अल्जाइमर की शुरुआत है। मेरी उम्र अभी 36 साल है। तीन साल पहले मेरी शादी हुई थी और मेरा 1 साल का एक बेटा है। मेरी चिंता ये है कि अगर ये अल्जाइमर जेनेटिक है और मेरी फैमिली में ही रन कर रहा है तो एक-न-एक दिन मुझे भी अल्जाइमर हो जाएगा और मेरे बेटे को भी। इस बात ने मुझे चिंतित कर दिया है। क्या कोई ऐसा तरीका है, जिससे अल्जाइमर को होने से रोका जा सके। क्या मैं अभी से कुछ सावधानियां बरत सकता हूं, कुछ ऐसे काम कर सकता हूं, जिससे मुझे ये मेंटल हेल्थ कंडीशन कभी न हो।
एक्सपर्ट– डॉ. द्रोण शर्मा, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, आयरलैंड, यूके। यूके, आयरिश और जिब्राल्टर मेडिकल काउंसिल के मेंबर।
जवाब– आपका सवाल बिलकुल भी अजीब नहीं है, बल्कि यह बहुत जिम्मेदारी और समझदारी से पूछा गया सवाल है। आप न सिर्फ अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सजग हैं, बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ी के भविष्य के लिए भी सोच रहे हैं। यह काबिल-ए-तारीफ है।
एक सीनियर साइकेट्रिस्ट के रूप में मैं आपकी चिंता को गंभीरता से समझता हूं। नीचे मैं आपके लिए एक समग्र व साक्ष्य पर आधारित सेल्फ एसेसमेंट और सेल्फ हेल्प प्लान दे रहा हूं।

आपके केस की मुख्य बातें और जोखिम मूल्यांकन
संभावित जोखिम
आपके सवाल के आधार पर मैं यहां आपके केस की प्रमुख बातों और संभावित जोखिम की एक समरी प्रस्तुत कर रहा हूं।
- अल्जाइमर की फैमिली हिस्ट्री: दादा और अब पिता, दोनों में अल्जाइमर के लक्षण। ऐसे में जोखिम सामान्य आबादी की तुलना में 1.5–3 गुना अधिक होता है।
- फैमिली हिस्ट्री के कारण जोखिम: यदि माता-पिता, दोनों में अल्जामइर्स हो तो यह जोखिम 5 गुना तक भी हो सकता है।
- रिस्क फैक्टर: हालांकि फैमिली हिस्ट्री सिर्फ एक रिस्क फैक्टर है। रिस्क फैक्टर होने का मतलब यह नहीं कि आपको यह बीमारी जरूर होगी।
- लाइफस्टाइल: अपनी लाइफस्टाइल को बदलकर इस जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
- प्राइमरी प्रिवेंशन: आपकी उम्र अभी सिर्फ 36 साल है। यह प्राइमरी प्रिवेंशन का बहुत सही समय है।
आपकी वर्तमान चिंता और उसका असर
आपके सवाल को देखते हुए आपकी मौजूदा चिंता को कुछ इस तरह डिफाइन किया जा सकता है।
● बार-बार यह सोचना कि मैं भविष्य में सबकुछ भूल जाऊंगा।
● अपने बेटे की परवरिश को लेकर डर सताना।
● हर बार कोई मामूली सी बात भूल जाने को भी संभवत: “अल्जाइमर का लक्षण” समझ लेना।
● इस फिक्र के कारण बेचैनी, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, मानसिक थकान महसूस होना।
सेल्फ एसेसमेंट टेस्ट
आप जिस समस्या से गुजर रहे हैं, उसकी इंटेंसिटी कितनी है, यह जानने के लिए आपको नीचे दिया गया सेल्फ एसेसमेंट टेस्ट करना चाहिए।
नीचे ग्राफिक में 5 सवाल हैं। इन सवालों को आपको 0 से 3 के स्केल पर रेट करना है और अंत में अपना टोटल स्कोर चेक करना है। आपके टोटल स्कोर से यह पता चलेगा कि आपकी समस्या गंभीर है या नहीं। सेल्फ हेल्प काफी होगी या आपको प्रोफेशनल मदद की जरूरत है। स्कोर का इंटरप्रिटेशन भी नीचे ग्राफिक में दिया है। सवालों को ध्यान से पढ़ें और अपना एसेसमेंट करें।

सेल्फ हेल्प प्लान
मनोविज्ञान में मानसिक समस्याओं का हल करने के लिए प्राय: CBT टेक्नीक का प्रयोग किया जाता है, जिसका अर्थ है कॉग्निटिव बिहेवियर टेक्नीक। आप खुद भी ये कर सकते हैं या जरूरत पड़ने पर एक्सपर्ट की मदद भी ले सकते हैं। इसे करने का मकसद सचेत तरीके से अपने सोचने के तरीके को बदलना है। यह समझना कि हमें जिस बात का डर सता रहा है, वो डर वाजिब है भी या नहीं। लगातार प्रैक्टिस और पॉजिटिव हस्तक्षेप से अपने सोचने के तरीके में बड़े सार्थक बदलाव किए जा सकते हैं।
इसका एक उदाहरण नीचे ग्राफिक में दिया है। फिलहाल जो भी ख्याल आपको डराते हैं, आप खुद को उसका पॉजिटिव जवाब कैसे दें।

लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव
अनेकों साइंस रिसर्च और स्टडी से यह साबित हो चुका है कि अल्जाइमर का फूड हैबिट्स और लाइफ स्टाइल से बिल्कुल सीधा संबंध है। इसलिए मैं आपको तीन प्रमुख सुझाव देना चाहूंगा–
- फूड: अपने भोजन को लेकर बहुत सचेत रहें। अच्छा, हेल्दी, फाइबरयुक्त खाना खाएं।
- टॉक्सिन: सिगरेट–शराब से दूरी बनाकर रखें।
- स्लीप: रोज 8 घंटे की नींद जरूर लें और तनाव से दूर रहें।
- वर्कआउट: रेगुलर एक्सरसाइज करें।

ब्रेन हेल्थ के लिए शराब खतरनाक
- 14 यूनिट/सप्ताह से ज्यादा शराब लेने पर ब्रेन के ग्रे मैटर वॉल्यूम में कमी देखी गई है।
- नियमित शराब के सेवन से वर्किंग मेमोरी, फंक्शनल मेमारी पर नेगेटिव असर पड़ सकता है।
- शराब पीने से स्लीप क्वालिटी खराब होती है, न्यूरोरेस्टोरेशन घटता है।
- यदि आप डिमेंशिया से बचना चाहते हैं तो शराब से दूर रहना बहुत जरूरी है।
ब्रेन मेमोरी बढ़ाने और डिमेंशिया से बचने के लिए नियमित योग
- ब्रह्मरी प्राणायाम: यह चिंता को कम करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है।
- नाड़ी शोधन प्राणायाम: इससे फोकस बढ़ता है।
- त्राटक : इससे विजुअल फोकस बढ़ता है और ब्रेन एक्टिवेशन होता है।
- वज्रासन व ध्यान: इससे डाइजेशन अच्छा रहता है। ब्रेन का फ्रंटल लोब बेहतर काम करता है।

हार्वर्ड की वर्ष 2016 की स्टडी में रोज 30 मिनट का योग/ध्यान करने से 6 महीने में मस्तिष्क के हिप्पोकैंपस एरिया के वॉल्यूम में वृद्धि देखी गई। यह एक बहुत पॉजिटिव संकेत है।
ब्रेन मेमोरी बढ़ाने और ब्रेन को स्टिमुलेट करने वाली डेली एक्टिविटीज
- घर का बजट बनाना। घर खर्च की डायरी मेंटेन करना।
- बाजार से खरीदारी करना।
- पूजा की तैयारी करना। पूजा का रूटीन याद रखना। मंत्र याद करना, पूजा की सामग्री जुटाना।
- बच्चों को पढ़ाना। कहानियां सुनाना, पहेलियां सुलझाना।
- नए दोस्त बनाना, नए लोगों से मिलना।
- नई भाषा सीखना। कोई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाना सीखना। ब्रेन को नई इंफॉर्मेशन फीड करना।
- स्क्रीन टाइम सीमित रखना।
- सोशल मीडिया और डिजिटल स्क्रीन से बीच-बीच में ब्रेक लेना।
डॉक्टर के पास जाना कब जरूरी
फिलहाल तो लाइफ स्टाइल चेंज और CBT टेक्नीक अपनाकर आप काफी बदलाव ला सकते हैं। लेकिन फिर भी इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि कब स्थिति गंभीर हो रही है और आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है।

निष्कर्ष
फिलहाल ये आप अपने दिमाग से निकाल दीजिए कि आपको अल्जाइमर होना तय है। फैमिली हिस्ट्री सिर्फ एक रिस्क फैक्टर है, गारंटी नहीं। ये अच्छी बात है कि आप अभी से ये सवाल पूछ रहे हैं यानी अभी से सचेत हैं। अपनी लाइफस्टाइल हेल्दी रखिए। हेल्दी खाना खाइए, एक्सरसाइज करिए, अच्छी नींद लीजिए, स्ट्रेस और टॉक्सिक सब्सटेंस से दूर रहिए। अपने ब्रेन को हमेशा नई जानकारियां फीड करते रहिए और अपना ख्याल रखिए। ……………… ये खबर भी पढ़िए…
मेंटल हेल्थ- बचपन में मम्मी–पापा ने मुझे छोड़ दिया:नाना–नानी ने पाला, नानी के जाने के बाद से मैं गहरे डिप्रेशन में हूं, मैं क्या करूं

मैं 29 साल का हूं। जब मैं डेढ़ साल का था, तब मम्मी-पापा का तलाक हो गया। मम्मी ने दूसरी शादी कर ली और मुझे नानी के पास छोड़ दिया। पापा को मैंने 19 साल की उम्र तक देखा भी नहीं। दोनों ने कभी मुझसे संपर्क नहीं किया। मुझे नाना-नानी ने पाला, और नानी से मेरी गहरी भावनात्मक जुड़ाव था। दो साल पहले नाना की और छह महीने पहले नानी की मौत हो गई। तब से मैं गहरे डिप्रेशन में चला गया हूं। मैं क्या करूं? पूरी खबर पढ़िए…