Sunday, June 29, 2025
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88 घंटे में PAK की रीढ़ कैसे तोड़ दी गई, ऑपरेशन सिंदूर पर टॉप ऑफिसर का खुलासा

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CNN-News18 के टॉउनहाल इवेंट में, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के चीफ (CISC) एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के उन 88 घंटों के बारे में विस्तार से बात की.

88 घंटे में PAK की रीढ़ कैसे तोड़ दी गई, ऑपरेशन सिंदूर पर टॉप ऑफिसर का खुलासा

CNNNews18TownHall में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित.

हाइलाइट्स

  • ऑपरेशन सिंदूर में 88 घंटे में पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ.
  • ऑपरेशन सिंदूर में सैटेलाइट, ड्रोन और देसी हथियारों का उपयोग हुआ.
  • ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की आक्रामक रणनीति को नया आयाम दिया.
नई दिल्ली: CNN-News18 के टाउनहॉल में जब एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित बोल रहे थे, तो उनकी आंखों में वो भरोसा था जो किसी सफल ऑपरेशन के बाद ही आता है. उनके लहजे में गर्व था, और हर शब्द में रणनीति की झलक. ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है, मगर यह भारत के सैन्य इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया जा चुका है. क्योंकि यह सिर्फ 88 घंटे की लड़ाई नहीं थी. ये उस तैयारी का परिणाम था जो दो दशक से ज्यादा वक्त से अंदर ही अंदर पक रही थी. आगे की कहानी, एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित की जुबानी.
कहानी वहां से शुरू होती है जहां दुश्मन ने गलती की

7 मई की सुबह. पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले ने भारत की चेतना को झकझोर दिया. हमला सिर्फ सैनिकों पर नहीं था, बल्कि एक संदेश था जिसका जवाब देना ज़रूरी था. और इस बार जवाब सिर्फ चेतावनी नहीं, रणनीतिक और सैन्य भाषा में होना था. इसी के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू हुआ. एक ऑपरेशन, जिसमें न शोर था, न दिखावा. लेकिन जब हवा में भारतीय फाइटर्स गरजे, तो पाकिस्तान की नींव हिल गई. एयर मार्शल दीक्षित के शब्दों में, ’88 घंटे में जो हुआ, वो इतना बड़ा था कि कोई भी आत्मसम्मान वाला देश या फौज इतनी जल्दी झुक नहीं सकती, जब तक अंदर से पूरी तरह टूटी न हो.’

तैयारी कोई रातों-रात नहीं हुई थी

ऑपरेशन सिंदूर की नींव तो 1999 के कारगिल युद्ध के बाद ही रख दी गई थी. जब भारत ने महसूस किया कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय के बिना भविष्य के युद्ध नहीं जीते जा सकते. तभी बना था ‘इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ’ यानी तीनों सेनाओं का साझा कमांड. उसी की अगुवाई कर रहे हैं एयर मार्शल दीक्षित. उन्होंने साफ कहा, ‘ये ऑपरेशन सिर्फ फिजिकल स्ट्राइक नहीं था. ये एकता, इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी की जीत थी. टारगेट सिलेक्शन से लेकर अंतिम हमले तक सबकुछ एकदम सटीक और समन्वित था.’

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