‘राजा राम…जिनकी आंखों में करुणा है, चेहरे पर हल्की मुस्कान है, हाथों में आशीर्वाद है। 7 महीने की मेहनत के बाद प्राकट्य स्वरूप बनकर तैयार हो गया।’
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ये कहना है जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय का। आपको राम के स्वरूप की प्रेरणा कहां से मिली? इस पर वह मुस्कुराते हुए कहते हैं- मैं अपने घर (जयपुर) से 500Km दूर एक छोटी रामजी की मूर्ति लेकर आ गया।
फिर खुद हनुमानजी मेरे सपने में आते थे, उन्होंने मेरे हाथों से ऐसा स्वरूप रचवाया कि राजा राम अपने दरबार में दिव्य दर्शन दे रहे हैं। लाखों लोग दर्शन करके भाव विभोर हो रहे हैं। राम के बाल स्वरूप के बाद अब राजा के दिव्य आकार को साक्षात भक्त देख पा रहे हैं। वो कहते हैं, मेरे जीवन का एक ही मंत्र हैं-
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने।
अब आपको पढ़वाते हैं कि राम मंदिर के प्रथम तल पर स्थापित राम दरबार को पत्थर पर उकेरने वाले जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने कैसे यह दिव्य मूर्ति बनाई। पढ़िए इंटरव्यू…

राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा 5 जून को हुई।
सवाल. राजा राम की मूर्ति बनाने की प्रेरणा कहां से मिली? जवाब. मेरे अराध्य हनुमानजी से प्रेरणा मिली। बचपन से मैंने उनकी भक्ति की, ये उनका ही आशीर्वाद है। ये कार्य सेवा के रूप में मुझे मिला है। 14 साल की उम्र से मूर्तियां बना रहा हूं। तो प्रेरणा तो राम नाम से ही मिली। मन, आत्मा, बुद्धि, शक्ति सब कुछ भगवान ही देता है।
सवाल. ये अवसर कि आप राम दरबार को तैयार करें, ये घटनाक्रम कैसे बना? जवाब. 22 जनवरी, 2024 पर भी मैं अयोध्या में ही था। तब रामलला की मूर्ति बनाई थी। यज्ञ करता था, संतों के साथ रहता था। सीता-राम के अखंड पाठ करवाता रहता था, तो यहां हनुमान जी का आशीर्वाद मिला। ये काम हनुमानजी ने ही दिलाया है। 2023 में जयपुर के वैशालीनगर के राममंदिर से यहां अयोध्या आया था। मैं अपने घर से 500 किमी दूर सिर्फ रामलला की एक छोटी मूर्ति लेकर आ गया था। आप कृपा देखो, मुझे हनुमानगढ़ी के पास गौरीशंकर के मंदिर में ठहरना हुआ। वहां मुझे हनुमानजी ने पकड़ लिया, दूसरे दिन जब योगी जी रामसेवकपुरम में आए, तब चंपत राय से मैंने बात की। एक रामजी की मूर्ति उनको भेंट की। उसके बाद रास्ते बनते चले गए।

राम दरबार में हनुमान जी हाथ जोड़े बैठे हैं।
सवाल. इस मूर्ति की खासियत क्या है? किस पत्थर पर बनी है? बनाने में कितना समय लगा? जवाब. भगवान दिव्य थे, करुणानिधान थे, करुणासागर राम की मूर्ति के लिए पत्थर भी करुणामयी निकला। ये बहुत साफ्ट है…, जैसे राम का ह्दय। मगर जब उस पत्थर को तराशते थे, तो जैसे राम के धनुष से जब बाण छोड़ते थे, तब जैसे टंकार की आवाज आती थी, वैसी टंकार की आवाज उस पत्थर में आती है। ऐसा अद्भुत पत्थर है।
ये 40 साल पुराना मकराना का पत्थर है, इसको ढूंढने में 15 दिन लगे। 7 महीने में मूर्ति तैयार हुई। मैं आपको बताऊं…वैशालीनगर (जयपुर) में राममंदिर है, वहां 5 माला राम नाम की और 540 परिक्रमा करता था। ये समझिए कि लोगों की मनोकामना थी, जो मेरे हाथ से पूरी हुई।

सवाल. क्या इसके लिए आपको कोई मेहनताना मिला? वो कितना है? जवाब. हमको जो आशीर्वाद मिला, हनुमानजी अमर है, उन्होंने हमारा काम भी अमर कर दिया। क्या मिला है, ये हम बता नहीं सकते।
सवाल. मूर्तियों को तैयार करने में कोई ऐसा घटनाक्रम जो आप शेयर करना चाहे? जवाब. हनुमानजी मेरे सपने में आते थे। भगवान राम का प्राकट्य रूप मुझसे गढ़वा दिया। मेरा सपना साकार कर दिया।
सवाल. आपने अकेले यह मूर्तियां तैयार कीं या और कारीगर भी लगे? जवाब. कुल 25 कलाकार लगे थे, वो सभी मेरे शिष्य हैं। मैं आज 66 साल का हूं। 14 साल की उम्र से मूर्तियां बना रहा हूं। मैंने अपने हाथ से हजारों मूर्तियां बना दी है। मेरे साथ 100 से ज्यादा आर्टिस्ट काम करते हैं, पूरे इंडिया में हमारी बनाई मूर्तियां जाती हैं। इस्कॉन मंदिर में हमारी बनाई मूर्तियां ही जाती हैं। स्वामीनाथ मंदिर का 90% काम हमारा है। बड़े-बड़े संत और रिलायंस जैसे बड़े कारोबारियों के लिए भी मूर्तियां बनाने का मौका मिला है।
सवाल. ट्रस्ट ने मूर्तियों को लेकर पहले ही कोई गाइडलाइन दी थी क्या? जवाब. हां, वासुदेव कामत जी ने वाल्मीकि, तुलसीदास की रामायण और ग्रंथों का सार लेकर एक ड्राइंग बनाकर मुझे दी थी। इसको पत्थर पर स्वरूप तैयार किया। ड्राइंग तो ड्राइंग हैं, मगर जब पत्थर पर रूप साकार हुआ, तो साक्षात भगवान हैं। कलाकार के मन में भगवान जैसे दर्शन देते हैं, वो ही पत्थर पर उकेरा जाता है।

सवाल. क्या राजा राम के अलावा भी कोई और मूर्ति आपने तैयार की हैं? जवाब. सप्त ऋषि, दुर्गा जी, अहिल्या, सबरी, अन्नपूर्णा, हनुमान, गणेशजी जैसी 17 मूर्तियां मैंने यहां बनाई थी। ये सभी मूर्तियां 2024 के बाद बनाई है। मेरा कुछ नहीं है, सब जीरो हैं। जो कुछ हैं, वो श्रीराम का है, शंकर और हनुमानजी का है।

राम दरबार मंदिर के पहले फ्लोर पर है। इसकी नक्काशी भी गर्भगृह की तरह ही हुई है।
सवाल. आपने रामलला की मूर्ति 2024 में भी बनाई थी? तब क्या और कैसा अनुभव किया था? जवाब. अनुभव तो ऐसा है कि क्या बताए। 2024 में रामलला विराजमान हुए, उन्हें भी गढ़ने का मौका मिला। अब राजा राम ने कहा कि पूरा दरबार बनाओ, तो उसके भी बनाने का मौका मिला। प्राकट्य रूप के आज दर्शन को मिल रहे हैं। भक्ति और आनंद में बनाते थे। हल्की हक्की मुस्कान, आंखों में करुणा, जो इनके दर्शन करेगा, वो आनंद के साथ वापस जाएंगे।
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अयोध्या के राम मंदिर में 5 जून 2025 को राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा हुई। सीएम योगी ने राम दरबार का पूजन किया। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11.25 से 11.40 बजे तक चला। रामलला के गर्भगृह के ऊपर यानी फर्स्ट फ्लोर पर राम दरबार बनाया गया है।
इसमें श्रीराम, मां सीता, तीनों भाई- लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ हनुमानजी की मूर्तियां हैं। काशी के पुरोहित जय प्रकाश त्रिपाठी ने 101 पंडितों के साथ प्राण प्रतिष्ठा कराई। मंत्रोच्चारण के बाद मूर्तियों की आंखों पर बंधी पटि्टयां खोली गईं, उन्हें आइना दिखाया गया। भगवान राम सहित चारों भाइयों के हाथों में धनुष हैं। पढ़ें पूरी खबर…