Sunday, June 15, 2025
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साइबर लिटरेसी- सांसद ने दिखाया अपना डीपफेक न्यूड फोटो: आप भी हो सकते हैं शिकार, कैसे बचें, सोशल मीडिया पर बरतें 10 सावधानियां


2 घंटे पहलेलेखक: संदीप सिंह

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बीते 14 मई को न्यूजीलैंड की संसद में उस वक्त सब चौंक गए, जब सांसद लॉरा मैक्ल्योर ने खुद की एक AI से बनी न्यूड फोटो संसद में सभी के सामने दिखाई। यह तस्वीर असली नहीं थी, बल्कि डीपफेक थी, जिसे उन्होंने खुद ही इंटरनेट से महज 5 मिनट में बनाया था। उनका मकसद यह दिखाना कि डीपफेक टेक्नॉलॉजी कितनी खतरनाक हो चुकी है और इसे बनाने में कितना कम समय लगता है।

आज सोशल मीडिया और इंटरनेट की दुनिया में डीपफेक सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं, एक खतरनाक हथियार बन चुका है। इसका इस्तेमाल किसी की छवि बिगाड़ने, करियर को नुकसान पहुंचाने या एजेंटा बनाने के लिए हो सकता है। खासकर युवाओं, महिलाओं और किशोरियों को इसका सबसे अधिक खतरा है। इसलिए जरूरी है कि हम सतर्क रहें, जागरूक बनें और दूसरों को भी डिजिटल सुरक्षा के प्रति सजग करें।

तो चलिए, आज साइबर लिटरेसी के इस कॉलम में हम जानेंगे कि डीपफेक क्या होता है? साथ ही जानेंगे कि-

  • यह कितना खतरनाक है?
  • फेक वीडियो और फोटो की कैसे पहचान कर सकते हैं?
  • इससे खुद की और अपनों की सुरक्षा कैसे करें?

एक्सपर्ट:

राजेश दंडोतिया, एडिशनल डीसीपी, क्राइम ब्रांच, इंदौर

डॉ. पवन दुग्गल, साइबर सिक्योरिटी और AI लॉ एक्सपर्ट, नई दिल्ली

सवाल- डीपफेक क्या है?

जवाब- डीपफेक एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति के चेहरे, हाव-भाव, आवाज या बोलने के तरीके की बिल्कुल नकल तैयार की जा सकती है। इसके जरिए किसी के वीडियो या फोटो को इस तरह बदला जा सकता है कि वह देखने में पूरी तरह असली लगे, जबकि वह फर्जी या नकली होता है। इसे वीडियो, ऑडियो और फोटो तीनों फॉर्म में तैयार किया जा सकता है।

सवाल- डीपफेक कितना खतरनाक है?

जवाब- यह AI टेक्नीक बहुत खतरनाक है क्योंकि ये नकली वीडियो और फोटो इतने असली लगते हैं कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है। इससे किसी की छवि खराब हो सकती है, झूठी खबरें फैल सकती हैं और लोग धोखे में पड़ सकते हैं। यह पर्सनल जीवन, समाज और राजनीति सभी के लिए बड़ा खतरा बन गया है।

सवाल- डीपफेक वीडियो या फोटो कैसे बनाए जाते हैं?

जवाब- डीपफेक वीडियो और फोटो बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग के साथ जेनरेटिव एडवर्सरियल नेटवर्क्स (GANs) का इस्तेमाल किया जाता है। इसके कुछ स्टेप्स हैं। जैसेकि-

  • सबसे पहले किसी व्यक्ति की फोटोज, वीडियो क्लिप्स और आवाज के नमूने इंटरनेट या सोशल मीडिया से जुटाए जाते हैं।
  • AI मॉडल (जैसे GANs) उस व्यक्ति के चेहरे, हाव-भाव और आवाज की बारीकियों को सीखता है। इसमें दो मुख्य हिस्से होते हैं। जनरेटर जिसमें नकली इमेज या वीडियो बनाता है और डिस्क्रिमिनेटर, जो जांचता है कि वह असली है या नकली। दोनों के बीच तुलना के जरिए मॉडल और भी सटीक होता जाता है।

एन्कोडर और डिकोडर

  • एन्कोडर असली चेहरे से जरूरी फीचर्स निकालता है।
  • डिकोडर इन फीचर्स को किसी और वीडियो या फोटो में लगाकर नकली बनाता है।
  • अगर डीपफेक वीडियो है तो हर फ्रेम पर एडिटिंग होती है ताकि चेहरा और एक्सप्रेशन बिल्कुल रियल लगें।

सवाल- आम लोग कैसे जान सकते हैं कि कोई वीडियो या फोटो डीपफेक है?

जवाब- AI में लगातार होते अपडेट की वजह से वीडियो या फोटो को पहचाना मुश्किल हो चला है। हालांकि कुछ बेसिक बातों का ध्यान रखकर कुछ हद तक इसकी पहचान हो सकती है। इसे नीचे दिए ग्राफिक में देखिए-

सवाल- डीपफेक के शिकार बनने की संभावना किन लोगों में ज्यादा होती है?

जवाब- इसका शिकार आमतौर पर सेलिब्रिटी और प्रसिद्ध लोग (जैसे फिल्म स्टार, राजनेता, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर) बनते हैं। इसके अलावा युवा, महिलाएं और लड़कियां जो लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव होती हैं। उन्हें भी इससे खतरा है।

सवाल- डीपफेक फोटो या वीडियो से हम खुद को कैसे बचा सकते हैं?

जवाब- डीपफेक से खुद को बचाने के लिए सतर्कता और डिजिटल सावधानी बहुत जरूरी है। नीचे दिए गए उपाय अपनाकर आप अपनी तस्वीरों और पहचान की सुरक्षा कर सकते हैं।

सवाल- भारत में डीपफेक के खिलाफ क्या कानून मौजूद हैं?

जवाब- साइबर सिक्योरिटी और AI लॉ एक्सपर्ट डॉ. पवन दुग्गल बताते हैं कि भारत में फिलहाल डीपफेक जैसे AI-जनरेटेड फर्जी वीडियो, फोटो या ऑडियो के लिए कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन कई मौजूदा कानून और धाराएं ऐसे मामलों में इस्तेमाल की जा सकती हैं। ये कानून डिजिटल हैरेसमेंट, निजता के उल्लंघन, फर्जी जानकारी फैलाने और महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध जैसे मामलों को कवर करते हैं। भारत में डीपफेक से निपटने वाले प्रमुख कानून:

  • आईटी एक्ट, 2000
  • धारा 66D- फर्जी पहचान से धोखाधड़ी।
  • धारा 66E- निजता का उल्लंघन (जैसे बिना अनुमति के किसी की फोटो/वीडियो लेना)।
  • धारा 67 और 67A- अश्लील या यौन कंटेंट को इलेक्ट्रॉनिक रूप में फैलाना।

भारत में डीपफेक से जुड़े अपराधों के लिए आईटी एक्ट, BNS और आईटी नियम 2021 का संयुक्त रूप से इस्तेमाल होता है। भविष्य में डीपफेक के लिए अलग से सख्त कानून लाने की मांग हो रही है।

सवाल- डीपफेक का शिकार होने पर क्या करें?

जवाब- डीपफेक का शिकार होने पर घबराएं नहीं, तुरंत इसकी शिकायत दर्ज कराएं।

  • साइबर क्राइम पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत करें।
  • https://www.cybercrime.gov.in में “Report Women/Child Related Crime” सेक्शन से डीपफेक की शिकायत दर्ज की जा सकती है।
  • वीडियो या इमेज का स्क्रीनशॉट, लिंक और अन्य सबूत अपलोड करें।
  • नजदीकी साइबर सेल या पुलिस थाने में जाएं।
  • शिकायत पत्र के साथ डीपफेक से संबंधित सभी सबूत (जैसे वीडियो, लिंक, चैट, स्क्रीनशॉट) साथ ले जाएं।
  • FIR दर्ज कराएं, खासकर अगर मामला महिला की गरिमा, धमकी या अश्लीलता से जुड़ा हो।
  • अगर डीपफेक कंटेंट फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर), यूट्यूब आदि पर हो तो संबंधित पोस्ट को रिपोर्ट करें और take down request डालें।
  • महिलाओं के मामलों में महिला हेल्पलाइन 1091 या 181 पर कॉल करें।
  • नेशनल कमीशन फॉर वुमन (NCW) की वेबसाइट पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है।

…………………

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