6 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी
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क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही बात को दो अलग-अलग तरीकों से कहने से कितना फर्क पड़ सकता है? फर्ज करिए कि आपने अपने दोस्त को एक नया आइडिया बताया और जवाब में उसने कहा कि, ‘ये तो बेकार है, बकवास है।’ अब वही दोस्त अगर कहता कि, ‘आइडिया अच्छा है, बस इसमें थोड़ी और डिटेलिंग चाहिए।’ आपको किस जवाब को सुनकर कैसा महसूस होगा?
बहुत संभव है कि पहला जवाब आपको कमतर महसूस कराएगा, जबकि दूसरा आपको प्रेरित करेगा। यही आलोचना और फीडबैक में फर्क है। आलोचना नीचा दिखाती है, जबकि फीडबैक बेहतर बनने के लिए प्रेरित करता है।
आज के ‘सक्सेस मंत्रा’ कॉलम का टॉपिक है फीडबैक। हम समझेंगे कि कैसे फीडबैक मंजिल तक पहुंचने की मजबूत कड़ी है। यह हमें सक्सेस की ओर कैसे ले जाता है और इसे अपनी जिंदगी में कैसे शामिल करें।
फीडबैक और आलोचना में है बड़ा फर्क
फीडबैक और आलोचना दोनों ही गलतियां बताने के तरीके हैं, लेकिन दोनों का तरीका और असर बिल्कुल अलग होता है। ग्राफिक में देखिए:

बच्चे के होमवर्क के उदाहरण से समझें बात
फर्ज कीजिए आपका बच्चा होमवर्क में गलती करता है। आप उससे कहते हैं कि, ‘तुम्हें कुछ समझ में ही नहीं आता है।’ इससे बच्चा डर जाएगा और अगली बार कोई कोशिश करने से हिचकने लगेगा।
अब यही बात अगर आप इस तरह कहें कि, ‘बेटा, ये सवाल लगता है थोड़ा गलत हो गया है। चलो, इसे साथ मिलकर ठीक करते हैं।’ इससे बच्चा न सिर्फ कुछ सीखेगा, बल्कि आप पर भरोसा भी करेगा। आलोचना डर पैदा करती है, जबकि फीडबैक हौसला देता है।
मार्शल रोजेनबर्ग ने सिखाया नॉनवायलेंट कम्युनिकेशन
प्रसिद्ध साइकोलॉजिस्ट मार्शल रोजेनबर्ग ने अपनी पूरी जिंदगी हर किसी को नॉनवायलेंट कम्युनिकेशन की सलाह दी। उन्होंने सिखाया कि शब्दों के सही चयन से शांति और समझदारी बनाई जा सकती है। उन्होंने अपनी किताब नॉनवायलेंट कम्युनिकेशन में लिखा है कि कैसे सम्मान और करुणा से बात करके रिश्ते बेहतर बनाए जा सकते हैं।
वे खासतौर पर बच्चों को सहानुभूति और सहयोग सिखाते थे, जैसे एक-दूसरे की भावनाओं को समझना और साथ मिलकर काम करना। उनका कहना था कि जब हम एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हैं और मिलकर काम करते हैं तो हम एक बेहतर दुनिया बना सकते हैं।

फीडबैक क्यों जरूरी है?
फीडबैक सिर्फ गलतियां सुधारने का तरीका नहीं है, बल्कि एक ऐसा ब्रिज है जो लोगों में केनेक्शन बिल्ड करता है। यह हमें और हमारे आसपास के लोगों को बेहतर बनाता है। फीडबैक से क्या बेहतर हो सकता है, देखें-
सीखने का मौका: फीडबैक गलतियों से डराता नहीं, सीखने का मौका देता है।
रिश्तों में मिठास: प्यार से कही बात दिल को छूती है और भरोसा बढ़ाती है।
सकारात्मक माहौल: घर, स्कूल या ऑफिस हर जगह फीडबैक से सकारात्मक माहौल बनता है।
आत्मविश्वास का जादू: जब कोई कहता है, ‘तुम और बेहतर कर सकते हो’ तो मन में कुछ कर गुजरने की हिम्मत आती है।
ऑफिस के जरिए समझें उदाहरण
मान लीजिए आप ऑफिस में एक प्रेजेंटेशन देते हैं। आपका बॉस कहता है, ‘ये तो बहुत खराब था, घटिया था।’ इससे आप हतोत्साहित हो जाते हैं और अगली बार कोई कोशिश करने से डरते हैं।
अब वही बॉस अगर कहे कि, ‘तुम्हारा कॉन्सेप्ट अच्छा था, बस स्लाइड्स को थोड़ा और क्रिस्प करो तो ये शानदार हो सकता है।’ यानी तारीफ के साथ जरूरी सुधार के लिए भी बता देता है तो इससे आप न सिर्फ सुधार करेंगे, बल्कि अगली बार और जोश के साथ काम करेंगे। फीडबैक वह चिंगारी है जो आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा सकती है।
फीडबैक बनाता है सक्सेसफुल?
फीडबैक सक्सेस का एक अनमोल हथियार है। यह आपको अपनी कमजोरियों को समझने और उन्हें ताकत में बदलने का मौका देता है। आइए, देखें कैसे:
प्रदर्शन बेहतर होता है: फीडबैक आपको सही दिशा दिखाता है। उदाहरण के लिए अगर कोई कहता है कि, ‘तुम्हारा लेख अच्छा है, बस इंट्रो को थोड़ा और आकर्षक ढंग से लिखो’ तो आप अगली बार बेहतर लेख लिख सकते हैं।
टीमवर्क की ताकत है: ऑफिस में फीडबैक से कलीग्स एक-दूसरे के साथ बेहतर तालमेल बनाते हैं। मान लीजिए कोई कहता है कि ‘तुम्हारा डेटा एनालिसिस शानदार था, अगर इसे ग्राफ में दिखाओ तो और प्रभावी होगा।’ इससे प्रोजेक्ट्स सफल होते हैं।
नए आइडियाज मिलते हैं: फीडबैक नए नजरिए देता है। एक स्टूडेंट को अगर टीचर कहे कि, ‘तुम्हारा जवाब अच्छा है, लेकिन इसमें एक उदाहरण और जोड़ो,’ तो वह रचनात्मकता सीखता है।
लंबी उड़ान का साथी है: जो लोग फीडबैक को दिल से स्वीकार करते हैं, फिर उस पर काम करते हैं तो वे लगातार सीखते हैं। यही आदत उन्हें करियर और जिंदगी में ऊंचाइयों तक ले जाती है।
कैसे दें फीडबैक?
सबसे पहले तो ये समझिए कि फीडबैक हमेशा पॉजिटिव होते हैं। इसमें किसी की कमियों को पहचानकर भी उन्हें इस अंदाज में कहा जाता है कि सामने वाले व्यक्ति को ठेस न पहुंचे और वह कुछ सुधार कर सके।

घर के उदाहरण से समझें बात
मान लीजिए किसी त्योहार में या फंक्शन में आपके भाई ने घर सजाया, लेकिन रंगों का कॉम्बिनेशन थोड़ा अजीब लग रहा है। ऐसे में आप उससे कह सकते हैं कि, ‘वाह, तुमने कितनी मेहनत की है। सबकुछ बहुत सुंदर लग रहा है, अगर हम इसमें लाइट कलर यूज करें तो और खूबसूरत लगेगा।’ यह फीडबैक उसका हौसला बढ़ाएगा, न कि उसे बुरा लगेगा।
फीडबैक चैलेंज से सीखें
हर दिन एक छोटा सा चैलेंज लेकर देखें कि फीडबैक आपकी जिंदगी को कैसे बदलता है।

फीडबैक को अपनी जिंदगी में कैसे शामिल करें?
फीडबैक को अपनाना इतना आसान है कि आप इसे आसानी से अपनी जिंदगी का हिस्सा बना सकते हैं। यह न सिर्फ आपको बेहतर बनाएगा, बल्कि सक्सेस के रास्ते पर ले जाएगा। यहां कुछ प्रैक्टिकल तरीके हैं:
मन खुला रखें: फीडबैक को आलोचना की तरह न लें। इसे एक दोस्त की सलाह की तरह देखें, जो आपको बेहतर बनाना चाहता है।
छोटे कदम उठाएं: रोज किसी को एक पॉजिटिव फीडबैक दें। जैसे कि अपने कलीग को कहें, ‘तुमने मीटिंग में बहुत अच्छा पॉइंट उठाया।’
फीडबैक मांगें: अपने दोस्तों, परिवार या बॉस से पूछें, ‘मैं और बेहतर कैसे कर सकता हूं?’ यह आपको नए नजरिए देगा।
लिखकर देखें: एक डायरी में अपनी गलतियों और फीडबैक से मिली सीख को लिखें। इससे आप अपने लक्ष्य पर फोकस्ड रहेंगे।
लगातार सीखें: हर फीडबैक को एक नया सबक समझें। अगर कोई कहता है कि, ‘तुम्हारा प्रोजेक्ट अच्छा है, लेकिन समय पर पूरा करो,’ तो अगली बार टाइम मैनेजमेंट पर काम करें।
सक्सेस का मंत्र है फीडबैक
फीडबैक न सिर्फ आपको और आपके रिश्तों को बेहतर बनाता है, बल्कि आपके सपनों को हकीकत में बदलने का रास्ता दिखाता है। आज से शुरू करें एक छोटा सा फीडबैक और देखें कैसे यह आपकी जिंदगी को सक्सेस की नई ऊंचाइयों तक ले जाता है।
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