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Amadi Benefits: यूपी बिहार में जिस आमड़ी को लोग पशुओं के आगे चारा समझकर डाल देते हैं, उसी से एमपी में सब्जी बनाई जाती है. जानें इसकी खासियत…
हाइलाइट्स
- अमाड़ी के पत्तों में आयरन, कैल्शियम, विटामिन-A होते हैं
- मध्य प्रदेश में अमाड़ी की भाजी सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती है
- अमाड़ी के तने से देसी रस्सी बनाई जाती है
Health Tips: मध्य प्रदेश के खरगोन समेत पूरे निमाड़ अंचल में एक देसी भाजी की खूब डिमांड है. इसे यहां लोग अमाड़ी कहते हैं. खास बात ये कि जिन पत्तों को दूसरे राज्य के लोग बेकार समझकर चारे में डाल देते हैं, उन्हीं पत्तियों को यहां भाजी बनाकर बड़े चाव से खाया जाता है. गांव-देहात के लोग इसे सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि सेहत का खजाना मानते हैं. चाहे दाल में डालकर पकाना हो या सूखी भाजी बनानी हो, अमाड़ी हर रूप में पसंद की जाती है.
बता दें कि अमाड़ी का पौधा लगभग हर राज्य में पाया जाता है, लेकिन उसका महत्व शायद सिर्फ निमाड़ ने समझा है. आयुर्वेद में अमाड़ी के पत्ते, फूल और तना ओर जड़ सभी औषधीय गुणों से भरपूर माने गए हैं. खरगोन के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. संतोष मौर्य बताते हैं कि इसकी पत्तियों में आयरन, कैल्शियम, विटामिन-A और कई जरूरी पोषक तत्व भरपूर होते हैं. ये भाजी न सिर्फ स्वाद में हल्की होती है, बल्कि पाचन में भी आसानी से डाइजेस्ट होती है, इसलिए बुजुर्गों के लिए भी यह फायदेमंद मानी जाती है.
सुखाकर साल भर के लिए स्टोर करते हैं
गांवों में आज भी यह भाजी दवा की तरह इस्तेमाल की जाती है. महिलाएं गर्मी और बारिश के मौसम में इसके पत्तों को तोड़कर सुखा लेती हैं. फिर सालभर के लिए स्टोर कर लेती हैं. सर्दियों में यही सूखी अमाड़ी दालों में मिलाकर पकाई जाती है. स्वाद बढ़ाने के लिए लोग इसमें सूखे बेर भी डालते हैं, जो पारंपरिक व्यंजन बन जाता है. चटनी के रूप में भी इसका उपयोग होता है, जिससे शरीर में गर्मी बनी रहती है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.
दिलचस्प बात ये कि इस पौधे के तने का इस्तेमाल गांवों में रस्सी बनाने में भी होता है. इसकी लकड़ी से बनने वाली देसी रस्सी मजबूत होती है. खेतों के काम, खटिया बुनाई, बोरियों की गांठ आदि में खूब काम आती है. आज जब प्लास्टिक और केमिकल से बनी चीजों की भरमार है, तब भी निमाड़ में यह देसी जुगाड़ टिकाऊ और सस्ता विकल्प बना हुआ है.
खरगोन का पारंपरिक व्यंजन
वहीं, शहरों में जहां लोग फास्ट फूड और प्रोसेस्ड खाने की तरफ भाग रहे हैं. वहीं, निमाड़ में अमाड़ी की भाजी आज भी थाली में राज करती है. यह सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि निमाड़ की पहचान बन चुकी है. पारंपरिक व्यंजन में शुमार है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, इस भाजी को ज्वार, मक्का और बाजरा की रोटी के साथ खाना ज्यादा पसंद करते है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.