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10 घंटे पहलेलेखक: संदीप सिंह
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बीते दिनों मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से एक बेहद दर्दनाक खबर सामने आई। यहां डेढ़ साल के एक मासूम बच्चे की दम घुटने से मौत हो गई। परिजनों ने उसे खाने के लिए जेली दी थी, जो उसके गले में फंस गई। इससे अचानक उसकी सांस रुक गई।
ये घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं है। ऐसा हादसा कभी भी और किसी भी परिवार हो सकता है। छोटे बच्चों को लेकर थोड़ी-सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए बच्चों को क्या खिलाया जाए और क्या नहीं, ये जानना हर माता-पिता के लिए बेहद जरूरी है।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि छोटे बच्चों को कौन-सी चीजें नहीं खिलानी चाहिए? साथ ही जानेंगे कि-
- किन चीजों से गला रुकने (चोकिंग) का खतरा ज्यादा होता है?
- अगर कभी ऐसी स्थिति आ जाए तो क्या करें?
एक्सपर्ट: डॉ. राजीव उत्तम, डायरेक्टर, पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी, पीडियाट्रिक केयर, मेदांता, गुरुग्राम
सवाल- पेरेंट्स को छोटे बच्चों को किन चीजों से दूर रखना चाहिए?
जवाब- डॉ. राजीव उत्तम बताते हैं कि छोटे बच्चों की प्रवृत्ति होती है कि वे हर चीज को मुंह में डालने की कोशिश करते हैं। चाहे वह फूड आइटम हो या नॉन-फूड आइटम। इसी आदत की वजह से गला रुकने (चोकिंग), पॉइजनिंग या इन्फेक्शन का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए पेरेंट्स और उनके आसपास के लोगों को खास सावधानियां बरतनी चाहिए। नीचे ग्राफिक में दी गई चीजें छोटे बच्चों से दूर रखना जरूरी है।

सवाल- गोल या फिसलन भरी चीजें क्यों ज्यादा खतरनाक होती हैं?
जवाब- डॉ. राजीव उत्तम बताते हैं कि छोटे बच्चों की निगलने की क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं हुई रहती है। इसलिए गोल या फिसलन भरी चीजें उनके लिए ज्यादा खतरनाक होती हैं। मटर के दाने, भुने चले, जेली या हार्ड कैंडी जैसी चीजें बच्चे के गले में फंस सकती हैं और सांस की नली बंद कर सकती हैं। इससे बच्चे की सांस रुक सकती है।
सवाल- बच्चों को खाने की चीजें किस तरह से देनी चाहिए?
जवाब- बच्चों को खाने का कोई आइटम छोटे टुकड़ों में काटकर या मैश करके देना चाहिए। कुछ भी खिलाने से पहले उसे इतना बारीक पीसें कि बच्चे आसानी से उसे खा सकें। खासकर तीन साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खाना नरम और आसानी से पचने वाला होना चाहिए। इससे उन्हें पोषण भी सही मात्रा में मिलता है और चोकिंग का खतरा भी नहीं होता है।
सवाल- क्या बच्चे को खाना खिलाते समय उसकी पोजिशन का भी कुछ फर्क पड़ता है?
जवाब- हां, बच्चे का खाने के दौरान बैठना बहुत जरूरी होता है। उसे हमेशा बिठाकर ही खाना खिलाना चाहिए। लेटे हुए खाने पर वह खाना सही से निगल नहीं पाता है और खाना गले में फंस सकता है।

सवाल- क्या बाजार में मिलने वाले ‘किड्स फ्रेंडली स्नैक्स’ सुरक्षित होते हैं?
जवाब- बाजार में मिलने वाले ‘किड्स फ्रेंडली स्नैक्स’ हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इनमें कभी-कभी ऐसी चीजें होती हैं, जो छोटे बच्चों के लिए खतरा बन सकती हैं। इसलिए माता-पिता को पैकेट पढ़कर ही देना चाहिए और बच्चे की उम्र के अनुसार ही स्नैक्स चुनने चाहिए। साथ ही खाते वक्त बच्चे का ध्यान रखना भी जरूरी है।
सवाल- क्या 6 महीने से 3 साल तक की उम्र के लिए कोई ‘सेफ फूड गाइडलाइन’ है?
जवाब- भारत सहित कई देशों जैसे अमेरिका (CDC, USDA), यूनाइटेड किंगडम (NHS) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 6 महीने से 3 साल के बच्चों के लिए सेफ फूड गाइडलाइन जारी की हैं। इनमें से कुछ मुख्य पॉइंट्स को यहां समझिए-
- जब बच्चा 6 महीने का हो जाए तब उसे दूध के साथ-साथ नरम लिक्विड चीजें दे सकते हैं।
- खाना छोटे-छोटे और नरम टुकड़ों में दें, ताकि बच्चा आसानी से खा सके और गले में न फंसे।
- ज्यादा मीठा, नमक, मसालेदार, तला भुना और प्रोसेस किया हुआ खाना न दें।
- नई खाने की चीजें धीरे-धीरे दें ताकि अगर बच्चे को उससे एलर्जी हो तो समय पर पता चल सके।
- खाना बनाते और खिलाते समय हाथ साफ रखें।
सवाल- बच्चे को कुछ भी खिलाने से पहले किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए?
जवाब- बच्चे की सुरक्षा और सही पोषण के लिए यह जरूरी है कि माता-पिता खाने से पहले कुछ सावधानियां जरूर बरतें। छोटी सी लापरवाही भी बच्चे के लिए खतरा बन सकती है, खासकर जब वह छोटा हो और निगलने की क्षमता पूरी तरह विकसित न हो।

सवाल- अगर बच्चे के गले में खाना फंस जाए और वह सांस न ले पा रहा हो तो क्या करें?
जवाब- ऐसी स्थिति में बिल्कुल घबराएं नहीं, तुरंत फर्स्ट एड दें। सांस रुकने पर कुछ सेकेंड्स भी बेहद अहम होते हैं। ऐसे में छोटे बच्चों के लिए इन स्टेप्स को अपनाएं।
स्थिति को पहचानें
बच्चा सांस नहीं ले पा रहा, खांस नहीं पा रहा, आंसू आ रहे हैं या चेहरा नीला पड़ने लगे तो यह गंभीर चोकिंग की निशानी है।
बैक ब्लो तकनीक अपनाएं
- बच्चे को अपने हाथ या जांघ पर पेट के बल झुकाएं, उसका सिर शरीर से थोड़ा नीचे करें।
- अपनी हथेली से कंधों के बीच 5 बार पीठ पर थपथपाएं।
- हर थपकी थोड़ी जोरदार होनी चाहिए ताकि अटका खाना बाहर निकल सके।
चेस्ट थ्रस्ट दें (अगर बैक ब्लो से राहत न मिले)
- बच्चे को पलटकर पीठ के बल अपनी गोद में लिटाएं।
- अपनी दो उंगलियों से बच्चे की छाती पर हल्के प्रेशर से 5 बार प्रेस करें।
- यह तकनीक बच्चा छोटा हो (1 साल से कम) तब ज्यादा उपयोगी होती है।
हर स्टेप के बाद देखें कि क्या सांस वापस आ रही है। अगर सांस रुके तो तुरंत बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं। अगर बच्चा बेहोश हो जाए CPR (Cardiopulmonary Resuscitation) शुरू करें। ध्यान रखें कि उंगली डालकर कुछ निकालने की कोशिश न करें। इससे चीज और अंदर जा सकती है। हमेशा कोशिश करें कि बच्चा बैठकर ही खाए और खिलाते समय ध्यान बना रहे।

सवाल- बच्चों के लिए खिलौनों के चयन में किन बातों का ध्यान रखें?
जवाब- छोटे बच्चे खेलते वक्त खिलौनों को मुंह में डालने की आदत रखते हैं। ऐसे में गलत खिलौना उनकी सेहत और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए खिलौने चुनते समय ये बातें जरूर ध्यान में रखें।
- हमेशा बड़े और सुरक्षित आकार के खिलौने चुनें। छोटे या आसानी से निगलने वाले खिलौनों से बचें।
- ऐसा मटेरियल चुनें, जो मजबूत और टिकाऊ हो।
- खिलौनों के किनारे मुलायम और गोल हों ताकि बच्चे को चोट न लगे।
- पैकिंग पर दिए गए ‘उम्र अनुसार उपयुक्त’ लेबल को जरूर देखें और उसी हिसाब से खिलौना खरीदें।
- केमिकल-फ्री और नॉन-टॉक्सिक मटेरियल खिलौने लें, जो आर्टिफिशियल रंग या केमिकल्स से न बने हों।
- अगर खिलौना बैटरी से चलता है तो उसकी बैटरी कवरिंग मजबूत हो, ताकि बच्चा उसे खोल न सके।
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