Sunday, June 1, 2025
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फिजिकल हेल्थ- शाकाहार से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम: प्लांट बेस्ड डाइट हेल्थ के लिए बेस्ट, डॉक्टर से जानें क्या खाएं, क्या न खाएं


5 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। ‘नेचर मेडिसिन’ जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, साल 2022 में दुनिया भर में ब्रेस्ट कैंसर के करीब 23 लाख नए मामले सामने आए थे। वहीं लगभग 6.7 लाख महिलाएं इसके कारण अपनी जिंदगी की जंग हार गई थीं।

हाल ही में ब्रेस्ट कैंसर को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है। इसमें बताया गया है कि हेल्दी और प्लांट-बेस्ड डाइट (शाकाहार) से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो सकता है। खासकर उन महिलाओं में, जिन्हें पीरियड आना बंद हो चुका है। यह स्टडी अप्रैल 2025 में ‘जर्नल ऑफ हेल्थ पॉपुलेशन एंड न्यूट्रिशन’ में पब्लिश हुई है, जो कि ईरान की कुछ महिलाओं पर की गई है।

तो चलिए, आज फिजिकल हेल्थ कॉलम में हम शाकाहार और ब्रेस्ट कैंसर के बीच कनेक्शन को समझेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • शाकाहारी खानपान ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कैसे कम करता है?
  • इससे बचने के लिए क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?

शाकाहार और ब्रेस्ट कैंसर के बीच कनेक्शन

शाकाहार और ब्रेस्ट कैंसर के बीच के कनेक्शन पर वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे हैं। कई स्टडीज बताती हैं कि जो महिलाएं फल, सब्जियां, अनाज, बीन्स, नट्स और सीड्स जैसे प्लांट बेस्ड डाइट लेती हैं, उनमें मांसाहारी महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। यह संभावित प्रोटेक्टिव प्रभाव शाकाहारी डाइट में मौजूद कुछ खास न्यूट्रिएंट्स और बायोएक्टिव कंपाउंड्स के कॉम्बिनेशन से होता है।

प्लांट बेस्ड फूड्स में फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स की अच्छी मात्रा होती है। ये जरूरी पोषक तत्व कैंसर से प्रोटेक्ट करने में मददगार हैं। इसमें DNA को डैमेज होने से रोकना, इंफ्लेमेशन को कम करना और कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोकना शामिल है।

कुल मिलाकर शाकाहारी डाइट ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में मददगार हो सकती है। लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि कैंसर सिर्फ डाइट से जुड़ी बीमारी नहीं है। इसमें जेनेटिक कारण, लाइफस्टाइल और पर्यावरण भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।

इस बारे में क्या कहती हैं स्टडीज

ब्रेस्ट कैंसर रिसर्च फाउंडेशन (BCRF) इस बात से सहमत है कि फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट में शामिल करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है।

अमेरिकन एसोसिएशन फॉर कैंसर रिसर्च (AACR) जर्नल में पब्लिश एक स्टडी भी बताती है कि हेल्दी और प्लांट बेस्ड डाइट से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो सकता है। खासकर उन ट्यूमर का, जो तेजी से बढ़ने वाले होते हैं।

वहीं वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड (WCRF) के मुताबिक, शाकाहारी डाइट अपनाने से किसी भी प्रकार के कैंसर का रिस्क करीब 14% तक कम हो सकता है।

शाकाहारी भोजन में होते कैंसर-रोधी गुण

शाकाहारी खाने में कुछ खास न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं, जो कैंसर से लड़ने में मदद कर सकते हैं। जैसेकि-

फाइबर: यह पेट साफ रखने और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा एस्ट्रोजन हाॅर्मोन को कंट्रोल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा हो सकता है।

एंटीऑक्सिडेंट: ये मुख्य रूप से पौधों में पाए जाने वाले नेचुरल कंपाउंड होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इससे कैंसर का खतरा कम हो सकता है।

फाइटोकेमिकल्स: ये पौधों में पाए जाने वाले एक्टिव कंपाउंड होते हैं, जिनमें कैंसर-रोधी गुण होते हैं। ये शरीर में कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोकने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं।

कम फैट: शाकाहारी भोजन में सामान्यतः सैचुरेटेड फैट की मात्रा कम होती है। हाई-फैट डाइट के मुकाबले यह शरीर में सूजन और हाॅर्मोनल असंतुलन को घटाकर कैंसर के खतरे को कम कर सकता है।

मीट में होते कैंसर कारक तत्व

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, प्रोसेस्ड और रेड मीट में कैंसरकारी (कार्सिनोजेनिक) तत्व हो सकते हैं। इसके अलावा मीट की मात्रा और उसे पकाने का तरीका भी कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। जब मीट को बहुत ज्यादा मात्रा में और तेज तापमान पर पकाया जाता है तो उसमें खतरनाक तत्व बनने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही मांसाहारी भोजन में कुछ प्राकृतिक रूप से मौजूद तत्व भी कैंसर के खतरे से जुड़े हो सकते हैं। जैसेकि-

प्रोसेस्ड मीट: इसमें नाइट्रेट, नाइट्राइट और एन-नाइट्रोसो जैसे कुछ तत्व होते हैं, जो शरीर में जाकर कैंसर का कारण बन सकते हैं।

रेड मीट: बीफ, पोर्क जैसे रेड मीट को तेज आंच पर पकाने से कुछ ऐसे तत्व बन सकते हैं, जो कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

ज्यादा फैट: मांसाहारी खाने में अक्सर फैट की मात्रा अधिक होती है, जो हाॅर्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है और शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ाता है। ये दोनों ही कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारक हैं।

IGF-1: यह एक हाॅर्मोन है, जिसकी मात्रा मांसाहारी भोजन से बढ़ सकती है। ये हॉर्मोन कैंसर सेल्स की ग्रोथ में मदद कर सकता है।

शाकाहारी डाइट से ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को करें कम

ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. सुमित पुरोहित बताते हैं कि कुछ शाकाहारी फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करके ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

लाइफस्टाइल में भी बदलाव जरूरी

ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती है। हालांकि अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

इसमें संतुलित और पौष्टिक डाइट लेना, नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, वजन मेंटेन रखना, पर्याप्त नींद लेना और स्ट्रेस को मैनेज करना शामिल है। ये बदलाव न केवल ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करते हैं, बल्कि ओवरऑल हेल्थ को भी दुरुस्त रखते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

शाकाहार और ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े कुछ कॉमन सवाल-जवाब

सवाल- क्या सिर्फ शाकाहारी भोजन से ब्रेस्ट कैंसर पूरी तरह ठीक हो सकता है?

जवाब- डॉ. सुमित पुरोहित बताते हैं कि नहीं, शाकाहारी भोजन ब्रेस्ट कैंसर का इलाज नहीं है। यह सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।

सवाल- क्या शाकाहारी भोजन अपनाने से ब्रेस्ट कैंसर के बाद रिकवरी में मदद मिलती है?

जवाब- हां, शाकाहारी भोजन में फाइबर, विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट्स अधिक होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने और रिकवरी प्रक्रिया में मदद कर सकते हैं। हालांकि कैंसर के इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह और मेडिकल ट्रीटमेंट जरूरी है।

सवाल- क्या फास्ट फूड और पैकेज्ड फूड भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं?

जवाब- हां, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड पैकेज्ड फूड में अक्सर हाई फैट, शुगर, प्रिजर्वेटिव और एडिटिव्स होते हैं, जो शरीर में सूजन और हार्मोनल असंतुलन बढ़ा सकते हैं। ये दोनों ही ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क फैक्टर माने जाते हैं। इसलिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करना बेहतर होता है।

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