Tuesday, June 17, 2025
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फिजिकल हेल्थ- रैशेज हो सकते हैं स्किन कैंसर का संकेत: इन संकेतों को कैसे पहचानें, डॉक्टर से जानें किन लोगों को ज्यादा खतरा


7 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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स्किन कैंसर दुनिया के सबसे कॉमन कैंसर में से एक है। इसके बावजूद बहुत से लोग इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। सिर्फ अमेरिका में ही हर साल लगभग 54 लाख लोगों को स्किन कैंसर डाइग्नोज होता है। मस्सा या रैशेज जैसे कई ऐसे संकेत हो सकते हैं, जो इस बीमारी की ओर इशारा करते हैं। अगर समय रहते ये संकेत पहचान लिए जाएं तो इलाज ज्यादा असरदार हो सकता है और पेशेंट पूरी तरह ठीक हो सकता है।

अल्ट्रावायलेट किरणों से स्किन की कोशिकाओं के बढ़ने के तरीके में बदलाव हो सकते हैं। इससे स्किन कैंसर हो सकता है। इसके शुरुआती लक्षणों में त्वचा पर नया उभार या दाग दिखाई दे सकता है। अगर पहले से मौजूद तिल, मस्से या निशान के आकार, रंग या बनावट में बदलाव हो रहा है तो भी सावधानी बरतने की जरूरत है।

इसलिए ‘फिजिकल हेल्थ’ में आज स्किन कैंसर के लक्षणों की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • कैसे बदलाव स्किन कैंसर के संकेत हो सकते हैं?
  • किस रंग के मस्से खतरनाक हो सकते हैं?
  • इसका ABCDE रूल क्या है?
  • इसके क्या रिस्क फैक्टर्स हैं?

स्किन कैंसर क्या है?

स्किन कैंसर में त्वचा की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। आमतौर पर कोशिकाएं पुरानी होने पर मर जाती हैं और उनकी जगह नई कोशिकाएं बनती हैं। अगर यह प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है तो कोशिकाएं जरूरत से ज्यादा और गलत तरीके से बढ़ने लगती हैं। कुछ कोशिकाएं नॉन-कैंसरस होती हैं, जो शरीर में नहीं फैलती और ज्यादा नुकसान नहीं करती हैं। वहीं कैंसर वाली कोशिकाएं तेजी से फैलती हैं और शरीर के दूसरे हिस्सों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

स्किन कैंसर के लक्षण क्या हैं?

स्किन कैंसर का सबसे कॉमन संकेत त्वचा पर कोई नया बदलाव हो सकता है, जैसे नई गांठ बनना या पहले से मौजूद तिल, मस्से या दाग में बदलाव होना। इसके अलावा कुछ खास लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी है:

इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

हम स्किन की बहुत से ऐसे लक्षणों को सामान्य मानकर इग्नोर कर देते हैं, जो बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। डॉ. आदित्य सरीन कहते हैं कि ये ठीक भी है। अगर किसी को खुजली हो रही है तो वह स्किन कैंसर के बारे में तो नहीं ही सोचेगा और सोचना भी नहीं चाहिए। बात उससे आगे की है। इसमें कुछ बारीकियां समझने की भी जरूरत है।

लगातार खुजली या जलन

अगर त्वचा पर बार-बार खुजली या हल्की जलन हो रही है, खासकर उन हिस्सों में जहां आमतौर पर ऐसा नहीं होता है तो यह स्किन कैंसर का संकेत हो सकता है। बेसल सेल कार्सिनोमा (BCC), जो कॉमन स्किन कैंसर है। अक्सर एक चमकदार, मोती जैसे दाने या न भरने वाले निशान जैसा होता है।

नाखूनों में बदलाव

अगर नाखून के नीचे काले या भूरे रंग की धारियां दिखाई दे रही हैं तो इसे हल्के में न लें। यह सबएंगुअल मेलानोमा यानी रेयर, लेकिन गंभीर स्किन कैंसर हो सकता है। यह अक्सर उंगली या पैर के नाखून में एक पट्टी जैसी लाइन के रूप में दिखता है और नाखून को जड़ से अलग कर सकता है।

स्किन का रंग बदलना

अगर स्किन पर अचानक लाल, बैंगनी या भूरे रंग के पैच दिखने लगे हैं तो यह नॉर्मल रैश नहीं, बल्कि कैंसर का लक्षण हो सकता है। रेयर स्किन कैंसर कपोसी सारकोमा ऐसा ही दिखता है और यह कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण होता है।

सूखे, खुरदरे या पपड़ीनुमा पैच

अगर त्वचा पर बार-बार सूखे या पपड़ीनुमा हिस्से बनते हैं और क्रीम या मॉस्चराइजर से भी ठीक नहीं होते तो यह एक्टिनिक कैरेटोसिस नाम की प्री-कैंसर कंडीशन हो सकती है। यह आगे चलकर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा में बदल सकती है।

पुराने मस्से में बदलाव

अगर किसी पुराने मस्से का आकार बिगड़ने लगे, किनारे असमान हो जाएं, रंग बदल जाए, आकार 6 मिलीमीटर से बड़ा हो जाए या उसमें खुजली, खून या पपड़ी बनने लगे तो यह मेलानोमा का संकेत हो सकता है। ऐसे मस्सो की नियमित जांच बहुत जरूरी है।

घाव या अल्सर न भरना

अगर स्किन पर कोई घाव या अल्सर कई हफ्तों से ठीक नहीं हो रहा या ठीक होकर बार-बार फिर से खुल रहा है तो यह खतरे की घंटी हो सकती है। बेसल सेल कार्सिनोमा और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा में ऐसा अक्सर होता है।

नई गांठ या उभार

अगर 30 साल की उम्र के बाद स्किन पर कोई नई गांठ, उभार या मस्सा बनने लगे, खासकर जो लाल, गुलाबी या भूरे रंग की हो तो यह स्किन कैंसर का संकेत हो सकता है। ये गांठें कभी-कभी पुराने घाव या मस्से जैसी लग सकती हैं।

घाव न भरना

अगर कोई मामूली कट या स्क्रैच ठीक नहीं हो रहा या ठीक होकर फिर से घाव हो जा रहा है तो यह बेसल सेल कार्सिनोमा का लक्षण हो सकता है। ऐसा आमतौर पर चेहरे, गर्दन, हाथ, पैर, कान या छाती जैसी धूप में खुली जगहों पर होता है।

स्किन कैंसर दिखता कैसा है?

स्किन कैंसर कैसा दिखेगा, ये उसके प्रकार पर निर्भर करता है। हर तरह का स्किन कैंसर अलग दिख सकता है, लेकिन कुछ सामान्य संकेत हैं जिन्हें आप पहचान सकते हैं। इन्हें याद रखने के लिए एक आसान तरीका है- ABCDE रूल:

A -एसिमिट्री: तिल या दाग का आकार एक जैसा नहीं होता। उसका एक हिस्सा दूसरे से अलग दिखता है।

B-बॉर्डर: उसके किनारे साफ और गोल नहीं होते, बल्कि कटे-फटे या धुंधले होते हैं।

C-कलर: तिल या दाग में एक से ज्यादा रंग दिखते हैं, जैसे काला, भूरा, गुलाबी या लाल।

D-डायमीटर: अगर तिल या दाग 6 मिलीमीटर से बड़ा है तो सतर्क हो जाएं।

E-इवोल्यूशन: तिल या दाग का आकार, रंग, मोटाई या लक्षण जैसे खुजली, खून, दर्द समय के साथ बदल रहे हैं। यह सबसे जरूरी संकेत होता है।

किन लोगों को स्किन कैंसर का खतरा ज्यादा होता है?

स्किन कैंसर किसी को भी हो सकता है, चाहे वो किसी भी रंग, जेंडर या उम्र का हो। हालांकि, कुछ लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है। 50 साल से पहले महिलाओं में स्किन कैंसर ज्यादा देखने को मिलता है, जबकि 50 साल के बाद यह पुरुषों में ज्यादा कॉमन होता है।

स्किन कैंसर का खतरा इन लोगों को ज्यादा होता है:

  • जो लोग ज्यादा समय धूप में बिताते हैं, चाहे काम के कारण हो या खेलने के लिए।
  • जिन्हें जल्दी सनबर्न हो जाता है या जिन्हें पहले कई बार सनबर्न हो चुका है।
  • जो पहाड़ों पर या एकदम सीधी धूप पड़ने वाले इलाके में रहते हैं।
  • जो टैनिंग या टैनिंग बेड का इस्तेमाल करते हैं।
  • जिनकी त्वचा गोरी है, बाल सुनहरे या लाल हैं। आंखें हल्के रंग की हैं या जिनके चेहरे पर झाइयां हैं।
  • जिनके शरीर पर बहुत सारे तिल हों, या जिनके मस्से का आकार, रंग अजीब है।
  • जिन्हें एक्टिनिक केराटोसिस नाम की स्किन कंडीशन है, जिसमें त्वचा पर खुरदरे, गहरे गुलाबी या भूरे रंग के पैच होते हैं।
  • जिनके परिवार में पहले किसी को स्किन कैंसर हो चुका है।
  • जिनका कभी ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है।
  • जो ऐसी दवाएं ले रहे हैं, जिनसे इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।
  • जो स्किन डिजीज जैसे एक्जिमा या सोरायसिस के लिए UV लाइट थेरेपी ले चुके हैं।

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