Thursday, June 19, 2025
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पेरेंटिंग- पति-पत्नी के झगड़े का असर बच्चे पर: बच्चा जिद्दी, गुस्सैल हो रहा है, आए दिन स्कूल से आती हैं शिकायतें, हम क्या करें


4 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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सवाल- मैं बिहार से हूं और हमारी शादी को दस साल हो चुके हैं। हमारा 6 साल का एक बेटा है, जो कि बड़ी मन्नतों के बाद शादी के 4 साल बाद पैदा हुआ। शुरूआती कुछ साल हमारे बीच सबकुछ अच्छा था। लेकिन पिछले दो सालों से कुछ पारिवारिक कारणों से हमारे संबंधों में तनाव बढ़ गया है। पहले इन बातों को हम नजरअंदाज करते रहे। लेकिन अब महसूस हो रहा है कि हमारे झगड़ों का असर बेटे पर भी पड़ने लगा है।

पहले वह शांत स्वभाव का था। लेकिन अब उसमें चिड़चिड़ापन, जिद और अग्रेसिवनेस बढ़ गई है। स्कूल से भी शिकायतें आ रही हैं कि वह पढ़ाई में ध्यान नहीं देता और अपने क्लासमेट्स से झगड़े करता है। हमें अब इस बात की गहरी चिंता है कि कहीं हमारे बीच की समस्याएं उसके मानसिक और भावनात्मक विकास को प्रभावित तो नहीं कर रही हैं। कृपया मुझे बताएं कि हमें इस स्थिति में क्या करना चाहिए?

एक्सपर्ट: डॉ. अमिता श्रृंगी, साइकोलॉजिस्ट, फैमिली एंड चाइल्ड काउंसलर, जयपुर

जवाब- बिल्कुल, बच्चे अपने माता-पिता के व्यवहार को देखकर ही दुनिया को समझना शुरू करते हैं। ऐसे में अगर घर का माहौल तनावपूर्ण हो, खासतौर पर माता-पिता के बीच बार-बार झगड़े होते हों तो इसका सीधा असर बच्चे की मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर पड़ता है।

कई स्टडीज बताती हैं कि पेरेंट्स के झगड़ों से बच्चों में असुरक्षा, गुस्सा, बेचैनी और डर जैसे भावनात्मक बदलाव आ सकते हैं। अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो यह उनके आत्मविश्वास, सामाजिक विकास और मानसिक स्थिरता को भी कमजोर कर सकती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, पेरेंट्स के आपसी झगड़े बच्चों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी मेंटल प्रॉब्लम का खतरा बढ़ा सकते हैं। इससे वे खुद को असुरक्षित भी महसूस करने लगते हैं।

इसलिए याद रखें कि बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल बनाने के लिए सबसे पहले पेरेंट्स का खुद खुश और संतुलित रहना जरूरी है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा अच्छा और आत्मविश्वासी बने तो अपने रिश्ते को समझदारी और सम्मान के साथ संभालना आपकी पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए। इसलिए बच्चे को सुधारने से पहले खुद से कुछ सवाल पूछिए–

पहले अपना रिश्ता सुधारें, फिर बच्चे के व्यवहार पर काम करें

खुद से ये सवाल पूछने का मकसद है कि बच्चे के जिद्दी व्यवहार के सही कारण को पहचाना जा सके। अगर बच्चा जिस दिन आपके बीच झगड़ा होता है, उस दिन ज्यादा जिद करता है या किन्हीं खास मौकों पर अग्रेसिव व उदास होता है तो इससे साफ है कि घर के माहौल का बच्चे पर असर पड़ता है।

इसका मतलब ये है कि घर का माहौल ठीक करने की जरूरत है। घर का माहौल ठीक कैसे होगा, आप दोनों के प्यार और सहयोग से। यानी आप दोनों को अपने रिश्ते पर काम करने की जरूरत है। इसके लिए आपको पहले ये पांच काम करने चाहिए।

  • अपने झगड़े के कारणों को आइडेंटिफाई करें। उन कारणों के बारे में बात करें और उन्हें दूर करने की कोशिश करें।
  • इसके लिए एक-दूसरे को वक्त दें, साथ बैठकर बातें करें, एक-दूसरे से ये स्वीकार करें कि हमारे बीच प्रॉब्लम है और हम उसे दूर करना चाहते हैं।
  • अपने लिए एक गाइडलाइन बनाएं और उसे फॉलो करें।
  • ये सारी बातें बच्चे के सामने न करें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी झगड़ा या बहस बच्चे के सामने न हो।
  • इन सबके अलावा उन चीजों को महत्व दें, जो आपके रिश्ते को सुंदर बनाते हैं।

माता-पिता का प्यार ही बच्चे की सबसे बड़ी ताकत

जीवन में कोई भी बदलाव लाने या किसी चीज को बेहतर बनाने के लिए मोटिवेशन का होना बेहद जरूरी है। रिश्तों में भी यह बात उतनी ही सच्ची है। अगर आप अपने रिश्ते को सुधारना चाहते हैं तो उसकी शुरुआत इस भावना से करें कि यह रिश्ता आपके लिए कीमती है।

आपका रिश्ता सिर्फ तकरारों या कमियों से नहीं बना है, बल्कि उसमें कई खूबसूरत पहलू भी हैं, जिन्हें आप गहराई से महसूस करते हैं और जिनकी आप कद्र करते हैं। जैसेकि-

  • “मैं अपने पार्टनर से प्यार करता हूं।”
  • “वह मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा हैं।”
  • “वह मेरी बहुत परवाह करते हैं।”
  • “हर सुख-दुख में उन्होंने मेरा साथ निभाया है।”

इन सकारात्मक पहलुओं को याद करना और इसकी तारीफ करना ही वह मोटिवेशन है, जिससे रिश्ते को बेहतर बनाने की ताकत आती है।

हां, ये सच है कि रिश्ते में कुछ कमजोरियां भी हो सकती हैं। लेकिन जब आप ये समझते हैं कि जो अच्छी बातें हैं, वे आपके लिए बेहद मायने रखती हैं तो आप दोनों मिलकर उन कमजोरियों पर काम कर सकते हैं।

याद रखें कि जब आप अपने रिश्ते को बेहतर बनाने में ईमानदारी से प्रयास करते हैं तो उसका सकारात्मक असर न सिर्फ आप दोनों पर बल्कि आपके बच्चे के व्यवहार, सोच और भावनात्मक संतुलन पर भी साफ नजर आता है। अपने रिश्ते पर काम करने के साथ ही इन 10 बातों का भी ध्यान रखें।

बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं

कितनी भी बिजी लाइफ हो, बच्चे के साथ खेलने-कूदने व बातचीत करने के लिए समय जरूर निकालें क्योंकि वे ही आपका भविष्य हैं। उनके साथ मजेदार और क्रिएटिव एक्टिविटीज करें। कहीं बाहर घूमने जाएं। इस दौरान ये समझने की कोशिश करें कि बच्चे का किस चीज में ज्यादा मन लगता है। अगर बच्चे को कोई गेम खेलना पसंद है तो उसे प्रोत्साहित करें। इससे बच्चा खुश महसूस करता है।

बच्चे की भावनाओं को समझें

पेरेंटिंग का सबसे अहम पहलू बच्चे से रोजाना बातचीत करना है। जब आप हर दिन बच्चे से बात करते हैं तो आप उसकी भावनाओं, जरूरतों और सोच को समझ पाते हैं। यह सिर्फ उसके मन की बात जानने का जरिया नहीं, बल्कि उसके साथ एक मजबूत रिश्ता बनाने की शुरुआत भी होती है।

कम्युनिकेशन बच्चे को यह महसूस कराता है कि उसे सुना और समझा जा रहा है। यह एहसास उसके आत्मविश्वास, मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार पर सकारात्मक असर डालता है।

वर्किंग पेरेंट्स बच्चे को नैनी के भरोसे न छोड़ें

अगर आप दोनों पति-पत्नी वर्किंग हैं तो सिर्फ नैनी के भरोसे बच्चे को न छोड़ें। इसके लिए अगर ग्रैंडपेंरेंट्स बच्चे के साथ रह सकते हों तो बेहतर है। अगर ये मुमकिन नहीं है तो आप अपनी ऑफिस टाइमिंग को इस तरह मैनेज करें कि हर समय कोई एक पेरेंट बच्चे के साथ जरूर रहे।

बच्चे की जिद का कारण समझें

अगर बच्चा कभी कोई जिद भी कर रहा है तो उसे समझने की कोशिश करें कि आखिर वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है। जितनी जल्दी आप उस कारण का पता लगाएंगे बच्चे की जिद को उतनी ही जल्दी और आसानी से सुलझा पाएंगे।

गलती पर बच्चे को मारने-पीटने के बजाय उसे समझाएं

बच्चे को गलती करने की छूट देनी चाहिए। बच्चे जितनी गलती करते हैं, उतना ही सीखते हैं। ऐसा माहौल न बनाएं कि बच्चा कुछ भी नया करने से पहले डरे। इसके लिए कोई भी गलती होने पर उसे मारने-पीटने के बजाय समझाएं। उससे उस बारे में बात करें।

अगर ये सब करना ज्यादा चुनौतीपूर्ण लग रहा है तो किसी काउंसलर की मदद ले सकते हैं। कभी-कभी इससे भी समस्या हल हो सकती है। कुल मिलाकर बच्चों के सामने जितने प्यार से रहेंगे, बच्चे भी उतने ही पॉजिटिव रहेंगे।

अंत में यही कहूंगी कि बच्चे पेरेंट्स के व्यवहार को ही दुनिया की सच्चाई मानते हैं। जब आप अपने रिश्ते को संवारते हैं तो बच्चे के भविष्य को भी उज्ज्वल बनाते हैं। जैसा कि वियतनामी बौद्ध भिक्षु तिक न्यात हन्ह ने कहा था- ‘’हम अपने बच्चे को सबसे सुंदर उपहार जो दे सकते हैं, वह है हमारी अपनी खुशी।’’

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