मॉस्को. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि नाटो देशों के अपने रक्षा खर्च को बढ़ाने का निर्णय रूस की सुरक्षा पर कोई खास असर नहीं डालेगा. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लावरोव ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि इसका कोई खास प्रभाव पड़ेगा.”
रूसी विदेश मंत्री की यह टिप्पणी उन रिपोर्टों के बाद आई है, जिनमें कहा गया है कि नाटो सदस्य देश 2035 तक अपने रक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पांच प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना बना रहे हैं. हाल ही में ‘द हेग’ में संपन्न दो दिवसीय नाटो शिखर सम्मेलन के बाद एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया गया, जिसमें सालाना रक्षा बजट को जीडीपी के 5 प्रतिशत तक ले जाने की प्रतिबद्धता जताई गई.
इस 5 प्रतिशत में 3.5 प्रतिशत मूल रक्षा खर्च के लिए और 1.5 प्रतिशत अन्य संबंधित क्षेत्रों के लिए प्रस्तावित हैं, जैसे कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, नेटवर्क सुरक्षा, और रक्षा उद्योग क्षमताएं. इस योजना की 2029 में पुनः समीक्षा की जाएगी, जिसमें उस समय की रणनीतिक परिस्थितियों और क्षमता लक्ष्यों को ध्यान में रखा जाएगा.
शिखर सम्मेलन के एक वक्तव्य में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल 32 नेताओं ने कहा, “सहयोगी देश अपने व्यक्तिगत और सामूहिक दायित्वों को सुनिश्चित करने के लिए 2035 तक मुख्य रक्षा आवश्यकताओं के साथ-साथ रक्षा एवं सुरक्षा संबंधी व्यय पर प्रतिवर्ष सकल घरेलू उत्पाद का पांच प्रतिशत खर्च करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.” नेताओं ने नाटो की सामूहिक सुरक्षा गारंटी के प्रति अपनी “दृढ़ प्रतिबद्धता” को भी रेखांकित किया कि “एक देश पर हमला सभी पर हमला है.”
शिखर सम्मेलन से पहले, ट्रंप ने अमेरिका द्वारा अपने सहयोगियों की रक्षा को लेकर फिर से संदेह जताया था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शिखर सम्मेलन के बाद प्रेस वार्ता में इस समझौते की सराहना की, लेकिन उन्होंने कहा कि अमेरिका लंबे समय से गठबंधन (नाटो) की सुरक्षा का “अत्यधिक बोझ” उठाता रहा है.
ट्रंप ने स्पेन की आलोचना करते हुए कहा कि यह एकमात्र ऐसा देश है जिसने अपनी प्रतिबद्धता पूरी नहीं की है. उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका स्पेन के साथ चल रही व्यापार वार्ता में ऐसे प्रावधान शामिल कर सकता है, जिससे उसे “दोगुना भुगतान” करना पड़े.
बता दें कि स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने शिखर सम्मेलन से पहले घोषणा की थी कि स्पेन नाटो के साथ सहमत होकर अपने रक्षा खर्च को जीडीपी के 2.1 प्रतिशत तक सीमित रखेगा.