नई दिल्ली. फेक ऐप्स साइबर अपराधियों द्वारा बनाए गए ऐप्स होते हैं जो यूजर्स और उनके डिवाइस को नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किए जाते हैं. ये ऐप्स असली ऐप्स की तरह दिखते हैं लेकिन इनका मकसद नुकसान पहुंचाना होता है. ये ऐप्स आपकी गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं, मालवेयर इंस्टॉल कर सकते हैं, परेशान करने वाले विज्ञापन दिखा सकते हैं या आपकी निजी जानकारी चुरा सकते हैं.
गूगल का कहना है कि वह सभी ऐप्स और डेवलपर्स की समीक्षा करता है, फिर भी गूगल प्ले स्टोर पर मालिशियस ऐप्स आ सकते हैं. गूगल लगातार फेक एंड्रॉइड ऐप्स को प्ले स्टोर से हटाता रहता है, जिनमें फेक एंटीवायरस, ब्राउजर्स और गेम्स शामिल हैं. जबकि ऐपल का ऐप स्टोर केवल वेटेड ऐप्स को ही अनुमति देता है, फिर भी कभी-कभी वहां फेक ऐप्स मिल सकते हैं. हमलावरों के नजरिए से, मोबाइल डिवाइस आदर्श लक्ष्य होते हैं – वे लगभग हर जगह अपने मालिकों के साथ जाते हैं, उनकी निजी जिंदगी की जानकारी रखते हैं और इनफेक्शन्स को रोकना या पहचानना बहुत मुश्किल होता है.
आजकल हैकर्स नकली ऐप्स का इस्तेमाल करके लोगों को धोखा दे रहे हैं. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि असली और नकली ऐप्स में अंतर कैसे करें. यहां कुछ आसान तरीके बताए जा रहे हैं, जिनसे आप असली और नकली ऐप्स की पहचान कर सकते हैं:
2. डेवलपर की जानकारी: असली ऐप्स के डेवलपर की जानकारी हमेशा स्पष्ट होती है. ऐप स्टोर पर डेवलपर का नाम और उसकी अन्य ऐप्स की जानकारी चेक करें.
4. डाउनलोड की संख्या: असली ऐप्स के डाउनलोड की संख्या ज्यादा होती है. नकली ऐप्स के डाउनलोड कम होते हैं. इसलिए डाउनलोड की संख्या पर ध्यान दें.
इन आसान तरीकों से आप असली और नकली ऐप्स में अंतर कर सकते हैं और खुद को स्कैम से बचा सकते हैं. हमेशा सतर्क रहें और किसी भी ऐप को इंस्टॉल करने से पहले उसकी पूरी जानकारी जरूर चेक करें.