Wednesday, June 25, 2025
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देश में जल्द बनेंगी सस्ती इलेक्ट्रिक कारें: भारत में मैन्युफैक्चरिंग करने पर कंपनियों को 15% सब्सिडी मिलेगी, प्लांट लगाने के लिए पोर्टल लॉन्च


नई दिल्ली12 मिनट पहले

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भारत में जल्द ही इलेक्ट्रिक गाड़ियां सस्ती होंगी। केंद्र सरकार ने मंगलवार (24 जून) को एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया, जिस पर इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार बनाने के लिए कंपनियां आवेदन कर सकेंगी।

केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने X पोस्ट कर बताया कि, ‘नई ईवी पॉलिसी से न सिर्फ देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का प्रोडक्शन बढ़ेगा, बल्कि ग्लोबल EV कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने का मौका मिलेगा।’

कुमारस्वामी ने बताया कि, योजना में हिस्सा लेने के लिए कंपनियां ऑनलाइन पोर्टल spmepci.heavyindustries.gov.in पर 24 जून से 21 अक्टूबर 2025 तक आवेदन भेज सकती हैं।

भारी उद्योग मंत्रालय ने 2 जून को नई योजना ‘स्कीम टू प्रमोट मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार्स इन इंडिया (SPMEPCI)’ लागू करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था।

क्या है ये नई स्कीम?

सरकार की इस नई स्कीम का मकसद भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना है। सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें भारत में ही बनें, ताकि नौकरियां बढ़ें, प्रदूषण कम हो और देश की अर्थव्यवस्था को फायदा हो। इस स्कीम के तहत विदेशी कंपनियों को कम इंपोर्ट ड्यूटी (15%) का फायदा मिल सकता है, बशर्ते वे भारत में 500 मिलियन डॉलर यानी 4,327 करोड़ रुपए का निवेश करें और तीन साल में लोकल प्रोडक्शन शुरू करें।

इसके लिए सरकार ने एक खास पोर्टल बनाया है, जहां कंपनियां ऑनलाइन अप्लाई कर सकती हैं। इस पोर्टल के जरिए आवेदन प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है। यानी कोई भी कंपनी जो भारत में इलेक्ट्रिक कारें बनाना चाहती है, वो इस पोर्टल पर जाकर अपनी डिटेल्स भर सकती है और स्कीम का फायदा उठा सकती है।

क्यों जरूरी है ये स्कीम?

भारत में अभी EV मार्केट अपनी शुरुआती स्टेज में है। 2024 में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री कुल कार बिक्री का सिर्फ 2.5% थी। सरकार का टारगेट है कि 2030 तक 30% कारें इलेक्ट्रिक हो। लेकिन, इसके लिए बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। अभी भारत में EV प्रोडक्शन की क्षमता 2 लाख यूनिट्स है, लेकिन 2030 तक इसे बढ़ाकर 25 लाख यूनिट्स करने का प्लान है। यानी, अगले 5 साल में भारत EV प्रोडक्शन में 10 गुना बढ़ोतरी करना चाहता है।

इसके अलावा, भारत सरकार का मकसद सिर्फ अपने लिए गाड़ियां बनाना नहीं है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ के तहत दुनिया भर में इलेक्ट्रिक कारें एक्सपोर्ट करना भी है। लेकिन इसके लिए भारतीय कंपनियों को अपनी लागत कम करनी होगी, ताकि वो ग्लोबल मार्केट में चीन जैसे देशों से मुकाबला कर सकें।

क्या फायदा मिलेगा?

इस स्कीम से कई फायदे होने की उम्मीद है…

  • सस्ती इलेक्ट्रिक कारें: जैसे-जैसे भारत में EV प्रोडक्शन बढ़ेगा, गाड़ियों की कीमतें कम हो सकती हैं। अभी ज्यादातर कंपनियां EV पार्ट्स इंपोर्ट करती हैं, जिससे लागत बढ़ती है। लेकिन अगर यही पार्ट्स भारत में बनने लगें, तो गाड़ियां सस्ती हो सकती हैं।
  • नौकरियां बढ़ेंगी: EV मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स लगने से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। बैटरी मैन्युफैक्चरिंग, चार्जिंग स्टेशन और गाड़ियों की असेंबली जैसे कामों में नई नौकरियां बनेंगी।
  • प्रदूषण में कमी: इलेक्ट्रिक गाड़ियां पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की तुलना में कम प्रदूषण करती हैं। इससे भारत के बड़े शहरों में हवा की क्वालिटी सुधर सकती है, जो अभी प्रदूषण की वजह से बहुत खराब है।
  • ग्लोबल मार्केट में भारत की हिस्सेदारी: भारत 2030 तक दुनिया का चौथा सबसे बड़ा EV प्रोड्यूसर बन सकता है। इससे न सिर्फ देश की इकोनॉमी मजबूत होगी, बल्कि भारत की ग्लोबल ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में हिस्सेदारी भी बढ़ेगी।

चीन से चुनौती और उसका जवाब

भारत का EV मार्केट अभी काफी हद तक चाइनीज टेक्नोलॉजी और पार्ट्स पर निर्भर है। खास तौर पर रेयर अर्थ मैग्नेट्स, जो EV मोटर्स में इस्तेमाल होते हैं। इनका 90% सप्लाई चीन से आता है। हाल ही में चीन ने इनके एक्सपोर्ट पर सख्ती की है, जिससे भारत सहित दुनियाभर की कंपनियों का EV प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है।

इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। मसलन, रेयर अर्थ मटेरियल्स की घरेलू माइनिंग और प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना और दूसरे देशों के साथ पार्टनरशिप करना। साथ ही इस स्कीम के तहत कंपनियों को भारत में ही बैटरी और दूसरे पार्ट्स बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि चीन पर निर्भरता कम हो।

कौन-कौन सी कंपनियां आ सकती हैं?

इस स्कीम का फायदा लेने के लिए कई बड़ी ग्लोबल कंपनियां भारत की ओर देख रही हैं। मसलन, टेस्ला जैसी कंपनियां, जो जुलाई 2025 में मुंबई और दिल्ली में अपने शोरूम खोलने जा रही हैं, वो इस स्कीम के तहत भारत में मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर सकती हैं। इसके अलावा, टाटा मोटर्स, महिंद्रा और मारुति सुजुकी जैसी भारतीय कंपनियां भी अपने EV प्रोडक्शन को बढ़ाने की तैयारी में हैं।

आम लोगों के लिए इसका मतलब?

अगर आप एक आम आदमी हैं, जो गाड़ी खरीदने की सोच रहे हैं, तो ये स्कीम आपके लिए अच्छी खबर है। आने वाले सालों में इलेक्ट्रिक गाड़ियां सस्ती हो सकती हैं और चार्जिंग स्टेशन भी बढ़ेंगे। इससे EV चलाना और आसान हो जाएगा। साथ ही अगर आप प्रदूषण से परेशान हैं, तो ये स्कीम पर्यावरण को साफ रखने में भी मदद करेगी।

आगे क्या?

कुमारस्वामी का कहना है कि ये पोर्टल सिर्फ शुरुआत है। अगले कुछ महीनों में और भी नीतियां और स्कीम्स लॉन्च हो सकती हैं, जो EV सेक्टर को सपोर्ट करेंगी। इसके अलावा, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए HPCL जैसी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप भी की जा रही है, ताकि देशभर में चार्जिंग स्टेशन का जाल बिछाया जा सके।

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