Monday, June 2, 2025
Homeभारतजस्टिस गवई का राजनीति में एंट्री से इनकार: बोले- रिटायरमेंट के...

जस्टिस गवई का राजनीति में एंट्री से इनकार: बोले- रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लूंगा, देश खतरे में हो तो SC अलग नहीं रह सकता


  • Hindi News
  • National
  • Next CJI , Supreme Court, Chief Justice Of India, BR Gavai, Sanjiv Khanna Justice B R Gavai Refuses To Enter Politics 52nd Cji Of India

नई दिल्ली16 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिए प्रोफाइल के मुताबिक जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में प्रमोट हुए थे। (फाइल)

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई ने रिटायर होने के बाद पॉलिटिक्स में एंट्री लेने से इनकार किया। उन्होंने कहा- CJI के पद पर रहने के बाद व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने ये बात कही।

जस्टिस गवई ने केशवानंद भारती मामले में दिए फैसले का हवाला देते हुए अपने बौद्ध धर्म, हाईकोर्ट के जजों के लिए संपत्ति घोषणा के महत्व और संविधान की सर्वोच्चता की भी बात की। उन्होंने कहा- 14 मई को बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर देश के CJI पद की शपथ लेना मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है।

उन्होंने कहा- पहलगाम आतंकी हमले के दौरान CJI संजीव खन्ना देश में नहीं थे, इसलिए मैंने उनसे परमिशन लेकर कम्प्लीट कोर्ट बुलाई। हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए कोर्ट में दो मिनट का मौन रखने की घोषणा की गई।

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस बीआर गवई के नाम की आधिकारिक सिफारिश की थी। 29 अप्रैल को राष्ट्रपति ने गवई के नाम पर मुहर लगाई। वे 14 मई को शपथ लेकर देश के 52वें CJI बनेंगे।

युद्ध किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं

जस्टिस गवई ने कहा- युद्ध किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं है। इस देश के नागरिक होने के नाते हम सभी इस पूरी स्थिति को लेकर समान रूप से चिंतित हैं। हमें इसे सुलझाने के लिए काम करना चाहिए। अब युद्ध विराम हो गया है, ये अच्छा कदम है। जब युद्ध होता है तो बहुत अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।

सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर उन्होंने कहा- मैं सोशल मीडिया को फॉलो नहीं करता हूं, लेकिन मेरा भी यही मानना ​​है कि जस्टिस अपने घरों में बैठकर फैसले नहीं सुना सकते। हमें आम आदमी के मुद्दों को समझना होगा।

CJI बढ़ाता है अपने उत्तराधिकारी का नाम

परंपरा है कि मौजूदा CJI अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश तभी करते हैं, जब उन्हें कानून मंत्रालय से ऐसा करने का आग्रह किया जाता है।

CJI खन्ना के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस गवई का नाम है। इसलिए जस्टिस खन्ना ने उनका नाम आगे बढ़ाया है। हालांकि उनका कार्यकाल सिर्फ 7 महीने का होगा।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिए प्रोफाइल के मुताबिक जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में प्रमोट हुए थे। उनके रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर 2025 है।

जस्टिस गवई ने 1985 में कानूनी करियर शुरू किया

जस्टिस गवई का 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्म हुआ था। उन्होंने 1985 में कानूनी करियर शुरू किया। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इससे पहले उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज स्वर्गीय राजा एस भोंसले के साथ काम किया।

1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में नियुक्त हुए। 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए। 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने।

दूसरे दलित CJI होंगे जस्टिस गवई, डिमॉनेटाइजेशन को सही बताया था

जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित सीजेआई होंगे। उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन भारत के मुख्य न्यायाधीश बने थे। जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे।

सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में जस्टिस गवई कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे हैं। उनमें मोदी सरकार के 2016 के डिमॉनेटाइजेशन के फैसले को बरकरार रखना और चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना शामिल है।

जस्टिस गवई के बाद जस्टिस सूर्यकांत वरिष्ठता सूची में आते हैं। संभावना है कि उन्हें 53वां चीफ जस्टिस बनाया जाएगा।

जस्टिस गवई के परिवार की तस्वीर….

गुजरात में कहा था- लोगों का भरोसा हटा तो भीड़ का न्याय अपनाने लगेंगे लोग

जस्टिस गवई 19 अक्टूबर को गुजरात के अहमदाबाद में न्यायिक अधिकारियों के वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुए थे। तब उन्होंने कहा था कि पद पर रहते हुए और शिष्टाचार के दायरे से बाहर जज के किसी राजनेता या नौकरशाह की प्रशंसा करने से पूरी न्यायपालिका में लोगों का भरोसा प्रभावित हो सकता है।

चुनाव लड़ने के लिए किसी जज का इस्तीफा देना निष्पक्षता को लेकर लोगों की धारणा को प्रभावित कर सकता है। ज्यूडिशियल एथिक्स और ईमानदारी ऐसे बुनियादी स्तंभ हैं जो कानूनी व्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं। न्यायपालिका में जनता के विश्वास को बरकरार रखना जरूरी है। अगर विश्वास कम हुआ तो वे ज्यूडिशियल सिस्टम के बाहर न्याय तलाश करेंगे।

न्याय के लिए लोग भ्रष्टाचार, भीड़ के न्याय जैसे तरीके अपना सकते हैं। इससे समाज में कानून और व्यवस्था का नुकसान हो सकता है।

………………………………

सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

वक्फ कानून पर हिंसा से सुप्रीम कोर्ट परेशान:नए कानून पर रोक से इनकार किया, केंद्र से पूछा- क्या सैकड़ों साल पुरानी मस्जिदों के दस्तावेज मिलेंगे

केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दो घंटे सुनवाई हुई। इस कानून के खिलाफ 100 से ज्यादा याचिकाएं लगाई गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन पर केंद्र से जवाब मांगा है, लेकिन कोर्ट ने कानून के लागू होने पर रोक नहीं लगाई है।

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई। इस पर SG ने कहा कि ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हिंसा का इस्तेमाल दबाव डालने के लिए किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट अब गुरुवार 2 बजे सुनवाई करेगा। पढ़ें पूरी खबर…

खबरें और भी हैं…



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

Most Popular

Recent Comments