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7 घंटे पहले
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हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने मिलावटी बेसन बनाने वाली एक फैक्ट्री पर छापा मारा। इस कार्रवाई में मिलावटी बेसन की 538 बोरियां जब्त की गईं। हर एक बोरी में 30 किलो बेसन भरा हुआ था। फैक्ट्री में बेसन बनाने के दौरान चने के साथ किनकी चावल और बाजरा मिक्स किया जा रहा था। इस बेसन को बाजार में ‘छोटा लाल लकड़ा’ ब्रांड के नाम से बेचा जा रहा था।
देशभर से पहले भी बेसन में मिलावट की खबरें आती रही हैं, जबकि यह हर भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है। मिलावटी बेसन सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक है। इसलिए इसे खरीदते वक्त सतर्कता जरूरी है।
तो चलिए, आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि मिलावटी बेसन सेहत के लिए कितना नुकसानदायक है?
- घर पर मिलावटी बेसन की पहचान कैसे कर सकते हैं?
एक्सपर्ट: डॉ. अनु अग्रवाल, डाइटीशियन और ‘वनडाइटटुडे’ की फाउंडर
सवाल- मिलावटखोर बेसन में किन चीजों की मिलावट करते हैं?
जवाब- असली बेसन पूरी तरह से नेचुरल होता है, जो केवल चना दाल से बनता है। वहीं मिलावटी बेसन में किनकी चावल, बाजरा, चावल का आटा, मक्का का आटा, सस्ता आटा और कभी-कभी सोडा जैसी चीजें जाते हैं। इन्हें सस्ता बनाने और मात्रा बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ये चीजें सस्ती होती हैं और आसानी से बेसन में घुल जाती हैं। इसके अलावा मिलावट के लिए सिंथेटिक रंग और केमिकल्स का इस्तेमाल भी किया जाता है, जिससे बेसन का रंग और बनावट आकर्षक दिखे।
सवाल- मिलावटी बेसन सेहत के लिए कितना नुकसानदायक है?
जवाब- डाइटीशियन डॉ. अनु अग्रवाल बताती हैं कि बेसन में मिलावट करने से उसके जरूरी न्यूट्रिएंट्स कम हो जाते हैं। इससे न सिर्फ बेसन की क्वालिटी घटती है, बल्कि मिलावटी चीजें शरीर पर अलग-अलग तरह से बुरा असर भी करती हैं। हर मिलावटी चीज के साथ कुछ स्वास्थ्य संबंधी खतरे जुड़े होते हैं। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए-

सवाल- घर पर मिलावटी बेसन की पहचान कैसे कर सकते हैं?
जवाब- बेसन भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल पकौड़ी, कड़ी, ढोकला, और कई अन्य पकवानों में किया जाता है। मिलावटखोर बेसन में इतनी बारीकी से मिलावट करते हैं कि आमतौर पर ग्राहक के लिए फर्क कर पाना मुश्किल होता है। यह न केवल स्वाद को प्रभावित करता है, बल्कि सेहत के लिए भी खतरनाक है।
हालांकि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने मिलावटी बेसन की पहचान करने के कुछ तरीके बताए हैं। जिनकी मदद से आप घर पर मिलावटी बेसन की पहचान कर सकते हैं। इन्हें नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

सवाल- बेसन खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब- इसके लिए नीचे दी गई कुछ बातों का ध्यान रखें। जैसेकि-
- भरोसेमंद ब्रांड से पैक्ड बेसन खरीदें। खुला बेसन खरीदने से बचें क्योंकि उसमें मिलावट का खतरा ज्यादा होता है।
- बेसन का रंग हल्का पीला और एकसार होना चाहिए। अगर रंग गहरा या सफेद हो तो यह मिलावटी हो सकता है।
- असली बेसन की अपनी खास महक होती है। अगर बेसन में अजीब सी गंध आए तो यह मिलावट का संकेत हो सकता है।
- हमेशा विश्वसनीय दुकानों या सुपरमार्केट से बेसन खरीदें। लोकल बाजारों में खुले बिकने वाले बेसन में मिलावट हो सकती है।
- असली बेसन मुलायम और चिकना होता है। अगर बेसन खुरदुरा हो या उसमें कुछ कण दिखाई दें तो यह मिलावट का संकेत हो सकता है।
- अगर बेसन का मूल्य बहुत सस्ता है तो यह मिलावट का संकेत हो सकता है। अच्छे और शुद्ध बेसन की कीमत बाजार में सामान्य होती है।
सवाल- मिलावटी बेसन बेचने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है?
जवाब- भारत में मिलावटखोरी और खाद्य सुरक्षा से जुड़े मामलों को कंट्रोल करने के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 बनाया गया है। इसका उद्देश्य फूड आइटम्स की क्वालिटी, हाइजीन और सेफ्टी सुनिश्चित करना है। इस कानून के तहत फूड आइटम्स में मिलावट करना अवैध है। अगर कोई व्यक्ति मिलावटी फूड आइटम्स बेचता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है।
इसमें 1 लाख रुपए तक जुर्माना और अपराध की गंभीरता के आधार पर 6 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है। अगर मिलावटी फूड आइटम्स के सेवन से किसी की मौत हो जाती है तो दोषी को 10 साल तक की सजा या आजीवन कारावास हो सकती है। अगर मिलावटी खाद्य पदार्थ से किसी की जान को खतरा नहीं होता, तो इसे धोखाधड़ी माना जाता है और इसमें 6 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है। अगर मिलावट से किसी की सेहत पर बुरा असर पड़ता है या बीमारी फैलती है, तो दोषी को 3 से 7 साल की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है। इस प्रकार मिलावटखोरी को रोकने के लिए सख्त कानून और दंड का प्रावधान है, ताकि लोगों को सुरक्षित और शुद्ध खाद्य पदार्थ मिल सकें।

सवाल- घर पर हम बेसन कैसे बना सकते हैं?
जवाब- इस प्रक्रिया में चने को धोकर, सुखाकर, छिलका हटाकर और फिर पीसकर महीन बेसन तैयार किया जाता है। इसमें कोई मिलावट नहीं होती, और यह सेहत के लिए पौष्टिक होता है क्योंकि इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन, फाइबर और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं।
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