Sunday, June 1, 2025
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गुड हैबिट्स- रोज डायरी में ‘थैंक यू’ लिखने की आदत: जानें ग्रैटीट्यूट जर्नलिंग की ताकत, इस छोटी सी आदत से बदल जाएगा जीवन


26 मिनट पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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गुड हैबिट्स यानी अच्छी आदतें। हम आपको इस आर्टिकल में हर हफ्ते एक ऐसी आदत के बारे में बताते हैं, जो सुनने में और देखने में बहुत मामूली लगती है, लेकिन इसके नतीजे बहुत बड़े होते हैं।

शुक्रिया कहने की आदत

हमारी जिंदगी में हर दिन कुछ-न-कुछ अच्छा जरूर होता है, लेकिन अक्सर हम इन छोटी-छोटी चीजों को नजरअंदाज कर देते हैं। हम उन लोगों और घटनाओं को भूल जाते हैं, जिन्होंने हमारे दिन को थोड़ा और बेहतर बनाया। हमें हर छोटी चीज के लिए शुक्रिया कहना चाहिए। अगर दिन में काम की व्यस्तता के बीच ऐसा करना भूल गए हैं तो कोई बात नहीं, एक डायरी और पेन उठाइए। रात में सोने से पहले इन सभी अच्छे पलों को याद करके शुक्रिया लिखिए। इसे ग्रैटीट्यूड जर्नलिंग कहते हैं। इससे कुछ ही दिनों में आपका दुनिया को देखने का नजरिया बदल जाएगा और तमाम बिगड़ी चीजें भी बेहतर होने लगेंगी।

ग्रैटीट्यूड जर्नल क्या है?

ग्रैटीट्यूड जरनल का मतलब है कि हर दिन अपने दिनभर के अच्छे अनुभवों को याद करके उनके लिए आभार व्यक्त करना। इसे आदत से जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है।

दुनिया के सफल लोग लिखते हैं ग्रैटीट्यूड जर्नल

हम सभी जिंदगी में सफलता, पैसा और नाम कमाने के लिए दौड़ते रहते हैं। जो लोग ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं, उन ज्यादातर लोगों में एक कॉमन आदत होती है- हर चीज के लिए आभार जताना। ओप्रा विनफ्रे, टोनी रॉबिंस और रिचर्ड ब्रैनसन जैसे सफल लोग हर दिन कुछ मिनट निकालकर वो बातें लिखते हैं, जिनके लिए वे दिल से शुक्रगुजार हैं।

ग्रंथों में बताया गया है आभार का महत्व

भारत के प्राचीन ग्रंथों में आभार प्रकट करना एक महत्वपूर्ण गुण बताया गया है। भगवद्गीता में भी यह संदेश दिया गया है कि हमें हर परिस्थिति में ईश्वर यानी प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। बौद्ध धर्म में भी सबको ‘धन्यवाद’ कहने और हर परिस्थिति में संतोष का भाव रखने पर जोर दिया गया है।

यूनान के लोग भी कुछ ऐसा ही मानते हैं-

ग्रैटीट्यूड से मिलती है खुशी

विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि आभार प्रकट करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अमेरिका के प्रसिद्ध साइकोलॉजिस्ट रॉबर्ट एमन्स और माइकल मैककुलॉघ को एक स्टडी में पता चला कि जो लोग नियमित रूप से ग्रैटीट्यूड जर्नल लिखते हैं, वे लोग दूसरों की अपेक्षा ज्यादा खुशहाल और संतुष्ट रहते हैं। उनमें निराशा और चिंता का भाव भी कम होता है। ठीक यही बात सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ में पब्लिश एक स्टडी में पता चली।

ग्रैटीट्यूड जर्नल लिखने के फायदे

ग्रैटीट्यूड जर्नल लिखने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि हम अपने आसपास घट रही सभी चीजों के प्रति आभारी हो जाते हैं। सभी लोगों का आभार व्यक्त करते हैं। इससे उन सभी लोगों को भी खुशी मिलती है और सभी के भीतर कई बदलाव होते हैं-

सकारात्मकता बढ़ती है- जब हम पूरे दिन की अच्छी बातों पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो हमारी सोच सकारात्मक हो जाती है।

तनाव और चिंता में कमी आती है- मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि आभार प्रकट करने से स्ट्रेस हॉर्मोन ‘कॉर्टिसोल’ का स्तर कम होता है।

नींद की क्वालिटी में सुधार होता है- सोने से पहले अच्छी चीजें लिखने से मन शांत रहता है और अच्छी नींद आती है।

रिश्तों में मजबूती बढ़ती है- जब हम दूसरों की अच्छाइयों को नोटिस करते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं तो हमारे रिश्ते मजबूत होते हैं।

आत्मविश्वास बढ़ता है- जब हम अपनी उपलब्धियों और खुशियों को पहचानते हैं तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।

कैसे शुरू करें ग्रैटीट्यूड जर्नल?

इसके लिए किसी प्लानिंग की जरूरत नहीं है। आपके पास कोई खाली नोटबुक या डायरी रखी है तो पेन उठाइए और शुरू हो जाइए। अगर पहले दिन आपके पास ये चीजें नहीं हैं तो मोबाइल फोन में ही टाइप कर लीजिए।

एक डायरी या नोटबुक लें- रोज आदत में लाने के लिए एक डायरी या नोटबुक लें। इसमें रोज की तारीख लिखकर उस दिन का जर्नल लिखें। अगर आपके पास बहुत पैसे नहीं हैं तो रफ पेज वाली कॉपी भी चलेगी।

रोज कुछ मिनट समय निकालें- दिन पूरा होने पर किसी एक निश्चित समय रोज नियमित रूप से इसे लिखें। एक नियम तय कर सकते हैं कि सोने से पहले लिखेंगे या खाने से पहले लिखेंगे।

कम से कम तीन चीजें लिखें- पूरे दिन की कम-से-कम तीन अच्छी बातें लिखें। वे सभी बातें जिनके लिए आप आभार व्यक्त करना चाहते हैं। इसमें बहुत मामलू घटना भी हो सकती है कि जैसे किसी ने गाड़ी पार्क करने में आपकी मदद की।

स्पेसिफिक बात लिखें- आभार इस तरह लिखने की बजाय कि- मैं अपने परिवार के लिए आभारी हूं। इसे ऐसे लिखें- आज मेरी मां ने मेरी पसंदीदा सब्जी बनाई, जिसे खाकर आनंद आ गया। मां को शुक्रिया।

रोज प्रैक्टिस में लाएं- कई बार कुछ दिन ऐसे भी होते हैं कि लगता है. यह बुरा दिन था। इसके बाजजूद ऐसा सोचने की कोशिश करें कि क्या न होता तो स्थिति और बुरी हो सकती थी। कृतज्ञता की वजह खोजें और रोज लिखें।

ग्रैटीट्यूड जर्नल से आते हैं बदलाव

इस आदत से धीरे-धीरे हमारी सोच बदलती है। जब हम रोज अच्छे अनुभवों को लिखते हैं तो हम अपने जीवन में मौजूद अच्छाइयों पर और ज्यादा ध्यान देने लगते हैं। इससे हमें महसूस होता है कि हमारी जिंदगी कितनी खूबसूरत है और हम कितने भाग्यशाली हैं।

बदलता है नजरिया

इस छोटी सी आदत से मानसिक शांति, खुशी और सकारात्मकता बढ़ती है। हर दिन कुछ मिनट निकालकर इस आदत को अपनाने से न केवल हमारा नजरिया बदलेगा, बल्कि आप देखेंगे कि पहले से ज्यादा खुश रहने लगे हैं। आज से ही इस खूबसूरत आदत की शुरुआत करें और खुद में बदलाव महसूस करें।

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